यहां सैटेलाइट टाउन, औद्योगिक क्षेत्र विकसित होने से लोगों को बार-बार इंदौर या भोपाल नहीं जाना होगा। उनकी रोजगार सहित अन्य जरूरतें पूरी हो सकेंगी।
भोपाल में बर्न यूनिट बनने से राजधानी सहित आसपास के जिलों के मरीजों को लाभ मिलेगा।भोपाल में आधुनिक लाइब्रेरी से सबसे ज्यादा लाभ यहां रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे डेढ़ लाख से अधिक छात्रों को मिलेगा।
भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे
समीपस्थ शहरों की सारी जरूरतें वहीं होंगी पूरी
कें द्र सरकार ने फरवरी 2019 में पहले चरण में भोपाल-इंदौर एक्सप्रेस-वे को स्वीकृति दी है। मप्र सरकार ने इसके रूट पर आने वाले मंडीदीप, औबेदुल्लागंज, रातीबड़, बिल्किसगंज, शिकारपुर, इछावर, ढींगाखेड़ी, हाटपीपल्या-करनावद आदि में सैटेलाइट टाउन, औद्योगिक क्षेत्र और ड्रायपोर्ट बनाने की योजना बनाई है।
फिलहाल 1704 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण की तैयारी है। तीन साल में पूरे होने की संभावना है। भोपाल से हाटपीपल्या-करनावद तक 142 किमी एक्सप्रेस-वे का निर्माण होगा। इसके बाद राष्ट्रीय राजमार्ग 59 से जोड़ा जाएगा। इंदौर तक एक्सप्रेस-वे की कुल लंबाई 195 किमी होगी।
बर्न यूनिट
आधुनिक बर्न यूनिट अब ले पाएगी आकार
रा जधानी के गांधी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध हमीदिया अस्पताल में आधुनिक बर्न यूनिट बनाने की योजना पर वर्ष 2017 में काम शुरू हुआ था। 60 फीसदी राशि केन्द्र को और 40 फीसदी राशि राज्य को देनी थी। अभी यह यूनिट तैयार नहीं हो पाई।
बजट में प्रावधान से एक बार फिर उम्मीद जागी है। बर्न यूनिट में संक्रमण रहित वार्डों के साथ मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर बनाया जाएगा। इस ओटी में जले हुए मरीजों की सर्जरी व प्लास्टिक सर्जरी की जाएगी। यहां स्किन बैंक रहेगा। यहां 4 से 10 बेड का आईसीयू बनाया जाएगा। वार्डों को इस तरह से बनाया जाएगा, कि धूल रहित हो।
सर्वसुविधायुक्त लाइब्रेरी से संवरेगा भविष्य
राजधानी में आधुनिक लाइब्रेरी ( library ) बनने से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को लाभ होगा। अभी केवल सेंट्रल लाइब्रेरी है, जिसकी क्षमता सीमित है। अन्य लाइब्रेरी में जरूरत के अनुरूप पाठ्य सामग्री नहीं है।
आधुनिक लाइब्रेरी से रिसर्च वर्क करने वालों को लाभ मिलेगा। पीएससी की तैयारी कर रहे चित्रांशु ने बताया कि वे एक प्राइवेट लाइब्रेरी में दिनभर पढ़ाई करते हैं। इसके लिए उन्हें एक हजार रुपए प्रतिमाह देना पड़ते हैं। सेंट्रल लाइब्रेरी है, लेकिन वहां सुबह 7 बजे से लाइन में लगना पड़ता है, तब कहीं जाकर बैठने की जगह मिलती है। आधुनिक लाइब्रेरी भोपाल के लिए सौगात की तरह होगी।
बहुत आशावादी बजट नहीं कहा जा सकता
बहुत ज्यादा आशावान बजट तो नहीं कहा जा सकता। राज्य सरकार को खाली खजाना मिला है, उस दृष्टि से देखा जाए तो हर क्षेत्र के लोगों जैसे व्यापारी, छोटे उद्यमी, कर्मचारी सहित आम आदमी के लिए अच्छा बजट कहा जा सकता है। – रामबाबू शर्मा, जिला अध्यक्ष, कैट, भोपाल
बजट का दायरा 5 लाख करोड़ तक होना चाहिए
इतना बजट तो मुंबई महानगर पालिका का होता है। बजट का दायरा 5 लाख करोड़ तक किया जाना चाहिए। शिक्षा, हेल्थ, इंफ्रास्ट्रक्चर, कर्मचारियों के वेतन आदि पर राशि कितनी-कितनी खर्च होगी। प्रदेश का विकास कैसे होगा। – संतोष अग्रवाल, अध्यक्ष, भोपाल स्टॉक इन्वेस्टर्स एसोसिएशन
मिठाई, नमकीन, जलेबी की ब्रान्डिंग अच्छी पहल
प्रदेश में बनने वाली मिठाई, नमकीन के कई ऐसे ब्रान्ड हैं, जो नाम से ही बिकते हैं। ऐसे में सरकार की यह अच्छी पहल कही जा सकता है कि उन्होंने नमकीन, मिठाई, जलेबी की ब्रान्डिंग करने की बात कही है। –
मोहन शर्मा,महामंत्री, खाद्य पेय मिष्ठान विक्रेता संघ
लोहा मंडी निर्माण के लिए करना था प्रावधान
अधोसंरचना विकास के लिए कमर कस चुकी सरकार को जिलों में लोहा मंडी निर्माण के लिए बजट में राशि आवंटित करनी थी उपभोक्ताओं, व्यापारी से लेकर उद्योगपति तक को माल विक्रय में सुगमता होती। इससे सरकार को राजस्व भी ज्यादा मिलता। – वीरेन्द्र ओसवाल, अध्यक्ष, लोहा व्यवसायी एवं निर्माता संघ, भोपाल