आचार संहिता हटने के बाद सरकार ने एक बार फिर से तबादलों का काम शुरू कर दिया। शनिवार को 33 आईएएस अधिकारियों और आईपीएस अधिकारियों का ट्रांसफर किया गया। सरकार ने अपने 165 दिन के कार्यकाल में अब तक 450 से अधिक आईएएस-आईपीएस अधिकारियों के तबादले किए हैं। राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा के साथ आईएफएस और निचले स्तर के ट्रांसफर को भी जोड़ा जाए तो यह आंकड़ा 15 हजार से अधिक हो गया है। इसे लेकर ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप की स्थिति है।
कांग्रेस की सरकार में एक ही अधिकारियों के कई बार तबादले हो चुके हैं। महेशचंद्र चौधरी को 18 दिसंबर को रीवा कमिश्नर पद से हटाकर मंत्रालय में ओएसडी बनाया गया। फिर उन्हें ग्वालियर कमिश्नर बनाया गया, लेकिन 27 मई को फिर हटा दिया गया। बीएम शर्मा को 23 मार्च को ग्वालियर कमिश्नर पद से हटाकर सदस्य राजस्व मंडल बनाया गया। 27 मई को फिर शर्मा ग्वालियर कमिश्नर बना दिए गए। चौधरी को सदस्य राजस्व मंडल भेज दिया गया। प्रदेश सरकार बनने के बाद जेके जैन शहडोल कमिश्नर रहे। उन्हें हटाकर 4 मार्च को शोभित जैन को कमिश्नर बनाया गया और 27 मई को उन्हें हटा दिया गया। अब आरबी प्रजापति शहडोल कमिश्नर हैं। वहीं, भरत यादव को मुरैना कलेक्टर से ट्रांसफर करके ग्वालियर कलेक्टर बनाया गया। फिर ग्वालियर से हटाकर एमडी ऊर्जा विकास निगम बनाया गया। 13 मई को फिर आदेश निकला और छिंदवाड़ा कलेक्टर पदस्थ किए गए और 27 मई के आदेश में जबलपुर कलेक्टर बना दिए गए।
क्या कहना है भाजपा का
भाजपा विधायक और मध्यप्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि मध्यप्रदेश में सरकार ने रोजगार तो दिए नहीं, लेकिन अधिकारियों का तबादला लगातार जारी है। सीएम ऑफिस में जनहित के काम की जगह तबादले का उद्योग चलाया जा रहा है। मध्यप्रदेश में इन दिनों केवल तबादला और हवाला उद्योग चल रहा है।
पीसी शर्मा ने किया समर्थन
वहीं, कांग्रेस सरकार के मंत्री पीसी शर्मा ने सरकार द्वारा किए जा रहे तबादलों का समर्थन किया है। पीसी शर्मा ने कहा, भाजपा की सरकार में पैसे लेकर ट्रांसफर किया जाता था लेकिन कमल नाथ की सरकार मे नियम के मुबातिब समर्थन किया जा रहा है। अगर जरूरी होगा तो तबादले जारी रहेंगे।