इसी के तहत प्रदेश में मासूम बच्चियों पर लगातार बढ़ रहे अपराधों को रोकने के लिए मध्यप्रदेश सरकार अब एक नया सिस्टम विकसित करने की तैयारी कर रही है। अमेरिका की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी अंबर अलर्ट सिस्टम लागू किया जाएगा। इसके द्वारा राज्य के किसी भी थाने में मासूमों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होते ही वो सूचना प्रदेश भर में वायरल हो जाएगी। साथ ही तत्काल आरोपी के बारे में जानकारी जुटाकर उसका स्कैच भी वायरल किया जाएगा।
कुल मिलाकर सरकार तकनीक के जरिए नाबालिगों के अपहरण को रोकने का प्रयास कर रही है। इसके लिए एक एप बनाने की बात की जा रही है जो चंद पलों में पूरे प्रदेश में किसी भी गुमशुदगी की रिपोर्ट को वायरल कर देगी।
प्रदेश का विधि विभाग साइबर विशेषज्ञों के साथ बातचीत कर रहा है। इस एप को गूगल से भी जोड़ा जाएगा,इसके लिए बातचीत का जरिया तलाशा जा रहा है। कमला नगर में आठ साल की बच्ची के अपहरण और दुष्कर्म के बाद हुई हत्या की वारदात जैसी घटनाओं को रोकने के लिए ये कदम उठाया जा रहा है।
फिर भी यहां है पेंच…
भले ही सरकार ये एक नई तकनीक लाने जा रही है, जिसे तकरीबन सभी जानकार भी अच्छी मानते हैं, लेकिन उसके बावजूद कुछ जानकारों का मानना है कि ये तकनीक यहां कितनी सफल होगी ये तो समय ही बता पाएगा।
भले ही सरकार ये एक नई तकनीक लाने जा रही है, जिसे तकरीबन सभी जानकार भी अच्छी मानते हैं, लेकिन उसके बावजूद कुछ जानकारों का मानना है कि ये तकनीक यहां कितनी सफल होगी ये तो समय ही बता पाएगा।
जानकारों के अनुसार एप में किसी भी थाने में मासूमों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होते ही सूचना के प्रदेश भर में वायरल होने की बात कही गई है। लेकिन भोपाल पुलिस के पुराने कारनामों से ही ये साफ हो जाता है कि वे असंवेदनशील होकर समय पर कभी रिपोर्ट लिखते ही नहीं हैं। ऐसे में रिपोर्ट जब लिखी ही नहीं जाएगी तो ये वायरल कैसे होगी।
ऐसे काम करेगा एप :
इस एप से प्रदेश के सभी थानों, ट्रेफिक पुलिस और हाइवे पुलिस को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा लोगों को भी इससे जोड़ा जाएगा। राज्य के किसी भी थाने में मासूमों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होते ही वो सूचना प्रदेश भर में वायरल हो जाएगी। तत्काल आरोपी के बारे में जानकारी जुटाकर उसका स्कैच भी वायरल किया जाएगा।
इस एप से प्रदेश के सभी थानों, ट्रेफिक पुलिस और हाइवे पुलिस को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा लोगों को भी इससे जोड़ा जाएगा। राज्य के किसी भी थाने में मासूमों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होते ही वो सूचना प्रदेश भर में वायरल हो जाएगी। तत्काल आरोपी के बारे में जानकारी जुटाकर उसका स्कैच भी वायरल किया जाएगा।
इससे आरोपी का बच्ची को लेकर भागना मुश्किल होगा और उसके पकड़े जाने की संभावना बढ़ जाएगी। प्रदेश की पुलिस अलर्ट हो जाएगी और शहर या हाइवे पर पकड़ा जा सकेगा। इस एप के गूगल से जुडऩे के बाद इसका नेटवर्क और कार्यक्षेत्र विस्तृत हो जाएगा। सरकार को लगता है कि इस तरह से कुछ सेकंड में हजारों लोगों के पास लड़की की सूचना पहुंच जाएगी जिससे आरोपी को पकडऩा आसान हो जाएगा।
ऐसा है अमेरिका का अंबर अलर्ट सिस्टम :
अमेरिका में 1995 में 9 साल की बच्ची अंबर का अपहरण हुआ और फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद पूरे अमेरिका में उबाल आ गया और लोगों की नाराजगी सड़कों पर दिखाई देने लगी। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए 1996 में अमेरिकी सरकार ने इस बच्ची के नाम से ही अंबर अलर्ट सिस्टम लागू किया।
अमेरिका में 1995 में 9 साल की बच्ची अंबर का अपहरण हुआ और फिर उसकी हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद पूरे अमेरिका में उबाल आ गया और लोगों की नाराजगी सड़कों पर दिखाई देने लगी। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए 1996 में अमेरिकी सरकार ने इस बच्ची के नाम से ही अंबर अलर्ट सिस्टम लागू किया।
इससे अमेरिका की सारी तकनीक जुड़ी हुई है। लोकल पुलिस से लेकर पुलिस हेडक्वार्टर और हाइवे पुलिस भी इससे जुड़े हुए हैं। अपहरण की सूचना पर इमरजेंसी रिस्पांस का संदेश प्रसारित होता है और पब्लिक रेडियो स्टेशन,इंटरनेट रेडियो,सेटेलाइट रेडियो,टेलीविजन स्टेशन,टैक्सट मैसेज और केबल टीवी इस सूचना को तत्काल प्रसारित कर देते हैं। ये सिस्टम गूगल,फेसबुक और ईमेल से भी जुड़ा हुआ है।
बच्चियों पर होने वाले अपराध रोकने के लिए सरकार बेहद गंभीर है। अमेरिका की अंबर एप की तर्ज पर प्रदेश में भी एप डेवलप करने के बारे में गंभीरता से विचार किया जा रहा है। विधि विभाग इस संबंध में गूगल से भी बात करेगा।
– पीसी शर्मा, विधि मंत्री,मप्र