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MP सरकार भूली 11 जैव विविधिता पार्क, आठ साल से बजट तक नहीं दिया

locationभोपालPublished: Aug 26, 2019 11:30:42 am

2010 में बनाए गए थे जैव विविधता पार्क…

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भोपाल। मध्य प्रदेश में विलुप्त प्रजातियों के वन्यजीवों और वनस्पतियों को बचाने के लिए 2010 में बनाए गए 11 जैव विविधता पार्कों को सरकार भूल गई है। प्रदेश की पिछली सरकार ने इन्हें बजट ही आवंटित नहीं किया। नई सरकार ने भी इन पर ध्यान नहीं दिया।

ऐसे में जैव विविधता बोर्ड न तो विलुप्त प्रजातियों की वनस्पतियों को बचाने पर ध्यान दे पा रहा है ना ही उन वन्यजीवों को चिन्हित कर पा रहा है, जो विलुप्ति के कगार पर हैं। प्रदेश में 18 से अधिक पौधों की प्रजातियां विलुप्त बताई जाती हैं।
सतना और छिंदवाड़ा में बनाया विरासत स्थल
सरकार ने सतना के नैराहिल्स और छिंदवाड़ा में पातालकोट में जैव विविधता विरासत स्थल बनाया है। यहां विलुप्त हो रही पौधों के संरक्षण का संरक्षण किया जाएगा। इसके साथ ही जंगलों में पैदा होने वाली जड़ी-बूटियों को सुरक्षित किया जाएगा।
शोध कार्य भी अटका
विलुप्त प्रजाति के वन्यजीवों को बचाने के लिए होने वाला शोध कार्य भी बजट के अभाव में अटका हुआ है। इनकी प्रजातियों को भी अलग-अलग क्षेत्रों से लाकर पार्क में संरक्षित किया जाना था। देश में सबसे ज्यादा जैव विविधता पार्क मध्यप्रदेश में हैं।
यह पार्क इंदौर, रीवा, बुरहानपुर, सागर, अनुपपुर, होशंगाबाद, शहडोल में एक-एक और उज्जैन में दो तथा देवास में तीन पार्क हैं। यह पार्क अभी वन विभाग और जैव विविधता बोर्ड के अधीन हैं। जबकि कर्नाटक और राजस्थान में तीन-तीन तथा अन्य राज्यों में एक से दो जैव विविधता पार्क हैं।
पार्क बनाने के बाद से अब तक कोई बजट नहीं दिया गया है। ऐसे में न तो विलुप्त पौधों पर ही कोई शोध हुआ है न ही वन्यजीवों को बचाने पर कोई काम किया गया है। इन कामों में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं।
– आर. श्रीनिवास मूर्ति, सदस्य सचिव, जैव विविधता बोर्ड

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