चुनाव दर चुनाव नाम वापसी की स्थिति
वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 7.58 प्रतिशत, 2009 में 10.75 प्रतिशत, 2004 में 9.14 प्रतिशत, 1999 में 10.34 प्रतिशत, 1998 में 10.89 प्रतिशत, 1996 में 35.16 प्रतिशत, 1991 में 35.25 प्रतिशत उम्मीदवारों ने अपना नामांकम वापस ले लिया था।
यहां डटे रहे उम्मीदवार
सागर, टीकमगढ़, शहडोल, जबलपुर, होशंगाबाद, देवास, मंदसौर, रतलाम, धार, खरगोन और बैतूल लोकसभा सीटों में पिछले चुनाव में सभी उम्मीदवार डटे रहे। यहां किसी ने नामांकन वापस नहीं लिया। दमोह, सतना, छिंदवाड़ा में सर्वाधिक चार-चार उम्मीदवारों ने नाम वापस लिए थे।
29 सीटों पर चार चरणों में होगा चुनाव
मध्यप्रदेश की 29 लोकसभा सीटों के लिए 29 अप्रैल से 12 मई के बीच चार चरणों में मतदान होगा। प्रदेश में 29 अप्रैल को छह सीटों पर, 6 मई को सात, 12 मई व 19 मई को आठ-आठ सीटों पर चुनाव होगा। प्रदेश में यह पहला मौका होगा जब चार चरणों में लोकसभा चुनाव होगा। 2014 में तीन चरणों में मतदान हुआ था। 29 अप्रैल को ही छिंदवाड़ा विधानसभा उपचुनाव भी होगा। यहां से मुख्यमंत्री कमलनाथ चुनाव मैदान में होंगे। वे मुख्यमंत्री बनने के समय सांसद थे। उनके लिए यह सीट कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना ने छोड़ी है। प्रदेश के 5.14 करोड़ मतदाता मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इनमें 2.67 करोड़ पुरुष और 2.41 करोड़ महिला मतदाता हैं। इसके लिए 65283 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मतगणना 23 मई को होगी।
किसान-युवाओं के सहारे उतरेगी भाजपा-कांग्रेस
2014 के चुनाव में मध्यप्रदेश ने भाजपा को दिल खोलकर 29 में से 27 सीटें दी। कांग्रेस के दो दिग्गज कमलनाथ-ज्योतिरादित्य सिंधिया छिंदवाड़ा और गुना सीट ही बचा पाए थे। 2015 में झाबुआ सीट के उपचुनाव में कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया जीते। 2018 के विधानसभा चुनाव में 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। दोनों पार्टियां मिशन 29 पर काम कर रही हैं। कमलनाथ सरकार ने आते ही किसानों का कर्ज माफ किया तो मोदी सरकार ने 6 हजार सालाना देने का दांव चला है। मोदी ने सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण तो कमलनाथ ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण का तोहफा दिया।