रिपोर्ट में ये बात भी स्वीकार की गई है कि वन भूमि से अतिक्रमण हटाने में मात्र 20 फीसदी ही सफलता मिल पाती है। इसकी मुख्य वजह वोट बैंक की राजनीति मानी जा रही है। रिपोर्ट में पिछले तीन साल के अतिक्रमण आंकड़ों का हवाला देकर कहा गया है कि 13209 हेक्टेयर में अतिक्रमण हुआ। जबकि मात्र 1039 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण से मुक्त कराने में वन महकमा सफल हो पाया।
प्रदेश में वन भूमि पर अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है। इसे हटाने में प्रति वर्ष करीब 50 वन सुरक्षाकर्मी घायल होते हैं। कुछ घटनाएं ऐसी भी सामने आई हैं जिनमें सुरक्षाकर्मियों को अतिक्रमण मुहिम में जान से हाथ धोना पड़ा है। प्रदेश में करीब पांच माह पहले खंडवा जिले के गुड़ी वन परिक्षेत्र के आमाखुजरी में अतिक्रमण हटाने गए रेंजर सहित अन्य वन कर्मी और पुलिस कर्मियों को अतिक्रमणकारियों ने हमला कर घायल कर दिया था। इस मामले में राजनीतिक दबाव के चलते उल्टे वन कर्मियों पर ही सरकार ने प्रकरण दर्ज करा दिया।
इसके बाद डीएफओ सहित कई अधिकारियों को सजा के तौर पर स्थानांतरण कर दिया गया। इससे वन विभाग के अधिकारियों को झटका लगा है, हालांकि इस मामले की न्यायिक जांच चल रही है। सूत्रों का कहना है कि अगले माह रिपोर्ट आने के बाद स्थिति साफ हो जाएगी।
ऐसे करते हैं अतिक्रमण
जंगल माफिया गर्मी के मौसम में पहले पेड़ों की अवैध हटाई करते हैं और बारिश के दौरान उसे खेत के रूप में तब्दील कर देते हैं। वन विभाग के अवैध कटाई की रिपोर्ट को देखा जाए तो पेड़ों की अवैध कटाई सबसे ज्यादा मामले दिसम्बर से मई के बीच दर्ज किए जाते हैं। इसी तरह अतिक्रमण के मामले मानसून सीजन (जून से लेकर सितम्बर) में होते हैं।
एक साल में वन मंत्री के क्षेत्र में 8 गुना बढ़ा अतिक्रमण
वन मंत्री उमंग सिंघार के इंदौर परिक्षेत्र में एक साल 8 गुना अतिक्रमण हुआ है। इसके पहले इंदौर परिक्षेत्र में 2017 में 23 और 2018 में 25 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण हुआ था। वर्ष 2019 में 492 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिक्रमण हुआ। वन मंत्री अपने क्षेत्र से मात्र 9 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण से मुक्त करवा पाए हैं। इसके अलावा अतिक्रमण के मामले में खंडवा, शिवपुरी, छतरपुर और शहड़ोल सर्किल सबसे आगे हैं। इन सर्किलों में वन भूमि पर हर साल करीब 300 से लेकर एक हजार हेक्टेयर तक अतिक्रमण होता है। छतरपुर जिले में वर्ष 2017 में 5992 हेक्टेयर में अतिक्रमण किया गया, जिसमें से मात्र 22 हेक्टेयर क्षेत्र से अतिक्रमण हटाया गया है।
प्रति वर्ष खर्च होता है 26 सौ करोड़
वन विभाग वनों की सुरक्षा और विकास के नाम पर प्रति वर्ष विभाग 2600 करोड़ रूपए प्रति वर्ष खर्च करता है। इसके अलावा ग्रन इंडिया मिशन, कैंपा सहित अन्य मदों से विभाग को करोड़ों रूपए प्रति वर्ष दिया जाता है। इसके बाद भी वनों की सुरक्षा पूरी तरह से नहीं हो पा रही है। अतिक्रमण, अवैध कटाई और उत्खनन के मामले साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं।
प्रदेश में वन भूमि 95 हजार वर्ग किलोमीटर है।
टाप 5 राज्य — क्षेत्र वर्ग किमी में ——
मप्र —5347———-
असम —-3172
उड़ीसा–785
महाराष्ट्र—-605
अरूणांचल प्रदेश– 586
टाप 5 जिले —क्षेत्र हेक्टेयर में ये आंकड़े (2017 से 2019) तीन साल के अंदर के हैं
छतरपुर— 6477
खंडवा —-1997
शिवपुरी — 1224
ग्वालियर –685
शहडोल—-519
प्रदेश में वन भूमि पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण मालवा, चंबल और शहडोल क्षेत्र में होता है। अतिक्रमण पुलिस और प्रशासन के साथ अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रति वर्ष की जाती है। कई जगह पर अतिक्रमण हटाने के बाद लोग फिर से कर लेते हैं।
आलोक कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन विभाग