छत्तीसगढ़ ने भी 30 नवंबर 2018 तक किसानों का कर्ज माफ किया है। बैठक में एक ही बैंक का कर्ज माफ करने का प्रस्ताव था, लेकिन तय हुआ कि दो लाख रुपए तक का कर्ज माफ होगा, चाहे वह कितनी भी बैंकों से लिया हो।
उन किसानों को भी प्रोत्साहन राशि देने पर सहमति बनी, जिन्होंने समय पर कर्ज चुका दिया। यह प्रस्ताव 5 जनवरी की कैबिनेट में रखा जाएगा। कांग्रेस इस प्रस्ताव से लोकसभा चुनाव में फायदा देख रही है।
कृषि विभाग ने कर्जमाफी की प्रक्रिया का पूरा टाइम-चार्ट तैयार कर लिया है। कमलनाथ सरकार लोकसभा चुनाव के पहले पूरा कर्ज माफ करना चाहती है। इसलिए एक फरवरी के आस-पास ग्राम पंचायतों में कर्ज माफी के लिए पात्रता लिस्ट रख दी जाएगी।
पोर्टल आधारित लिस्ट के आधार पर किसान को आवेदन करना होगा। इसी के तहत दावे, आपत्ति व सत्यापन होंगे। इसके बाद 15 फरवरी से माफी का क्रियान्वयन व कर्ज चुका देने वाले किसानों के खातों में पैसा आना शुरू हो जाएगा।
ये तीन बड़े फायदे-
1- एक से अधिक बैंकों से कर्ज लेने पर भी दो लाख तक होगा माफ।
2- 30 नवंबर तक लिए गए किसानों के कर्ज होंगे माफ। 31 दिसंबर भी प्रस्तावित।
3- जिन्होंने निर्धारित समय में कर्ज चुका दिया है, उन्हें दो लाख तक मिलेगा वापस।
मंत्रियों ने ऐसे दिए सुझाव
– कमलेश्वर पटेल ने कहा, 30 नवंबर या 31 दिसंबर तक का कर्ज माफ हो। जीतू पटवारी ने कहा, किसानों को सीधा फायदा मिले। – बाला बच्चन ने कहा, हमने दो लाख तक का कर्ज माफ करने के लिए कहा है तो उतना होना चाहिए। भले ही यह तीन बैंकों से लिया हो।
– जयवद्र्धन सिंह ने कहा, हमें तेलंगाना मॉडल अपनाना चाहिए। कमलनाथ ने कहा, खजाने की हालत भी देखो। फिर बोले, चिंता मत करो। चाहे जो हो कर्ज तो माफ होगा और वचन-पत्र के हिसाब से ही होगा। उन्होंने अफसरों को न्यूनतम 30 नवंबर के हिसाब से प्रस्ताव बनाकर लाने को कहा।
अब इतना बोझ –
31 मार्च 2018 की बजाए 30 नवंबर 2018 तक का कर्ज माफ करने की स्थिति में सरकार पर 13 हजार करोड़ का अतिरिक्त बोझ आएगा। पहले 25 हजार करोड़ रुपए का बोझ आने का अनुमान निकाला गया था। यदि किसानों का चुकाया गया कर्ज भी लौटाया जाता है तो उसकी राशि अलग होगी।
इधर, विधानसभा में फ्लॉप रहे कार्यक्रमों पर नया दांव : –
वहीं दूसरी ओर भाजपा लोकसभा चुनाव की नैया अपने पुराने कार्यक्रमों के सहारे ही पार करने की तैयारी में है। इनके नामों में आंशिक बदलाव किया गया है।
इनमें से अधिकांश कार्यक्रम विधानसभा चुनाव में फ्लॉप रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय संगठन का लोकसभा चुनाव फतह करने तैयार तीन महीने का कार्यक्रम पुरानी किताब पर नए कलेवर जैसा दिख रहा है। भाजपा लोकसभा चुनाव के लिए कुछ नए कार्यक्रम भी बना रही है। इसमें युवा संसद, कैंपस एंबेसडर नेटवर्क योजना, यूथ आइकॉन नेटवर्क, ऑनलाइन स्लोगन, लोगो और जिंगल लेखन, नेशन विद् नमो लेखक सम्मान आदि शामिल हैं।
भाजपा सबसे ज्यादा फोकस ‘पहला वोट मोदी को’ कार्यक्रम पर करने जा रही है। भाजपा की नजर प्रदेश के 1.37 करोड़ युवा वोटरों पर है। इसमें से लगभग 50 लाख वोटर ऐसे हैं, जो लोकसभा चुनाव 2019 में पहली बार वोटिंग करेंगे
भाजपा को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले हैं। सीटों में भी हम थोड़ा सा ही पीछे हैं। हम लोकसभा में और अधिक शक्ति से अपने कार्यक्रम चलाकर जन-जन तक पहुंचेंगे। प्रदेश की सभी 29 सीटों पर भाजपा को विजय प्राप्त होगी।
– विजेश लुनावत, उपाध्यक्ष, प्रदेश भाजपा
ये कार्यक्रम हुए फेल-
कमल दीपक : भाजपा ने विधानसभा चुनाव के पहले कमल दीपावली मनाते हुए घर-घर कमल दीप जलाने का ऐलान किया था। यह कार्यक्रम फ्लॉप रहा। कार्यकर्ताओं ने इसमें भागीदारी ही नहीं की। अब इसे लोकसभा चुनाव के लिए कमल संदेश के नाम से फिर तैयार किया गया है।
मेरा घर-भाजपा का घर : अब इस कार्यक्रम का नाम बदलकर ‘मेरा परिवार-भाजपा का परिवार’ किया गया है। विधानसभा चुनाव के छह माह पहले चलाया गया यह अभियान सफल नहीं हो पाया था।
मोटरसाइकिल रैली : भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 30 जनवरी को भोपाल में युवाओं मोटरसाइकिल रैली निकालने का ऐलान किया था। फिर युवा मोर्चा ने हर जिला मुख्यालय पर मोटरसाइकिल रैली निकालने का ऐलान किया, लेकिन यह सफल साबित नहीं हुआ।
सैनिक सम्मान : विधानसभा चुनाव के पहले सैनिक सम्मान कार्यक्रम का ऐलान किया। यह कार्यक्रम कुछ स्थानों पर ही हो पाया। इस बार भी भाजपा ने 15 जनवरी से तीन मार्च के बीच सैनिकों के सम्मान के कार्यक्रम बनाए हैं। इसी तरह कमल कप खेल प्रतियोगिता, टाउन हॉल सभा और हर बूथ-दस यूथ कार्यक्रम भी सफल नहीं हुए।