अब शिकायत मिलने पर मध्यप्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग ने नगरीय निकाय व पंचायत चुनाव में प्रचार के लिए पशुओं के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. इस संबंध में सभी जिला कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारियों को आदेश जारी किए गये हैं. आदेश का उल्लंघन करने वाले प्रत्याशियों पर राज्य निर्वाचन आयोग सख्त कार्यवाही करेगा।
भोपाल में शनिवार को कोलार क्षेत्र में चुनावी रैली के दौरान ऊंट से करतब कराकर आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई गई थी। बीजेपी की महापौर प्रत्याशी मालती राय की चुनावी रैली में ऊंट के मुंह में आग रखकर करतब कराए गए और उठक-बैठक कराई गई। इतना ही नहीं निर्दयी तरीके से ऊंट को घुटनों के बल भी चलाया गया. हैरानी की बात यह है कि यह सब रैली में मौजूद भाजपा के दिग्गज नेताओं की आँखों के सामने होता रहा लेकिन किसी ने आपत्ति नहीं की।
आयोग की तरफ से जारी किए आदेश में भारत के संविधान के अनुच्छेद-51 क (छ) के मूल कर्त्तव्य के रूप में सजीव प्राणियों के प्रति करुणा दिखाने की अपेक्षा की गई है। संविधान में पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण अधिनियम-1960 और वन्य-जीव संरक्षण अधिनियम-1972 में प्रताड़ना पर प्रतिबंध लगाया गया है.
बेजुबान पर हुए अत्याचार की शिकायत कांग्रेस के महामंत्री और चुनाव आयोग कार्य प्रभारी जेपी धनोपिया ने चुनाव आयोग से की थी. कांग्रेस नेताओं की ओर से इस मामले को लेकर बीजेपी नेताओं के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की गई थी. निर्वाचन आयोग ने इस मामले पर तत्काल संज्ञान लेते हुए चुनाव प्रचार में पशुओं के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। आयोग के सचिव राकेश सिंह ने जानकारी देते हुए कहा है कि नगरीय निकायों और पंचायतों के निर्वाचन के दौरान किसी भी राजनैतिक दल अथवा अभ्यर्थी द्वारा प्रचार के लिए पशुओं का इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। इस संबंध में सभी जिला कलेक्टर को भी आदेश जारी हुए हैं।