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सियासी टेंशन बढ़ाः पहले चरण में 61% वोटिंग, पिछली बार से 7 फीसदी कम

locationभोपालPublished: Jul 07, 2022 10:13:04 am

Submitted by:

Manish Gite

mp local body election 2022- पिछली बार से कम वोटिंग होने से सियासत में टेंशन बढ़ गया है…।

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भोपाल. सूबे में निकाय चुनाव के पहले चरण का मतदान छिटपुट विवादों को छोड़कर शांतिपूर्ण रहा। ‘समझदार’ शहरी मतदाता ग्रामीण मतदाताओं से वोटिंग में पिछड़ गए। पंचायत चुनाव के दोनों चरणों में औसत 79% मतदान हुआ, जबकि निकाय चुनाव में बुधवार को 61% मतदान हुआ। यानी पंचायत से 18% कम। यह पिछली बार के निकाय चुनाव से भी लगभग 7% कम है।

विशेषज्ञों के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा मतदान का ट्रेंड रहा है। बहरहाल, 11 नगर निगम, 36 नगर पालिका और 86 नगर परिषद में मतदान हुआ। 59.10% महिलाओं, 63.20% पुरुषों, अन्य वर्ग के 34.60% लोगों ने मतदान किया। निकाय चुनाव में कम मतदान के पीछे और भी फैक्टर सामने आ रहे हैं। चुनाव का माहौल करीब दो महीने पहले से बन गया था, लेकिन उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों को प्रचार के लिए महज 24 दिन मिले।

 

सियासी टेंशन बढ़ा

पिछली बार की तुलना में इस बार 7 फीसदी कम मतदान होने पर सियासी टेंशन बढ़ गया है। राजनीतिक दल अब गुणा-भाग में लग गए हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे किसे फायदा होगा और किसे नुकसान होगा। पूरे ही प्रदेश में मानसून के चलते भी इसका असर पड़ा है, वहीं कई लोगों ने मतदान में दिलचस्पी नहीं दिखाई। उम्मीद की जा रही थी कई स्थानों पर बारिश रुकेगी तो वोटिंग प्रतिशत बढ़ेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

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पंचायत में ज्यादा क्यों

पंचायत चुनाव में क्षेत्र सीमित होता है। ज्यादातर लोग एक-दूसरे को जानते हैं। खासकर ग्राम पंचायत स्तर पर। ऐसे में प्रत्याशी और समर्थक मतदाताओं को घर से बाहर निकालकर मतदान कराने में सफल होते हैं।

 

राज्य में धीमी रही मतदान की रफ्तार

पिछले चुनावों को देखें तो इस बार वोटिंग का आंकड़ा कम है। 2004-2005 में लोगों में जबर्दस्त उत्साह था। सूबे में रेकॉर्ड 91.98% वोट पड़े थे। हालांकि इस बार के कम आंकड़े के दूसरे चरण के मतदान में बढ़ने की बात कही जा रही है। राज्य निर्वाचन आयोग के सेवानिवृत्त सचिव अरुण तिवारी के अनुसार शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में ज्यादा मतदान हर चुनाव का ट्रेंड रहा है।

मतदान के दौरान 114 बैलेट यूनिट और 61 कंट्रोल यूनिट को तकनीकी खराबी के कारण बदलना पड़ा। तब तक मतदान रुका रहा। सबसे ज्यादा ईवीएम इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर में खराब हईं।

 

बेरुखी की ये भी वजह

● भोपाल में बड़ी संख्या में मतदाताओं के वार्ड बदल गए।
● एक ही परिवार के लोगों के नाम अलग-अलग बूथ पर मिले।
● ग्वालियर में विधानसभा चुनाव में जहां वोट डाला था, वहां लोगपहुंचे तो पता चला कि दूसरेबूथ पर उनका नाम है।
● कई जगह तो ऐसा भी हुआ कि प्रत्याशी और समर्थकों के मनाने पर भी वोटर घर से नहीं निकले।
भोपाल में तोड़-फोड़

भाजपा के पूर्व महामंत्री सुनील पांडे की गाड़ी पर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के समर्थकों ने हमला कर दिया। पांडे को खबर मिली थी कि कांग्रेसी फर्जी तरीके से मतदान करवा रहे हैं। हमले में वाहन क्षतिग्रस्त हो गया।

भोपाल नगर सरकार के लिए 51 .64 फीसदी वोटिंग, पिछली बार से चार प्रतिशत कम हुआ मतदान

भोपाल में नगर सरकार चुनने के लिए भोपाल में इस बार शहर के आधे मतदाताओं ने ही रुचि दिखाई। मतदान प्रतिशत 51.64 फीसदी रहा। जबकि पिछली बार 56 फीसदी था। इस तरह 4 प्रतिशत कम वोटिंग हुई। अब नतीजों के लिए 17 जुलाई तक इंतजार करना पड़ेगा। सुबह-सुबह लोग बूथ पर वोट डालने पहुंचे तो उनके सामने मतदाता पर्ची न मिलने और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी सामने आने लगीं। जैसे तैसे ऐप से पर्ची डाउनलोड की तो पता चला पीठासीन अधिकारी के पास जो सूची है उसमें क्रम गड़बड़ाया हुआ है। कई जगह बूथ पर बैठे कर्मचारियों से भी मतदाताओं की तीखी बहस हुईं। इस बार 17 लाख 06 हजार 637 मतदाताओं में से 8 लाख 86 हजार 126 पुरुष, 8 लाख 20 हजार 343 महिला और 168 थर्ड जेंडर थे।

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