ऐसे समझें पहले दाखिला लेने का पेच
पहले राउंड की काउंसलिंग आठ जुलाई से शुरू हुई थी। 16 जुलाई को रतलाम, विदिशा और खंडवा के कॉलेजों को मान्यता मिल गई। इनकी 400 सीटों को मिलाकर अब एमबीबीएस की 1300 सीटें हो गई हैं। अब किसी छात्र को पहले राउंड की काउंसलिंग में निजी कॉलेज आवंटित किया गया है और वह सरकारी कॉलेजों की बढ़ी हुई 400 सीटों की काउंसलिंग में शामिल होना चाहता है तो निजी कॉलेज की फीस भरकर शामिल हो सकता है।
इसके बिना दूसरे राउंड में मौका नहीं मिलेगा। यदि कोई छात्र निजी कॉलेज की फीस भरने में सक्षम नहीं है तो उसके हाथ से सरकारी कॉलेजों की सीटों का मौका भी छूट सकता है। इतना ही नहीं, उसे एडमिशन लेने के बाद पहले वाली सीट छोडऩा होगा। इसके बाद ही दूसरी बार काउंसलिंग में शामिल हो सकेगा। दूसरे राउंड में सरकारी कॉलेज में प्रवेश मिलता है तो उसकी फीस काटकर निजी कॉलेज को संबंधित छात्र को फीस लौटाना होगी।
नीट की सूची से ही होंगे आयुष कॉलेजों में प्रवेश
प्र देश के आयुष कॉलेजों में प्रवेश नीट की पात्रता सूची से ही होंगे। एमबीबीएस और बीडीएस की काउंसलिंग पूरी होते ही इसकी प्रक्रिया शुरू होगी। हालांकि, आयुष कॉलेजों की मान्यता का मामला सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन ऑफ होम्यापैथी के पास अटका हुआ है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने फरवरी 2018 में मेडिकल से जुड़े सभी पाठ्यक्रमों में प्रवेश सीबीएसई की नीट के जरिए करने के निर्देश दिए थे।
लिहाजा सत्र 2018-19 से प्रदेश के बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस और नैचरोपैथी में प्रवेश इसी से होंगे। प्रदेश में भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, इंदौर, उज्जैन, बुरहानपुर, रीवा, रतलाम, मंदसौर आयुर्वेद कॉलेज सहित 54 आयुष कॉलेजों में प्रवेश होना है। आयुष संचालनालय संयुक्त संचालक डॉ. सतीशचंद्र शर्मा का कहना है कि सभी आयुष संस्थानों में नीट की पात्रता सूची से ही प्रवेश दिए जाएंगे। विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। मान्यता में प्रक्रियागत बिलंब है, लेकिन सत्र पर इसका असर नहीं होने दिया जाएगा।
एमबीबीएस के लिए पहले जो कॉलेज मिला है, उसमें एडमिशन लेना ही होगा। दूसरे राउंड की काउंसलिंग में सीधे शामिल नहीं किया जा सकता। ऐसे छात्र पहले आवंटित कॉलेज की एडमिशन प्रक्रिया पूरी करने के बाद बढ़ी हुई सीटों पर अपग्रेडेशन विकल्प का लाभ ले सकते हैं। ठ्ठ शिवशेखर शुक्ला, आयुक्त, चिकित्सा शिक्षा