अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक जल संसाधन और विकास राज्य मंत्री हर्ष सिंह, ऊर्जा विकास निगम से टैक्सी खर्च की प्रतिपूर्ति का दावा करने के लिए पिछले एक साल से नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय की मुहर का इस्तेमाल कर रहे हैं। लगभग साल भर पहले मंत्री हर्ष सिंह के पास नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा मंत्रालय का प्रभार था, जिसे सीएम शिवराज सिंह ने वापस ले लिया था। इसके बाद ये जिम्मेदारी ऊर्जा मंत्री पारस जैन को दे दी गई थी। इस फेरबदल के साथ ही आयुष मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह को दे दिया गया था। खबर है कि साल भर पहले ही वापस ले लिए गए मंत्रालय के प्रभार के बाद भी हर्ष सिंह गलत तरीके से अपने रसूख का इस्तेमाल करते रहे और वापस ले लिए गए मंत्रालय की मुहर लगाकर अपनी टैक्सी के बिल का भुगतान कराते रहे।
अभी भी ऊर्जा विकास निगम उठाता है सिंह की गाड़ियों का खर्च
अखबार की खबर के मुताबिक हर्ष सिंह चार कारों का इस्तेमाल करते हैँ। इनमें एक एसयूवी और इनोवा गाड़ी ऊर्जा विकास निगम द्वारा टैक्सी कोटा के अन्तर्गत इस्तेमाल की जा रही हैं। दोनों ही गाड़ियां हर्ष सिंह के गृह जिले सतना में संचालित हैं। निगम द्वारा हर्ष सिंह को एक इंडिगो मान्जा गाड़ी भी आवंटिक की गई है। इंडिगो के अलावा दोनों ही गाड़ियों के व्यय का भुगतान सरकारी खर्च द्वारा किया जा रहा है। गाड़ियां ऊर्जा विकास निगम हैं, जो कि अब हर्ष सिंह के प्रभार में नहीं हैं। फिर भी गाड़ियों का इस्तेमाल हर्ष सिंह द्वारा किया जा रहा है।
एक मंत्री… आधा दर्जन गाड़ियां
गाड़ियों की फेहरिस्त यहां खत्म नहीं होती। तीन गाड़ियां ऊर्जा विकास निगम द्वारा आवंटित किए जाने के बाद हर्ष सिंह को जल संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा एक इनोवा गाड़ी और सरकारी गैरेज से एक एसयूवी भी आवंटित की गई है। इतना ही नहीं आयुष मंत्रालय की ओर से भी एक गाड़ी जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर एमपी02 2277 है, हर्ष सिंह के इस्तेमाल करने के लिए जारी की गई थी।
इतना है हर्ष सिंह की गाड़ियों का खर्च
अखबार की खबर के मुताबिक ऊर्जा विकास निगम को हर महीने 80 हजार रुपए का बिल हर्ष सिंह के अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा भेजा जाता है। ये बिल इनोवा गाड़ी का है, जिसे हर्ष सिंह के स्पेशल ड्यूटी ऑफिसर बसंत बिरथरे और उनके निजी सचिव सुनील कुमार गुप्ता द्वारा निगम को भेजा जाता है। इसके अलावा निगम द्वारा जारी की गई एसयूवी गाड़ी के 6 महीने का बिल 2.5 लाख रुपए के रूप में निगम मुख्यालय को भेजा गया है।
ये हैं नियम
मध्य प्रदेश मंत्री(वेतन तथा भत्ता) अधिनियम,1972 के मुताबिक किसी राज्य मंत्री को एक गाड़ी और दो ड्राइवर दिए जाने का प्रावधान है। इसके अलावा प्रदेश सरकार के मंत्रियों को 350 किमी तक की यात्रा का भुगतान किया जाता है, वहीं राज्य मंत्रियों के लिए ये सीमा 300 किमी तक की है। यानि इतनी यात्रा करने पर सरकार मंत्रियों और राज्य मंत्रियों को खर्च का भुगतान करती है। साफ जाहिर है कि मंत्री हर्ष सिंह द्वारा इन दोनों ही नियमों का उल्लंघन किया गया है। अब देखना होगा कि सरकार इस ओर क्या कदम उठाती है।