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पटवारी परीक्षा निरस्त: करीब 6 दर्जन उम्मीदवारों के खिलाफ FIR के आदेश जारी

locationभोपालPublished: Jan 13, 2018 04:49:28 pm

पटवारी परीक्षा को निरस्त कर दिए 77 उम्मीदवारों के खिलाफ FIR के आदेश…

Patwari Pariksha
भोपाल। पटवारी भर्ती में हुए घोटाले के बाद राजस्व विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसके चलते राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव अरुण पाण्डेय ने साल 2006 में हुई पटवारी परीक्षा को निरस्त कर दिया है। इतना ही नहीं इस परीक्षा में चयनित हुए 77 पटवारियों पर एफआईआर के लिए श्योपुर प्रशासन को पत्र भी भेजा है।
प्रमुख सचिव पाण्डेय ने चयनित पटवारियों पर एफआई का जिम्मा कलेक्टर पीएल सोलंकी व एसपी डॉ. शिवदयाल सिंह को दिया है। जबकि हाईकोर्ट में चल रहे साल 2006 में हुई पटवारी चयन परीक्षा के मामले में कोर्ट ने अभी तक कोई फैसला नहीं दिया है।
ज्ञात हो कि पटवारी परीक्षा का यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक चला गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की सभी दलीलेें खारिज करते हुए दिसंबर 2014 में चयनित पटवारियों के पक्ष में फैसला देते हुए मप्र शासन को आदेश दिए थे कि वह पटवारियों को ज्वाइनिंग दें लेकिन, राजस्व विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी चयनित उम्मीदवारों को ज्वाइनिंग नहीं दी।
इस मामले में दो साल तक भोपाल व श्योपुर के अफसर एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। इससे परेशान चयनित उम्मीदवारों ने कोर्ट की अवमानना की याचिका ग्वालियर हाईकोर्ट में लगा दी। ग्वालियर हाईकोर्ट में पिछले दो महीने में इस मामले में 5 तारीखें लग चुकी हैं।
इस मामले में अब 18 जनवरी की तारीख लगी है। यानी, हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करवाने का मामला अभी विचाराधीन है लेकिन, राजस्व विभाग के पीएस अरुण पांडेय ने पिछले महीने इस मामले को अलग ही रुख दे दिया। पांडेय ने सभी पटवारियों को पद से बर्खास्त करने के आदेश देकर उन पर एफआईआर के निर्देश दिए।
आदेश में ये है खामी:
इस आदेश में तकनीकी खामी यह है कि, जब पटवारियों को अब तक ज्वाइन ही नहीं कराया गया तो बर्खास्तगी कैसी? इस सवाल का जवाब कोई अफसर देना नहीं चाहता। अलबत्ता 15 दिसंबर को पीएस अरुण पांडेय ने 2006 पटवारी भर्ती परीक्षा को निरस्त कर दिया व आदेश श्योपुर भी भेज दिए। मंगलवार को पांडेय का एक और पत्र श्योपुर कलेक्टर-एसपी के पास पहुंचा है जिनमें 77 पटवारी उम्मीदवारों पर एफआईआर कराने के आदेश हैं।
तीन उम्मीदवार की हो चुकी है मौत:
राजस्व विभाग ने जिन 77 पटवारी उम्मीदवारों पर एफआईआर का जिम्मा श्योपुर कलेक्टर-एसपी को सौंपा है उनमें से तीन की मौत हो चुकी है। लता शर्मा ने तो सदमें में फांसी लगा ली थी और नौकरी न मिलने के सदमें भी एक अन्य युवक मदन सोनी की जान चली गई थी। इतना ही नहीं कई युवाओं की संविदा शिक्षक के तौर पर नौकरी लग चुकी है। करीब 6 युवा ऐसे हैं जिन्होंने दोबारा 2013 में हुई पटवारी चयन परीक्षा पास की उसके बाद पटवारी की नौकरी ज्वाइन कर ली। यदि इन पर भी एफआईआर हुई तो इनकी नौकरी संकट में आ जाएगी।
पूर्व में इन पर हुई थी एफआईआर
पटवारी चयन भर्ती प्रक्रिया में शासन ने सबसे पहले अफसरों को दोषी माना था इसीलिए, साल 2008 में ही श्योपुर के तत्कालीन कलेक्टर सहित 14 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। शासन के आदेश पर तत्कालीन कलेक्टर एमएस भिलाला, डिप्टी कलेक्टर कमलेश पुरी, एसएलआर हरफूल सिंह गुर्जर, जिला शिक्षा अधिकारी रामजीलाल उपाध्याय, एसएलआर एमपी बदरेंठिया, एमएल गुप्ता, नायब तहसीलदार रामदीन सेमिल, आरआई प्रभूलाल नारौलिया, काशीराम लखन, अशोक निर्मल, रघुवीर जाटव, मुश्ताक अहमद, पीएस धाकड़ और बलराम जाटव पर श्योपुर कोतवाली में कार्य के प्रति लापरवाही सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है।
पीएस व कलेक्टर 18 को कोर्ट में तलब
चयनित पटवारियों की ओर से हरिओम गौतम व अन्य ने ग्वालियर हाईकोर्ट में मामला लगाया है। पिछली तीन तारीखों से हाईकोर्ट प्रमुख सचिव राजस्व का शपथ पत्र मांग रहा है लेकिन, सरकारी वकील कोई न कोई दलील देकर प्रमुख सचिव का शपथ पत्र अब तक पेश नहीं कर पाए हैं।
गुरुवार को लगी तारीख में हाईकोर्ट न्यायाधीश ने सरकारी वकील को भी फटकारा क्योंकि, इस प्रकरण को लड़ने के लिए वकील ने अपना हलफनामा नहीं लगाया। पक्षकार हरिओम गौतम ने बताया कि 18 जनवरी को हाईकोर्ट ने पीएस अरुण पांडेय और श्योपुर कलेक्टर को कोर्ट में पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा है।
वहीं इस पूरे मामले को लेकर श्योपुर कलेक्टर पीएल सोलंकी का कहना है कि राजस्व विभाग से 2006 के चयनित पटवारियों पर एफआईआर कराने के निर्देश मिले हैं। इस संबंध में पुराने रिकॉर्ड देखे जा रहे हैं। जल्द ही निर्देशों का पालन कराया जाएगा।

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