राज्यपाल लालजी टंडन ने कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ( mp government ) को अल्पमत में बताते हुए भले ही सदन में बहुमत सिद्ध करने के निर्देश दे दिए हों, लेकिन सरकार तैयार नहीं है। तर्क दिया जा रहा है कि राज्यपाल ने संविधान के जिस नियम के तहत फ्लोर टेस्ट के निर्देश दिए हैं, सदन उसको मानने बाध्य नहीं है। निर्णय सदन को करना है कि सरकार कब बहुमत सिद्ध करे। संभावना जताई जा रही है कि यदि सरकार राज्यपाल का आदेश नहीं मानती है तो भाजपा सुप्रीम कोर्ट में जाने से लेकर राज्यपाल को राष्ट्रपति शासन लगाने तक की सिफारिश कर सकती है।
वहीं, राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के निर्देश के खिलाफ कांग्रेस सरकार भी सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) जा सकती है। बहरहाल, कमलनाथ अग्नि परीक्षा टालेंगे या पास करेंगे… इसका खुलासा सोमवार को ही होगा। सरकार ने बेंगलूरु में रुके सिंधिया समर्थक विधायकों को सीआरपीएफ सुरक्षा देने की शर्त मान ली है, लेकिन इसके बावजूद इन विधायकों का सोमवार के विधानसभा सत्र ( MP Assembly session ) में शामिल होने की संभावना नहीं है।
इधर, देर शाम विधानसभा सचिवालय से जारी सोमवार की कार्यसूची में विश्वास मत का जिक्र नहीं है। इसके पहले राज्यपाल ने सीएम कमलनाथ को दूसरा पत्र लिखकर कहा कि यदि बटन दबाकर मत विभाजन की व्यवस्था नहीं है तो हाथ उठवाकर मत विभाजन कराया जाए। इधर, सीएम रविवार आधी रात को राज्यपाल से मिले। बोले- बुलावे पर आया था। सरकार सुरक्षित है।
कांग्रेस ( Congress ) का दावा- सरकार सुरक्षित, बंधक विधायकों को छुड़वाया जाए –
विधानसभा अफसरों ने कहा- बटन दबाकर मत विभाजन करने की व्यवस्था नहीं…रा ज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र की कॉपी विधानसभा अध्यक्ष और विधानसभा प्रमुख सचिव को भेजी थी। इसमें फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया स्पष्ट तौर पर लिखी है।
इसके तहत फ्लोर टेस्ट के दौरान मत विभाजन बटन दबाकर ही होगा, अन्य कोई प्रक्रिया ना अपनाई जाए। इस पर विधानसभा सचिवालय ने कह दिया कि सदन में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे मत विभाजन बटन दबाकर हो। इस पर राजभवन ने विधानसभा अफसरों को पूरी जानकारी के साथ बुला लिया।
राज्यपाल ( mp governor lalji tandon ) ने शनिवार को आधी रात बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ( Chief Minister Kamal Nath ) को पत्र लिखकर कहा था कि मुझे प्रथमदृष्टया विश्वास हो गया है कि आपकी सरकार ने सदन का विश्वास खो दिया है। आपकी सरकार अल्पमत में है। यह स्थिति अत्यंत गंभीर है। ऐसे में अभिभाषण के तत्काल बाद सदन में विश्वास मत हासिल करें। कमलनाथ सरकार ने राज्यपाल के पत्र में इस तकनीकी गलती को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने का आधार बनाया है।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक ( Karnataka ) के मुख्यमंत्री एसआर मोम्बई के प्रकरण में फैसला दिया था कि सरकार बहुमत में है या नहीं, यह किसी व्यक्ति के निजी विचारों का विषय नहीं है। चाहे वह राज्यपाल हो या फिर राष्ट्रपति। इसका फैसला सदन में ही हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को हिदायत भी दी थी कि किसी भी राज्य सरकार के बहुमत का निर्णय राजभवन में नहीं बल्कि विधानसभा में हो।
व्हिप और क्रॉस वोटिंग का गणित
– यदि विधानसभा का कोई सदस्य पार्टी के व्हिप ( Whip ) का उल्लंघन करते हुए फ्लोर टेस्ट में दल के खिलाफ जाता है तो उसके वोट की गिनती तो होगी, लेकिन सदस्यता चली जाएगी।
– ऐसे में यदि बागी 16 विधायक फ्लोर टेस्ट ( cross voting ) के दौरान सरकार के खिलाफ वोट डाले तो सरकार का गिरना तय है। गैर हाजिर रहने पर भी सदस्यता चली जाएगी।
– यदि सभी बागी 16 विधायक सरकार के पक्ष में वोट डाले तो ही सरकार बच सकती है।
ये है समीकरण
6 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस व समर्थकों की संख्या 115 हो गई है।
अगर 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होते हैं तो कांग्रेस के पास 99 विधायक रह जाएंगे।
ऐसे में सदन की संख्या 206 और बहुमत का आंकड़ा 104 होगा। भाजपा ( BJP ) के पास 107 और कांग्रेस के पास 99 विधायक होंगे।