मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी ने 13 मार्च से 30 जून तक के लिए गुजरात को 330 मेगावाट बिजली देने का करार किया। वहीं महाराष्ट्र को 295 मेगावाट बिजली दी है। कंपनी ने वर्तमान में अनुपयोगी मानते हुए ये बिजली छोड़ी है।
सिर्फ इतना ही नहीं दूसरे प्रदेशों को महंगी बिजली बेचने के साथ रबी सीजन के लिए बैकिंग पर जोर दिया जा रहा है। अप्रैल माह में बिजली की मांग में अप्रत्याशित तेजी आई जिसका पूर्व आकलन नहीं हो पाया। बिजली की मांग 12,200 मेगावाट के करीब पहुंच चुकी है। पिछले साल तक अप्रैल में बिजली की मांग 10 हजार मेगावाट के आसपास रहती थी पर इस साल जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई। कोयले की कमी के कारण बढ़ी हुई मांग की पूर्ति पावर प्लांट से नहीं हो पा रही है। ऐसे में अब प्रदेश के हिस्से की बिजली गुजरात और महाराष्ट्र को बांटने का खामियाजा प्रदेश की जनता को बिजली कटौती के रूप में भुगतना पड़ रहा है।
इधर ऊर्जा विभाग का दावा है कि प्रदेश में 22 हजार मेगावाट बिजली की उपलब्धता है। जरूरत पड़ने पर इतनी बिजली मिल पाएगी। मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी के प्रबंध संचालक विवेक पोरवाल बिजली कटौती और कमी से साफ इंकार कर रहे हैं। उनका कहना है कि प्रदेश में पर्याप्त बिजली है। कहीं भी बिजली कटौती नहीं हो रही है। कहीं—कहीं मेंटनेंस की वजह से कुछ समय के लिए बिजली बंद की जा रही है।