Mp Toll: टोल वसूली कर भर ली जेब, मरम्मत से पीछे हट रहीं कंपनियां
भोपालPublished: Mar 29, 2022 12:31:21 am
-5 सड़कों की जिम्मेदारी से मुक्त होना चाह रहीं-गंगोत्री कंपनी ने मरम्मत करने से हाथ खड़े किए-पाथ-वे कंपनी ने खुद को टर्मिनेट करने लिखा
Mp Toll: टोल वसूली कर भर ली जेब, मरम्मत से पीछे हट रहीं कंपनियां
भोपाल. वाहन चालकों से भारी भरकम टोल वसूलने के बाद भी राऊ-महू-मंडलेश्वर सहित प्रदेश की पांच सड़कों के निर्माण और रखरखाव से कंपनियों ने हाथ खड़े कर दिए। लंबे समय से टोल वसूली, सड़क निर्माण और मरम्मत कर रही कंपनियां को अब सड़कों का रखरखाव भारी पडऩे लगा है। गंगोत्री कंपनी ने डेहरदा-ईशागढ़, झाबुआ-जोबट-बागकुक्षी और थांदला-लिमड के मरम्मत का काम बंद कर दिया है। अब इन सड़कों पर मरम्मत का काम एमपीआरडीसी गंगोत्री कंपनी की किस्तों से करा रहा है। वहीं पाथ-वे कंपनी ने एमपीआरडीसी को पत्र लिखकर अपने आप को टर्मिनेट करने के लिए कहा है। पाथ-वे कंपनी खंडवा-डेढ़तलाई और महू-राऊ-मंडलेश्वर में मरम्मत का काम जैसे-तैसे कर रही है। अब कंपनी इन सड़कों के निर्माण कार्य से खुद को अलग करना चाह रही है। कंपनी ने एमपीआरडीसी को इसके पीछे की वजह टोल वसूली में लगातार आ रही कमी का हवाला दिया है। उसका कहना है कि टोल वसूली से कंपनी निर्माण कार्य नहीं करा पा रही है। इसी कारण से खुद को टर्मिनेट करने के लिए लिखा है। क्योंकि अगर एमपीआरडीसी उसे टर्मिनेट करता है तो उसे तमाम तरह के पेनाल्टी क्लाज से राहत मिल जाएगी। हालांकि एमपीआरडी ने अभी दोनों में से किसी कंपनी को टर्मिनेट नहीं किया है।
अभी दोनों कंपनी वसूल रही टोल
अभी पाथ-वे और गंगोत्री दोनों कंपनी इन पांचों सड़कों से टोल वसूल रही हैं। इसके बाद भी इन्हें सड़कों के संधारण करने में दिक्कत आ रही है। जानकारों का मानना है कि अब इन सड़कों की स्थिति ज्यादा खराब हो गई है, इस कारण कंपनियों मरम्मत के काम से बचना चाह रही हैं। इस मामले में एमपीआरडीसी का कहना है कि ये कंपनियां जहां सड़क की मरम्मत नहीं कर रही है, वहां एमपीआरडीसी खुद कर रहा है। निर्माण की राशि कंपनियों की किस्तों से वसूल की जा रही है।
पांच कंपनियां पहले छोड़ चुकी हैं सड़कें
पिछले पांच वर्षों में प्रदेश में सड़क बनाने वाली पांच कंपनियां भोपाल बायपास सहित 10 सड़कों के रखरखाव से हाथ खींच चुकी हैं। अब इन सड़कों के निर्माण और मरम्मत करने का काम या तो एमपीआरडीसी कर रहा है या फिर किसी नई एजेंसी को दिया गया है। इनमें सबसे ज्यादा ए-सेल ग्रुप हंै, जिसने सागर-दमोह, दमोह-जबलपुर, महू-घाटा-बिल्लोद, भिंड-मियोना-गोपालपुरा, बीना-खिमलासा-मालथोन सड़कों के रखरखाव से हाथ खीचे हैं। जबकि बलेचा कंपनी ने लेबड-मानपुर, ट्रांसट्राय कंपनी ने भोपाल बायपास और रेमकी कंपनी ने सीहोर-इछावार-कोसमी और इंदौर-उज्जैन के निर्माण से अपने को अलग किया है। सड़क निर्माण नहीं करने को लेकर कई कंपनियों के मामले ट्रिब्युनल और कोर्ट में भी चल रहे हैं।