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भोपाल

अपने गढ़ की चुनौतियों पर कितना गौर करेगी भाजपा

अपने गढ़ की चुनौतियों पर कितना गौर करेगी भाजपा

भोपालSep 05, 2018 / 07:12 am

anil chaudhary

@प्रवेंद्र तोमर/देवेंद्र शर्मा की रिपोर्ट –

भोपाल. राजधानी भाजपा का गढ़ है, लेकिन इस बार उसके दरपेश बड़ी चुनौतियां हैं। विधायकों की सीट बदलने को लेकर दबाव साफ देखा जा सकता है। सबसे अधिक उथल-पुथल गोविंदपुरा सीट पर है। जहां आधी सदी से बाबूलाल गौर विधायक हैं। गौर की उम्र को लेकर भाजपा संशय में है। इससे भाजपा के दूसरे नेताओं और कांग्रेस ने यहां सक्रियता बढ़ा दी है। वार्डों के जरिए दक्षिण-पश्चिम सीट का दरवाजा खोलने की भी तैयारी है। उधर, कांग्रेस में असली संकट हर चुनाव की तरह दावेदारी को लेकर है। दोनों जगह सपाक्स भी सक्रिय है, लेकिन दावेदारी किसी की तय नहीं है।

दक्षिण पश्चिम : भाजपा के गढ़ मेंं सेंध की तैयारी
कांग्रेस और आम आदमी पार्टी सेंध लगाने की जुगत में है। लगातार 15 साल से इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे भाजपा विधायक और मंत्री उमाशंकर गुप्ता को भी इसका अहसास है। उन्होंने प्रचार शुरू कर दिया है। आम आदमी पार्टी से प्रत्याशी के रूप में प्रदेश संयोजक आलोक अग्रवाल भी जमावट में जुटे हैं। यहां 2.25 लाख मतदाता हैं।


** 2013 के वोट
– उमाशंकर गुप्ता, भाजपा- 80 हजार
– संजीव सक्सेना, कांग्रेस – 62 हजार

– भाजपा के मजबूत दावेदार
उमा शंकर गुप्ता- वर्तमान विधायक, प्रदेश सरकार में मंत्री
सुरेंद्रनाथ सिंह – भाजपा जिलाध्यक्ष व मध्य विधायक।
विजेश लुणावत – प्रदेश उपाध्यक्ष, संगठन में पकड़।
हितेश वाजपेयी – खाद्य व आपूर्ति निगम के अध्यक्ष, विनय सहस्त्रबुद्धे के करीबी
लिली अग्रवाल – क्षेत्र के लोगों से लगातार संपर्क, जिला महामंत्री
रामदयाल प्रजापति- माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष, सीएम के करीबी
धु्रवनारायण सिंह – पूर्व विधायक

– कांग्रेस के मजबूत दावेदार
पीसी शर्मा – कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष, अच्छी जमीनी पकड़
आभा सिंह – संगठन में मजबूत पकड़।
अमित शर्मा – पार्षद, युवाओं के बीच सक्रिय।
प्रदीप मोनू सक्सेना – पार्षद, क्षेत्र में सक्रिय।
प्रवीण सक्सेना – संगठन में पकड़, संजीव सक्सेना के भाई
संजीव सक्सेना- पूर्व प्रत्याशी, लेकिन व्यापमं प्रकरण में उलझे


** ये हैं चार मुद्दे
– स्लम, अतिक्रमण-अवैध निर्माण, बढ़ते अपराध, और अव्यवस्थित हाट-बाजार।

* विधायक की परफॉर्मेंस
गुप्ता 15 साल से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। विकास के बड़े प्रोजेक्ट में टीटी नगर का स्मार्टसिटी के तहत चयन कराना। स्लम के लोगों के लिए 2000 मकान बने।

* चुनौतियां
भाजपा – पार्टी के पुराने कार्यकर्ता नाराज हैं। इस बार आम आदमी पार्टी भी मैदान में है। कांग्रेस ने भी अच्छी पकड़ बनाई है।
कांग्रेस – पीसी शर्मा आजमाया हुआ चेहरा हैं। भाजपा इन्हें पटखनी देने के लिए डमी कैंडिडेट उतार सकती है।

क्षेत्र में काफी काम करने की जरूरत है। अपराध रोकना और अतिक्रमण हटाना बड़ी चुनौती है।
– डॉ. राहुल विजयवर्गीय, वैज्ञानिक

विकास हुआ है। अभी चुनाव में समय है और देखेंगे कि किसे वोट देना है। हाट बाजार और सड़क, नालियों को दुरुस्त करना जरूरी है।
– कमल गौड, व्यापारी

शराब की दुकानें सड़क पर हैं और सरेआम गुंडागर्दी से असुरक्षा का माहौल। इन्हें राजनीतिक संरक्षण है, इसलिए नकेल कसना जरूरी है।
– सोनिया गुप्ता, गृहिणी

गोविंदपुरा : यहां है प्रदेश की नजर
यहां पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर पिछले 50 साल चुने जा रहे हैं। इस बार भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। माली समाज के कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के साथ मंच साझा करने और तारीफ के कारण विवाद में आ चुके हैं। उनकी बहू पूर्व महापौर कृष्णा गौर उत्तराधिकारी के तौर पर सक्रिय हैं। कांग्रेस भी जोर आजमाइश में लगी है। आप पार्टी भी इस बार ताल ठोक रही है।
* 2013 के वोट
– बाबूलाल गौर, भाजपा -116586
– गोविंद गोयल, कांग्रेस – 45942
– भाजपा के मजबूत दावेदार
बाबूलाल गौर – 50 साल से विधायक, पूर्व मुख्यमंत्री
कृष्णा गौर- भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष, गौर की उत्तराधिकारी
आलोक शर्मा – महापौर, क्षेत्र में सक्रिय हैं।
तपन भौमिक- पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष, संघ से जुड़े हुए
मनोरंजन मिश्रा- पूर्व प्रदेश महामंत्री, दिल्ली में पकड़
संजय सक्सेना- प्रदेश कार्यसमिति सदस्य
डॉ दीपक विजयवर्गीय- मुख्यप्रवक्ता प्रदेश भाजपा
* कांग्रेस के मजबूत दावेदार
– गोविंद गोयल – 2013 का चुनाव हारे, दिग्विजय के करीबी
– गिरीश शर्मा- नगर निगम पार्षद, जमीनी पकड़
– रामबाबू शर्मा- पिपलानी ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष
– महेश मालवीय- पूर्व पार्षद, पुराने कार्यकर्ता
– राजेंद्र सिहं यादव- बीएचई थ्रिफ्ट सोसायटी के पूर्व अध्यक्ष
– जेपी धनोपिया- प्रदेश प्रवक्ता
– विभा पटेल – पूर्व महापौर, ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व
– प्रकाश चौकसे – युवक कांग्रेस के विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष।

* ये भी ठोक रहे ताल
– अक्षय हुंका – बेरोजगार सेना के अध्यक्ष
– कर्नेल सिंह – 2003 में लड़ चुके।
(उमाशंकर तिवारी – समस्याओं को लेकर लगातार आंदोलन।)

* ये हैं मुद्दे
– स्लम एरिया में विकास की कमी, भानपुर खंती की शिफ्टिंग, अवैध कॉलोनियां और जल निकासी का उचित प्रबंधन नहीं।
* चुनौतियां
भाजपा : बाबूलाल गौर के उत्तराधिकारी का चयन। ढलती उम्र के बाद भी उनकी दावेदारी।
कांग्रेस : 50 साल से जीत से दूर। कार्यकर्ताओं में निरंतरता का अभाव। आप से वोट बंटने का डर।
* जातिगत समीकरण
ब्राह्मण, कायस्थ, पाटीदार और ठाकुर वोट ज्यादा हैं। ऐसे में यहां एससी-एसटी फेक्टर असर डाल सकता है। गौर अपने परंपरागत वोटरों के भरोसे हैं। गोविंद गोयल वैश्य हैं। व्यापारियों में उनकी अच्छी पैठ है।
बाग मुगलिया में सड़क, बिजली और टै्रफिक की समस्या है। जनप्रतिनिधि को यदि जनता इनकी बार-बार याद दिलाए तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
– बीएल गुप्ता, समाजसेवी

विकास होना चाहिए, बरसात में सड़कें और नाले उफान पर आ जाते हैं। व्यापारी वर्ग को इंडस्ट्रीयल एरिया में विकास की दरकार है।
– सुनील दुबे, व्यवसायी

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