जबकि, विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी भी बड़ा मुद्दा है। प्रदेश के दो दर्जन अदिवासी जिलों में 29 लोगों को ही रोजगार के लिए कर्ज मिल पाया है। उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के गृह जिले रीवा में सिर्फ एक आदिवासी युवा को लोन मिला है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री संजय पाठक के संभाग में सिर्फ 4 लोगों को योजना का लाभ मिला है, जबकि उनके गृह जिले में किसी को लोन नहीं मिला। यही स्थिति अन्य मंत्रियों के जिलों की भी है। यह योजना पिछले दो साल से चल रही है।
मुख्यमंत्री युवा उद्यमी के तहत युवाओं को उद्योग स्थापित करने के लिए 10 लाख से लेकर दो करोड़ रुपए तक लोन दिया जाता है। लोन लेने पर पांच त्न ब्याज अनुदान सरकार देती है।
मंत्री गौरीशंकर शेजवार, सुरेन्द्र पटवा के रायसेन, रुस्तम सिंह के मुरैना, लालसिंह आर्य के भिंड, अर्चना चिटनीस के बुरहानपुर, अंतरसिंह आर्य के धार, गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह के सागर और वित्तमंत्री जयंत मलैया के दमोह जिले में किसी भी युवा को लोन नहीं दिया गया।
किस मंत्री के जिले में कितने लाभार्थी
सीएम शिवराज सिंह चौहान के सीहोर में एक, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के इंदौर में पांच, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के विदिशा में 1, जयभान सिंह पवैया, केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के ग्वालियर में 5, विस अध्यक्ष सीतासरन शर्मा के होशंगाबाद में दो, मंत्री नरोत्तम मिश्रा के दतिया में दो, यशोधरा राजे सिंधिया के शिवपुरी में 4, उमाशंकर गुप्ता, विश्वास सारंग के भोपाल में 3, पारस जैन के उज्जैन में 4, भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह, मंत्री शरद जैन के जबलपुर में 1, उद्योग मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के गृह जिले रीवा में एक युवा को लोन मिला है।