scriptmppcb durga pratima visarjan report | दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के बाद घटने की बजाय बढ़ गया डिजॉल्व ऑक्सीजन का लेवल, सबसे ज्यादा प्रदूषण खटलापुरा और संत हिरदाराम घाट पर | Patrika News

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के बाद घटने की बजाय बढ़ गया डिजॉल्व ऑक्सीजन का लेवल, सबसे ज्यादा प्रदूषण खटलापुरा और संत हिरदाराम घाट पर

locationभोपालPublished: Nov 09, 2022 06:14:56 pm

एमपीपीसीबी ने जारी की दुर्गा प्रतिमा विसर्जन की मॉनीटरिंग रिपोर्ट, प्रेमपुरा घाट पर लगातार सफाई के चलते गिरने की बजाय बढ़ गई डिजॉल्व ऑक्सीजन

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भोपाल. राजधानी में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के बाद जिन घाटों पर अच्छे तरह से सफाई हुई वहां प्रदूषण कम रहा। जहां सफाई नहीं हुई वहां का पानी प्रदूषित हो गया। विसर्जन के बाद सबसे ज्यादा प्रदूषण खटलापुरा और संत हिरदाराम घाट में रहा। यहां डिजॉल्व ऑक्सीजन (डीओ) का लेवल 4 से कम रहा जो जलीय जीवों के लिए घातक है। पानी में हैवी मेटल्स भी मिले हैं।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के समय की जांच रिपोर्ट मंगलवार को जारी की। इसमें राजधानी के प्रमुख छह विसर्जन घाटों के प्रतिमा विसर्जन के पहले और बाद में सैंपलों की जांच की गई। प्रतिमा विसर्जन के बाद कहीं भी डिजॉल्व ऑक्सीजन के लेवल में ज्यादा अंतर नहीं आया। कई जगह साफ-सफाई के कारण डीओ बढ़ गया। सबसे ज्यादा मूर्तियों का विसर्जन प्रेमपुरा और खटलापुरा घाटों पर होता है। नगर निगम अमला प्रेमपुरा घाट पर लगातार सफाई करता रहा इसलिए यहां डिजॉल्व ऑक्सीजन का लेवल नहीं गिर पाया। वहीं खटलापुरा घाट पर विसर्जन के पहले डीओ 4.6 था वहीं विसर्जन के दौरान 4.1 और बाद में यह घटकर 3.8 पर पहुंच गया। पीसीबी की टीम ने विसर्जन के दौरान 6 अक्टूबर को सेंपल लिए थे। इसके बाद वाले सेंपल 17 अक्टूबर को लिए गए थे। इसका साफ मतलब है कि यहां पर 10 दिन गुजरने के बावजूद सफाई नहीं होने के कारण पानी साफ नहीं हो पाया।
हैवी मेटल्स भी मिले
प्रतिमाओं के रंग रोगन में रायायनिक रंगों और अन्य हानिकारक रसायनों का उपयोग किए जाने का असर यह रहा कि अधिकांश घाटों पर विसर्जन के बाद पानी में हैवी मेटल्स भी मिले हैं। इनमें लैड, कॉपर, जिंक और मैंगनीज प्रमुख हैं। हालांकि क्रोमियम और कैडमियम नहीं पाया गया है। यदि इन प्रतिमाओं का विसर्जन सीधे जलस्रोतों में होता तो यह पानी में घुल जाते। यह तत्व किडनी, हड्डी आदि संबंधी कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
बीओडी की जांच नहीं
पीसीबी ने मॉनीटरिंग में बीओडी को शामिल नहीं किया है। इस पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। पर्यावरणविद डॉ सुभाष सी पांडे के अनुसार बीओडी से ही तो यह पता चलेगा कि पानी कितना प्रदूषित हुआ। केवल पीएच और डिजॉल्व ऑक्सीजन के आधार पर मॉनीटरिंग संपूर्ण नहीं कही जा सकती है।
विसर्जन के पहले, दौरान और बाद डिजॉल्व ऑक्सीजन की िस्थति
घाट - पहले- विसर्जन के दौरान- बाद में
हथाईखेड़ा- 5.5- 7.0- 6.6
खटलापुरा- 4.6- 4.1- 3.8
मालीखेड़ी- 4.1- 2.9- 4.2
प्रेमपुरा- 5.0- 7.6- 8.8
रानी कमलापति- 4.5- 12.1- 8.5
संत हिरदाराम- 0.0- 0.0- 3.1
स्रोत- एमपीपीसीबी की मॉनीटरिंग रिपोर्ट, सभी आंकड़े मिग्रा प्रति लीटर में ।
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