सूत्रों का कहना है कि नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस के सामने आदिवासी वोट बैंक को अपने साथ बनाए रखना चाहती है यहीं कारण है कि प्रदेश प्रभारी आदिवासी बाहुल्य जिलों का दौरा कर रहे हैं। मध्यप्रदेश की किसी भी पार्टी का हार और जीत के पीछे आदिवासी वोट बैंक बहुत मयाने रखता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रदेश की आदिवासी बाहुल्य 47 में से 31 सीटें जीत कर सत्ता में वापसी की थी।
मध्य प्रदेश के कुल जनसंख्या का लगभग 21% वोटर्स आदिवासी हैं। आने वाले नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में आदिवासी वोटर्स का चुनाव जीतने के महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। वर्तमान में कांग्रेस पास 31 आदिवासी विधायक हैं। ऐसे में कांग्रेस का फोकस आदिवासी वोटबैंक पर होगा।
राष्ट्रीय मतदाता दिवस के मौके पर राज्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा था कि मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनावों को अब और आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। 3 मार्च को फा वोटर लिस्ट प्रकाशित करने के बाद चुनाव कराए जाएंगे।