एनजीटी के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं होने से कॉलोनाइजर्स के हौंसले और बुलंद हो गए। कलियासोत नदी को मिट्टी-कोपरा आदि से पूरकर कॉलोनाइजर्स ने बहुमंजिला भवन बना दिए हैं। ढलान पर झुग्गी बस्तियां बस गईं। अब यह नदी सिर्फ नाला बनकर रह गई है। ऊंची अट्टालिकाओं ने नदी का रास्ता तक बदल दिया है। बारिश के दौरान अगस्त 2019 में डैम के गेट खुलने से जब नदी में पानी का तेज फ्लो हुआ तो मिट्टी खिसकने से इन मकानों पर खतरा मंडराने लगा था।
चार साल में भी नहीं हो पाया एनजीटी के आदेश पर अमल
एनजीटी ने वर्ष 2015 में डॉ सुभाष सी पांडे की याचिका पर कलियासोत नदी के दोनों किनारों से 33 मीटर के दायरे को ग्रीनबेल्ट मानते हुए उसके निर्माणों को तोडऩे के आदेश जारी किए थे। इसके बाद ट्रिब्यूनल के निर्देश पर जिला प्रशासन ने कलियासोत नदी के किनारे से 33 मीटर दायरे का सीमांकन करते हुए उसमें आने वाले निर्माणों को चिन्हित किया था। बाद में रहवासियों के विरोध के बाद एनजीटी ने उन्हें सुनवाई का अवसर दिया था। नगर निगम ने रहवासियों की सुनवाई की। यह पूरी प्रक्रिया होने के बाद भी अभी तक नगर निगम ने कोई कार्रवाई नहीं की।
कलियासोत किनारे निर्माणों की जांच संयुक्तरूप से की गई थी। इस मामले में कई विभाग शामिल थे और एनजीटी के माध्यम से मामला चला था। हम इसे दिखवाएंगे कि कहां पर है और स्थिति क्या है? उसके अनुसार ही कार्रवाई की जाएगी। – आलोक शर्मा, महापौर