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निगम के वार्ड-जोन को संभाल रहे दागी, कैसे सुधरे व्यवस्था?

locationभोपालPublished: Dec 30, 2018 01:26:51 am

Submitted by:

Ram kailash napit

गर निगम के वार्ड व जोन प्रबंधन से जुड़े कमचारियों पर सवाल खड़े होने लगे हैं
 

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Municipal Corporation

भोपाल. नगर निगम के वार्ड व जोन प्रबंधन से जुड़े कमचारियों पर सवाल खड़े होने लगे हैं। हाल में वार्ड 84 में बीएस साहू को बतौर प्रभारी नियुक्त करने के बाद फिर से ये निगम प्रशासन सवालों में फंस गया है। उन पर भी वार्ड 51 में प्रभारी रहते गड़बड़ी का आरोप है। हालांकि साहू व अपर आयुक्त रणवीरसिंह के अनुसार पूरा मामला गफलत का था, जो बाद में दूर कर ली गई, गड़बड़ जैसी कोई बात नहीं है।
निगम में इस तरह वार्ड-जोन में दागी बनते गए प्रभारी

– जोन 11 के प्रभारी मनोहर सक्सेना पर वार्ड 64 में रहते हुए एक मामले में एफआइआर दर्ज हुई थी। बाद में 65 के प्रभारी और अब जोन 11 के प्रभारी बने।
– जोन 17 के जोन प्रभारी राजेंद्र शर्मा जोन 4 में रहते हुए रिश्वतकांड में निलंबित किए गए थे।
– वार्ड 47 के प्रभारी दीपक भालेराव पर वार्ड 43 के प्रभारी रहने के दौरान तत्कालीन पार्षद अजीजुद्दीन ने जलदर की रसीदों में फर्जीवाड़ा पकड़ा था। निगम परिषद में मामला उठा था। इसी मामले में जोन छह के एआरओ अवधनारायण मकोरिया पर भी आरोप लगे थे।
– वार्ड 32 के संतोष त्रिपाठी पर न्यू मार्केट में नगर निगम की ही दुकानों के बीच की दीवारें हटाने के मामले में एक लाख रुपए की रिश्वत का मामला सामने आया था। महापौर आलोक शर्मा ने इन्हें निलंबित करने की निर्देश दिए थे। अब ये जोन 12 में प्रभारी है।
– जोन आठ के प्रभारी खलील मियां पर तो बीपीएल सूची में नाम दर्ज कराने का मामला सामने आया था। बाद में दबा दिया गया।
– जोन छह के प्रभारी श्रीराम पटेल को एक रिश्वतकांड में जोन 19 से हटाया था। इसके बाद जोन 11 में कर्मचारियों की शिकायत पर हटाया था। अब ये जोन छह में अफसर है और यहां हजेला अस्पताल को खुद के स्तर पर पांच गुना पेनल्टी मामले में फिर से विवाद में आए।
ये नहीं हटे कभी जोन से
– वार्ड 64 के प्रभारी राजेंद्र श्रीवास्तव शुरुआत से जोन 15 में ही पदस्थ है

– जोन 15 के प्रभारी संतोष श्रीवास्तव भी इसी जोन में वार्ड प्रभारी बने और फिर जोन प्रभारी
हम प्रशासनिक व्यवस्था के अनुसार ही पदस्थापना करते हैं। कई स्तरों इसके लिए चर्चा होती है। अंतिम निर्णय निगमायुक्त की सहमति से होता है।

– रणवीरसिंह, अपर आयुक्त

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