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सालों पुरानी कमजोर बुनियाद पर तान दिए तीन से चार मंजिला भवन

locationभोपालPublished: Jan 14, 2019 01:05:16 am

Submitted by:

Ram kailash napit

सरकारी एजेंसियों के इडब्ल्यूएस आवास में बदलाव कर कई मंजिला निर्माण

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भोपाल. बाणगंगा क्षेत्र की रमा नगर कॉलोनी को हाउसिंग बोर्ड ने करीब 25 साल पहले विकसित किया था। यहां 450 वर्गफीट दायरे वाले इब्ल्यूएस आवास बनाए थे, लेकिन यहां इसी प्लॉट एरिया पर यहां करीब 1800 वर्गफीट बिल्डअप एरिया के चार मंजिला भवन बन गए हैं। गौर से देखने या पूछने पर ही पता चलता है कि ये कभी दो कमरे के मकान थे। ये पूरा काम बिना अनुमति के हुआ है। स्मार्टसिटी के तौर पर विकसित शहर के लिए ये एक बड़ी समस्या बनकर उभर रही है। इसमें आशंका ये हैं कि इन आवासों की नींव एक मंजिला भवन के लिए थी, लेकिन इसी नींव पर चार मंजिल मकान तान दिया गया है जो खतरनाक साबित हो सकता है।

सिर्फ बाणगंगा या रमानगर ही नहीं, नेहरू नगर, सुभाष नगर, न्यू सुभाष नगर, अयोध्या बायपास, सोनागिरी, लहारपुर, टीला जमालपुरा, बैरसिया रोड, रासराखेड़ी, 1100 क्वार्टर साईं बोर्ड समेत शहर के 22 से अधिक क्षेत्रों में 5000 से अधिक इडब्ल्यूएस आवासों में ये मनमानी हुई है। पूरे मामले में संबंधित निर्माण एजेंसी के साथ नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा भी कटघरे में आ रही है। आखिर इतनी बड़ी संख्या में आवासों में बड़ा फेरबदल कैसे हो गया? जिस फ्लोर एरिया रेशियों (एफएआर) के आधार पर तय किया जाता है कि इस जमीन पर कितना निर्माण करना है, उसका क्या ध्यान क्यों नहीं रखने दिया गया? भविष्य में कमजोर नींव यदि किसी हादसे की स्थिति बनाती है कि दोनों ही एजेंसियों के संबंधित इंजीनियर ही इसके लिए जिम्मेदार होंगे।
ऐसे समझें स्थिति
– न्यू सुभाष नगर में हाउसिंग बोर्ड के मकानों में पीछे नाले पर स्लैब डालकर तीन मंजिला मकान खड़े कर लिए।
– अशोका गार्डन मुख्य मार्ग किनारे हाउसिंग बोर्ड के इडब्ल्यूएस मकानों को जोड़कर चार मंजिला भवन बना लिया। नीचे दुकानें निकाल दीं।
– रमा नगर में नगर निगम की भवन अनुज्ञा शाखा से जुड़े इंजीनियर तक ने दो इडब्ल्यूएस आवास जोड़कर बिना अनुमति चार मंजिला इमारत बना दी। यहीं न्यू मार्केट में एक प्रसिद्ध जूस सेंटर के मालिक ने चार मंजिला भवन बना लिया।
उपभोक्ता भी ठगा रहे
इन पुराने आवासों को जोड़कर बनाई मल्टियों में फ्लेट, दुकानें भी बेची जा रही है। अशोका गार्डन में इसके कई मामले हैं। अब पुरानी नींव पर नए फ्लैट बनाकर बेचने से उपभोक्ता अधिकारों का हनन भी हो रहा है।
नहीं मिल सकती है अनुमति
सरकारी एजेंसियों के इन आवासों में अतिरिक्त निर्माण के लिए सबसे पहले संबंधित एजेंसी से मंजूरी जरूरी है। यहां से मंजूरी के बाद निगम से अनुमति लेना पड़ती है। निगम अनुमति को फ्लोर एरिया रेशियों (एफएआर) के आधार पर कसती है। यदि संबंधित क्षेत्र का एफएआर डेढ़ है तो क्षेत्रफल का डेढ़ गुना तक निर्माण हो सकता है। यानि 450 वर्गफीट क्षेत्रफल है तो इसपर मिनिमम ओपन स्पेस छोड़कर 675 वर्गफीट तक बिल्डअप एरिया हो सकता है। यहां तो 1800 वर्गफीट बिल्डअप एरिया कर लिया है।
हाउसिंग बोर्ड या इस तरह की एजेंसी जब भी इडब्ल्यूएस श्रेणी के आवास बनाती है तो न्यूनतम एक मंजिला तक की ऊंचाई के अनुसार नींव बनाई जाती है। इससे अधिक यदि निर्माण होता है तो फिर दिक्कत आ सकती है। यदि अलग से पिलर नहीं बनाए गए हों तो फिर खतरा अधिक रहता है।
– शैलेंद्र बागरे, स्ट्रक्चरल इंजीनियर
सरकारी एजेंसियों के आवासों में बहुमंजिला इमारतों की जांच कराएंगे। इसकी शिकायतें हमारे पास तक पहले भी पहुंची है। आवासों में इस तरह की मनमानी खतरनाक हो सकती है।
– जयवद्र्धन सिंह, मंत्री आवास एवं शहरी विकास
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