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Breaking: भोपाल नगर निगम में हंगामा, मेट्रो से लेकर खटलापुरा मामले तक को लेकर गहराया विवाद with video

Municipal Corporation controversy latest : कहीं जिंदाबाद तो कहीं मुर्दाबाद तक के लगे नारे…

भोपालSep 28, 2019 / 03:53 pm

दीपेश तिवारी

Breaking: भोपाल नगर निगम में हंगामा, मेट्रो से लेकर खटलापुरा मामले तक को लेकर गहराया विवाद

भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भोपाल मेट्रो ( bhopal Metro ) के नामकरण को लेकर विवाद गहरा गया है। मेट्रो प्रोजेक्ट ( metro project )के पिछले दिनों हुए शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री कमलनाथ की मेट्रो का नाम बदलने घोषणा का भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने विरोध किया था।
वहीं इसके बाद आज यानि शनिवार को आइएसबीटी स्थित नगर निगम आॅफीस ( nagar nigam bhopal ) में आयोजित बैठक कार्यक्रम में मेट्रो का नाम बदलने को लेकर एक बार फिर हंगामा हो गया है।
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इससे पहले एमपी नगर में गायत्री मंदिर के पास भोपाल मेट्रो के शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल की ये मेट्रो भोज मेट्रो के नाम से जानी जाएगी।
मुख्यमंत्री का संबोधन खत्म होते ही भोपाल के महापौर आलोक शर्मा ने मेट्रो का नाम राजा भोज के नाम पर किए जाने का धन्यवाद किया।

वहीं शनिवार को आइएसबीटी स्थित नगर निगम आॅफीस में मेट्रो का नाम राजा भोज पर रखने पर भाजपा पार्षद केवल मिश्रा ने कमलनाथ को धन्यवाद किया। जबकि इस पर कांग्रेसी पार्षद ने विरोध किया, उन्होंने कहा है कि नाम रखने पर पुनर्विचार करने को कहेंगे।
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नगर निगम आॅफीस में इस दौरान पार्षदों ने खटलापुरा मामले को लेकर भी हंगामा किया गया। जहां इस दौरान मेट्रो को लेकर राजाभोज जिंदाबाद के नारे लगाए गए।
जबकि खटलापुरा मृतकों को सहायता राशि नहीं दिए जाने के आरोपों के चलते भाजपा पार्षदों में कमलनाथ के विरोध में नारे भी लगाए।

वहीं खटलापुरा हादसे की जांच 2013 के बेंच के अधिकारी से करने की जगह 1992 बीच की अधिकारी कल्पना श्रीवास्तव से करने की अनुशंसा की गई।
जबकि भोपाल मेट्रो मामले में महापौर का कहना है कि भोज मेट्रो नाम पर आपत्ति करना सही नही है, कांग्रेस पार्षद इनका विरोध कर रहे है। ये कमल नाथ का भी विरोध है।

कांग्रेस विधायक ने कहा भोपाल मेट्रो ही रहने दो…
वहीं मेट्रो प्रोजेक्ट के पिछले दिनों हुए शिलान्यास कार्यक्रम में सीएम कमलनाथ के मेट्रो का नाम बदलने घोषणा के बाद मंच पर विधायक आरीफ मसूद ने मुख्यमंत्री की ओर देखते हुए कहा था कि दादा भाई राजा भोज के नाम से कई काम हो चुके हैं और हो रहे हैं। इसलिए मेट्रो प्रोजेक्ट का नाम भोपाल मेट्रो ही रहने दिया जाए।
ऐसी होगी हमारी भोपाल मेट्रो…
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में चलने वाली मेट्राे रेल जयपुर की मेट्राे रेल जैसी ही हाेगी, लेकिन वहां की 6 कोच की बजाय भोपाल में तीन कोच की मेट्रो चलेगी।
यहां इसकी शुरुआत भले तीन काेच की ट्रेन से हाेगी, लेकिन यात्रियाें की संख्या बढ़ने पर काेच में इजाफा किया जाएगा। इसके चलने से यात्रियाें काे स्टेशन पर ज्यादा इंतजार नहीं करना हाेगा, उन्हें हर पांच मिनट में स्टेशन से मेट्राे रेल मिलेगी। हर स्टेशन पर ट्रेन मेट्रो 30 सेकंड ही रुकेगी।

राजधानी में कुल 27.87 किलाेमीटर के दो रूट एम्स से करोंद (14.99 किमी) व भदभदा से रत्नागिरी (12.88 किमी) पर मेट्राे रेल चलनी हैं, इसमें 6941.4 कराेड़ रुपए की लागत आएगी। मेट्राे रेल कार्पोरेशन के अधिकारियाें का दावा है कि दोनों रूट पर 2023 तक रेल का संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
वहीं भोपाल में मेट्रो के रूट पर कुल 27 मेट्राे रेल दाैड़ेंगी। हालांकि, शुरुआत 8 ट्रेनाें से ही हाेगी। शेष ट्रेनें डेढ़ से दाे साल के भीतर यात्रियाें की संख्या काे देखते हुए बढ़ाई जाएंगी।
अब तक ये हुआ: मेट्रो के लिए अब तक भोपाल में 278 करोड़ रुपए के टेंडर हो चुके हैं। सॉइल टेस्टिंग और डिजाइन टेस्टिंग का काम हो गया है। जमीन में भार की क्षमता के लिए पाइल टेस्टिंग भी सफल हुई है। तीन स्थानों पर डिजाइन के हिसाब से जमीन के नीचे पाइल टेस्टिंग की गई। मेट्रो का टेक्निकल बैकग्राउंड वर्क पूरा हो चुका है।
ये रहेगी रफ्तार: 80 किलाे मीटर प्रति घंटा रहेगी- मेट्राे रेल के ट्रैक पर रफ्तार की सीमा 90 किमी/घंटा तक हाेगी। हालांकि मेट्राे रेल अधिकतम 80 किमी/ घंटा की रफ्तार से ही चलेगी।

ये रहेगा किराया: यहां मेट्रो के लिए अभी तय नहीं- जयपुर में मेट्राे का किराया पांच से 15 रुपए है। हालांकि, भाेपाल में मेट्राे रेल का किराया अभी तय नहीं किया गया है।
लक्ष्य: कब चलेगी – यहां मेट्राे चलाने का लक्ष्य 2023 तय किया गया है। पिछले दिनाें मुख्यमंत्री ने काम तय समय से पहले पूरा करने को कहा है।

शिलान्यास कार्यक्रम में ये बोले थे मुख्यमंत्री कमलनाथ:
यहां शिलान्यास कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा था कि आज प्रदेश एक इतिहास बनाने जा रहा है। वे युवा अवस्था में जब भोपाल आते थे तो यहां की झील को देखकर दुख होता था।
वहीं जब मैं केंद्रीय पर्यावरण मंत्री था तब इस झील के रखरखाव के लिए राशि आवंटित की थी। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री रहते हुए मुझे यह अनुभव हुआ कि जब मेट्रो रेल जयपुर में, दिल्ली में चल सकती है तो फिर भोपाल में क्यों नहीं आ सकती है।
उन्होंने भोपाल मेयर से अपील की कि आप यहां के लोगों की मदद करें, दिल्ली जाएं और केंद्र सरकार से मदद की अपील करें।

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