पर्यटकों और कान्हा पार्क के गाइड के बीच मुन्ना के नाम से जाना जाने वाला बाघ टी-17 का पहले सफलतापूर्वक निश्चेतीकरण किया गया और फिर उसे भोपाल के लिए रवाना किया गया। गौरतलब है कि कान्हा के जंगल की शान कहा जाने वाला मुन्ना वृद्धावस्था से हताश होकर ग्रामीण इलाकों में अपना वर्चस्व कायम करने की फिराक में था। एक किशोरी का शिकार भी कर लिया। यही कारण है कि केटीआर प्रबंधन ने उसकी शिफ्टिंग का निर्णय लिया।
बच्ची को मार कर खा गया था मुन्ना कान्हा प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार, बाघ टी-17 की उम्र लगभग 15-16 वर्ष हो चुकी है। इसके केनाईन भी घिस गये हैं तथा यह वृद्ध हो चुका है। इन प्राकृतिक कारणों से इस बाघ को वन्यप्राणियों के शिकार करने में कठिनाई होती है।
इसके अतिरिक्त इसे कोर जोन में कम उम्र के बाघों से लड़ाई एवं घायल होने के भय से अपनी क्षेत्रीयता बफर एवं सामान्य वनमण्डल के क्षेत्र में निर्धारित कर ली। इससे बफर जोन से सटे ग्रामीण इलाकों में मुन्ना बाघ की सक्रियता बढ़ गई और क्षेत्र में भय का वातावरण व्याप्त होने लगा था।
हाल ही में 18 अक्टूबर को ग्राम झांगुल, कक्ष क्रमांक 376, झांगुल बीट, पश्चिम सामान्य वनमण्डल, मंडला के अंतर्गत 14-15 वर्ष की किशोरी अमृता पिता मनीराम परते को एक बाघ द्वारा मारकर तथा जंगल में घसीटकर उसके कुछ भाग को खाया गया था। इस घटना के बाद क्षेत्र में कान्हा टाईगर रिजर्व का अमला सक्रिय हुआ और हाथियों के साथ पूरे क्षेत्र की ट्रेकिंग की गई।
ट्रेकिंग के दौरान केटीआर के अमले को एक बाघ के पगमार्क एवं एक पिग के बच्चे का गारा मिला। 22 अक्टूबर को ट्रेङ्क्षकग के दौरान बाघ मिला जिसकी टी-17 के रूप पहचान की गई।
केटीआर के फील्ड डायरेक्टर एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि मुख्य वन्यप्राणी अभिरक्षक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक, (वन्यप्राणी), मप्र द्वारा टी-17 बाघ को शिफ्टि करने के लिए विधिवत आदेश दिए गए। जारी आदेश के परिपालन में इस बाघ को पश्चिम सामान्य वनमण्डल, बम्हनी परिक्षेत्र के बीट राता, कक्ष क्रमांक 791 से सफलतापूर्वक निश्चेतीकरण किया गया और फिर वन्यप्राणी रेस्क्यू वाहन द्वारा शाम लगभग 3.15 बजे वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, भोपाल के लिए रवाना किया गया।