यह था बाहुचर्चित शहला मसूद हत्याकांड
बता दें कि, 16 अगस्त 2011 को राजधानी भोपाल की बड़ी आरटीआई एक्टिविस्ट 38 वर्षीया शहला मसूद की उसके घर के बाहर कार में गोली मारकर हत्या कर दी गई। मामले को लेकर जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी इस केस की कड़ियां उलझने लगीं इस बीच मीडिया के दबाव में आकर प्रदेश सरकार ने 19 अगस्त 2011 को यह जांच सीबीआई को सौंप दी।
जैसे जैसे सीबीआई की जांच आगे बढ़ी इसमें कई सनसनीखेज़ खुलासे हुए एक अप्रत्याशित प्रेम त्रिकोण भी सामने आया, जिसने जांच की पूरी दिशा बदल दी। इस प्रेम त्रिकोण में शामिल पात्र थेः प्रेम दीवानी जाहिदा परवेज, जिसकी शादी भोपाल के सबसे रईस बोहरा खानदान में हुई थी. आशिक मिजाज ध्रुव नारायण सिंह, जो मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार के पूर्व राज्यपाल गोविंद नारायण सिंह के बेटे हैं और तेजतर्रार शहला मसूद, जो इवेंट मैनेजमेंट प्रोफेशनल होने के साथ आरटीआइ एक्टिविस्ट भी थीं।
हत्या में शाकिब की भूमिका
सीबीआई के वकील सोहन लाल नागर ने तर्क दिए कि मुख्य आरोपी जाहिदा परवेज के कहने पर शाकिब ने ही शूटर इरफान और ताबिश को कानपुर से बुलाया और अपने घर रखा था। इन्होंने तीन दिन तक शेहला के घर की रैकी की। उसके बाद रिवाल्वर व तीन कारतूस भी दिए। इरफान व ताबिश ने शाकिब के कहने पर शेहला की हत्या की। शाकिब भी घटनास्थल के पास मौजूद था। वकील ने अदालत से कहा- वारदात के बाद तीनों एक जगह इकट्ठा हुए, जहां जाहिदा कार में आई। उसने इरफान को तीन लाख रुपए दिए और सीबीआई जांच में यह भी सामने आया कि, जाहिदा ने शाकिब को पांच लाख रुपए की सुपारी दी थी।