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बच्चों ने किया सितार का अभ्यास

locationभोपालPublished: Jan 24, 2020 12:41:50 am

जवाहर बाल भवन में गुरुवार को संगीत प्रभाग में बच्चों के लिए सितार के संचालन पर केन्द्रित कार्यशाला का आयोजन किया गया

बच्चों ने किया सितार का अभ्यास

बच्चों ने किया सितार का अभ्यास

भोपाल. जवाहर बाल भवन में गुरुवार को संगीत प्रभाग में बच्चों के लिए सितार के संचालन पर केन्द्रित कार्यशाला का आयोजन किया गया। विशेषज्ञ निर्मला उपाध्याय ने बच्चों को सितार वाद्य की बैठक और उसे संचालित करने के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि भारतीय वाद्यों को चार विभागों में विभक्त किया गया है, जो कि तत्, सुषिर, अवगद्य व घन नामों से जाने जाते है। जिनमें तारों वाले वाद्यों को तत् वाद्य की श्रेणी में लिया जाता है, उन्हीं में सितार वाद्य भी शामिल हैै। सितार वाद्य की ध्वनि की मधुरता की अलग पहचान होती है तथा इसे लोकप्रिय बनाने में उस्ताद विलायत खां, पं. रविशंकर, उस्ताद अब्दुल हलीम जाफर खां और पं. निखिल बनर्जी के नाम उल्लेखनीय है। बच्चों को सितार बजाने और उसके सुरों का अभ्यास कराया गया।
बच्चों ने देखी जनजातीय कला व संस्कृति
पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस पर संग्रहालय से संवाद के अंतर्गत बाल और युवा दर्शकों को जोडऩे का अभियान शुरू किया गया, जिसके तहत गुरुवार को जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश के विभिन्न स्कूलों के लगभग 2000 बच्चों ने जनजातीय जीवन, कला, देवलोक, खेल दीर्घाओं का भ्रमण किया। उन्होंने कला शिल्पों का अवलोकन किया। बच्चों ने प्रदर्शनी दीर्घा लिखंदरा में शलाका-4 के अंतर्गत भीली चित्रकार शरामा बारिया द्वारा बनाए चित्रों को देखा। 9वीं कक्षा की छात्रा खुशी पाल ने बताया कि यहां आकर मैंने जनजातीय जीवन को समझा। वहीं, विशाल मीना ने बताया कि जनजातियों के घर और यहां संरक्षित कलाएं बहुत ही आकर्षक हैं। मैंने पहले कभी ये सब कुछ नहीं देखा था। यहां आने से मैंने मप्र की पुरानी संस्कृति और लोककलाओं को करीब से देखा। मुझे यहां आना काफी अच्छा लगा।

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