बच्चों ने देखी जनजातीय कला व संस्कृति
पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस पर संग्रहालय से संवाद के अंतर्गत बाल और युवा दर्शकों को जोडऩे का अभियान शुरू किया गया, जिसके तहत गुरुवार को जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश के विभिन्न स्कूलों के लगभग 2000 बच्चों ने जनजातीय जीवन, कला, देवलोक, खेल दीर्घाओं का भ्रमण किया। उन्होंने कला शिल्पों का अवलोकन किया। बच्चों ने प्रदर्शनी दीर्घा लिखंदरा में शलाका-4 के अंतर्गत भीली चित्रकार शरामा बारिया द्वारा बनाए चित्रों को देखा। 9वीं कक्षा की छात्रा खुशी पाल ने बताया कि यहां आकर मैंने जनजातीय जीवन को समझा। वहीं, विशाल मीना ने बताया कि जनजातियों के घर और यहां संरक्षित कलाएं बहुत ही आकर्षक हैं। मैंने पहले कभी ये सब कुछ नहीं देखा था। यहां आने से मैंने मप्र की पुरानी संस्कृति और लोककलाओं को करीब से देखा। मुझे यहां आना काफी अच्छा लगा।
पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस पर संग्रहालय से संवाद के अंतर्गत बाल और युवा दर्शकों को जोडऩे का अभियान शुरू किया गया, जिसके तहत गुरुवार को जनजातीय संग्रहालय में प्रदेश के विभिन्न स्कूलों के लगभग 2000 बच्चों ने जनजातीय जीवन, कला, देवलोक, खेल दीर्घाओं का भ्रमण किया। उन्होंने कला शिल्पों का अवलोकन किया। बच्चों ने प्रदर्शनी दीर्घा लिखंदरा में शलाका-4 के अंतर्गत भीली चित्रकार शरामा बारिया द्वारा बनाए चित्रों को देखा। 9वीं कक्षा की छात्रा खुशी पाल ने बताया कि यहां आकर मैंने जनजातीय जीवन को समझा। वहीं, विशाल मीना ने बताया कि जनजातियों के घर और यहां संरक्षित कलाएं बहुत ही आकर्षक हैं। मैंने पहले कभी ये सब कुछ नहीं देखा था। यहां आने से मैंने मप्र की पुरानी संस्कृति और लोककलाओं को करीब से देखा। मुझे यहां आना काफी अच्छा लगा।