चारों तरफ एक ही आवाज सुनाई दे रही है कि साहब महंगाई बहुत बढ़ गई है। ये केवल जुमला नहीं सच्चाई है। प्याज की कीमतें भले ही दो महीनों से आसमान पर बैठी थी और धीरे धीरे उतर भी रही है। लेकिन इसी बीच चुपके से महंगाई आपके किचन से लेकर पूरे घर में समा चुकी है। आम आदमी को चुभ रही महंगाई पर मुहर लगाई सीपीआई की रिपोर्ट ने जिसमें साफ लिखा है कि दिसंबर में महंगाई 7.35% हो गई…जो नवबंर में 5.54 प्रतिशत थी…साढ़े पांच साल में ये सबसे ज्यादा है…जुलाई 2014 में ये 7.39 पर थी…देश दो हिस्सों में बंटकर सीएए जैसे मुद्दों पर उलझा हुआ है लेकिन किसी को फुर्सत नहीं कि महंगाई पर बात करे…जाहिर सी बात है कि विपक्ष सीएए को भुनाने में जुटा है…और सत्ता पक्ष भी इसी पर वोट उगाने में जुटा है।
महंगाई पर राहुल का ट्वीट
‘कमरतोड़ महंगाई, जानलेवा बेरोजगारी और गिरती जीडीपी ने ‘आर्थिक आपातकाल’ की स्थिति बना दी है. सब्ज़ी, दाल, खाने का तेल, रसोई गैस व खाद्य पदार्थों की महंगाई ने ग़रीब के मुंह का निवाला छीन लिया है. मोदी जी ने देशवासियों के घरेलू बजट के टुकड़े-टुकड़े कर दिए हैं.’
हालांकि कांग्रेस ने मांग की कि इस मुद्दे पर तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए और जरूरी सामानों की कीमतें कम की जाए लेकिन दुर्भाग्य कि सीएए जैसे व्यर्थ के मुद्दे पर विपक्ष राजनीति करने में मसरुफ हैं। इधर मध्यप्रदेश के सीएम कमलनाथ ने भी एक अदद ट्वीट कर दिया।
महंगाई पर कमलनाथ
रोज़गार ग़ायब, बेरोज़गारी चरम पर, नौकरियाँ ग़ायब, महंगाई दर चरम पर, खाद्य पदार्थ महँगे, सब्ज़ी-दाल-खाने का तेल-प्याज़ सब महँगे, गिरती जीडीपी, व्यापार-व्यवसाय तबाही की कगार पर…. खैर विपक्ष के नेता सोचते हैं कि उनके ट्वीट से मोदी सरकार की चूलें हिल जाएंगी और फौरन महंगाई कम हो जाएगी…तो उनके भोलेपन का कोई सानी नहीं…हकीकत ये है कि महंगाई आने वाले दिनों में और बढ़ने वाली है और कम से कम ट्वीट करके तो उसे रोका नहीं जा सकता।
रोज़गार ग़ायब, बेरोज़गारी चरम पर, नौकरियाँ ग़ायब, महंगाई दर चरम पर, खाद्य पदार्थ महँगे, सब्ज़ी-दाल-खाने का तेल-प्याज़ सब महँगे, गिरती जीडीपी, व्यापार-व्यवसाय तबाही की कगार पर…. खैर विपक्ष के नेता सोचते हैं कि उनके ट्वीट से मोदी सरकार की चूलें हिल जाएंगी और फौरन महंगाई कम हो जाएगी…तो उनके भोलेपन का कोई सानी नहीं…हकीकत ये है कि महंगाई आने वाले दिनों में और बढ़ने वाली है और कम से कम ट्वीट करके तो उसे रोका नहीं जा सकता।
एक महीने में बढ़ी महंगाई
प्याज के दाम 150 रु. किलो तक पहुंचे
अभी भी प्याज 60 रु किलो तक बिक रहा
सीजन के बावजूद आलू 25-30 रु किलो
खाने के तेल के दाम 15 दिन में 20-40 रु ली. तक बढ़े
सरसो तेल के दाम में 30 रु. ली. का उछाल
घी के दाम पर 1 महीने में 50 रु. ली. तक बढ़े
दालों के दाम में 20-30 रु. किलो का उछाल
सांची दुग्ध संघ ने फिर 2 रु. लीटर बढ़ाए दाम
बिना शुद्धता की गारंटी वाला दूध भी 54 रु. ली. तक
गैस सिंलैंडर के दाम भी 30-40 रु. तक बढ़े
रेलवे टिकटों के दाम में मिनिमम 5 रु. की बढ़ोतरी
पेट्रोल के दाम अब तक के सर्वौच्च स्तर
मध्यप्रदेश में हमेशा की तरह पेट्रोल सबसे महंगा
प्याज के दाम 150 रु. किलो तक पहुंचे
अभी भी प्याज 60 रु किलो तक बिक रहा
सीजन के बावजूद आलू 25-30 रु किलो
खाने के तेल के दाम 15 दिन में 20-40 रु ली. तक बढ़े
सरसो तेल के दाम में 30 रु. ली. का उछाल
घी के दाम पर 1 महीने में 50 रु. ली. तक बढ़े
दालों के दाम में 20-30 रु. किलो का उछाल
सांची दुग्ध संघ ने फिर 2 रु. लीटर बढ़ाए दाम
बिना शुद्धता की गारंटी वाला दूध भी 54 रु. ली. तक
गैस सिंलैंडर के दाम भी 30-40 रु. तक बढ़े
रेलवे टिकटों के दाम में मिनिमम 5 रु. की बढ़ोतरी
पेट्रोल के दाम अब तक के सर्वौच्च स्तर
मध्यप्रदेश में हमेशा की तरह पेट्रोल सबसे महंगा
सरकार का कहना है कि चीज़ों की खपत कम हो रही है, लेकिन अगर खपत कम है तो क़ीमतें क्यों बढ़ रही हैं। दरअसल काफी समय से खाने-पीने की वस्तुओं के दाम नहीं बढ़े थे लेकिन अब अचानक आए उछाल से हर कोई परेशान है। दूसरी तरफ घटती नौकरियों से हर कोई डरा हुआ है। वेतन बढ़ना तो दूर की बात आज आम आदमी नौकरी जाने के डर से खौफजदा है ऐसे में सवाल यही है कि क्या विपक्ष की भूमिका केवल ट्वीटर तक सिमट कर रह गई है और मोदी सरकार भी वादे पूरे करने के साथ साथ महंगाई पर भी सर्जिकल स्ट्राइक कर दिखाए। ताकि जनता को थोड़ी राहत मिल सके। इसके अलावा जिम्मेदारी राज्य सरकारों की भी हैं जो महंगाई के मुद्दे पर सुस्त नजर आ रही हैं।