इस बार चतुर्थी और पंचमी तिथि 15 अगस्त को सुबह कुछ समय साथ रहेगी। शहर के ज्योतिषाचार्य पं. प्रहलाद पंड्या ने बताया कि चतुर्थी तिथि सुबह 7 बजकर 16 मिनट तक रहेगी, इसके बाद पंचमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी। इसलिए 15 अगस्त को ही पंचमी तिथि मान्य करते हुए नागपंचमी मनाई जाएगी। अधिकांश पंचांगों में भी नागपंचमी 15 अगस्त को ही मनाना बताया गया है।
पं. विष्णु राजौरिया के अनुसार इस दिन कुछ समय चतुर्थी तिथि रहेगी, उसके बाद पंचमी लगेगी, लेकिन नागपंचमी उदयाकालिक नहीं बल्कि मध्यान्न व्यापिनी पर्व है। दोपहर में ही इसकी पूजा होती है। इसलिए 15 अगस्त को ही यह पर्व मनाना श्रेयकर रहेगा।
पं. जगदीश शर्मा के अनुसार नागपंचमी के दिन इस बार कई शुभ योग विद्यमान रहेंगे। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग के साथ आनंद योग भी विद्यमान रहेगा। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा का विशेष विधान है। पूरे साल में यह दिन नागदोष, कालसर्प दोष के निवारण के लिए भी विशेष फलदायी माना गया है।
शहर के मंदिरों में भी नागपंचमी के आयोजन 15 अगस्त को ही आयोजित किए जाएंगे। लालघाटी स्थित गुफा मंदिर के पं. लेखराज शर्मा ने बताया कि नागपंचमी पर 15 अगस्त को विशेष पूजा अर्चना की जाएगी और भगवान का अलौकिक शृंगार होगा। तलैया स्थित बांके बिहारी मार्कडेंय मंदिर के पं. रामनारायण आचार्य ने बताया कि नागपंचमी पर मंदिर में काली घटा का शृंगार किया जाएगा। इसी तरह शहर के अन्य मंदिरों में भी आयोजन होंगे।
पंडितों के अनुसार यह दिन भगवान वासुकी अर्थात शेषनाग की उत्पत्ति का दिन माना जाता है। भगवान शेषनाग जो अपने सिर पर संपूर्ण पृथ्वी का भार उठाए हुए हैं। इस दिन भगवान शेषनाग के प्रतीक स्वरूप नागपूजा का विशेष महत्व माना गया है। संतान की आयुष्य और आरोग्य, अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए भगवान शेषनाग का पूजन किया जाता है। नागपंचमी मनाने का परम्परा प्राचीन समय से चली आ रही है।