इंदौर में जर्जर आवास तोडऩे के दौरान नगर निगम अमले के साथ विधायक के जरिए मारपीट का मामला चर्चा में है। राजधानी में भी बारिश के दौरान जर्जर आवास तोडऩे की बात कही जा रही है। ऐसे में यहां भी विवाद की स्थिति बन सकती है।
पुराने शहर में ऐसे भवनों की संख्या अधिक है। इनमें कई सौ साल से भी ज्यादा पुराने हैं। वहीं दूसरी ओर हाउसिंग बोर्ड और बीडीए के ऐसे आवास भी शामिल हैं जो कर्मचारियों के लिए बने थे। दूसरी जगह इन्हें कोई जगह इस कारण ये मकान छोडऩे तैयार नहीं है। बारिश के दौरान हर साल कई हादसे होते हैं।
– शौकत महल जर्जर हिस्सा इस बार नही गिरेगा
सदर मंजिल से लगे शौकत महल का ज्यादा जर्जर हैं। दो बार यहां कार्रवाई भी हो चुकी है। बावजूद इसके यहां कई परिवार रहते हैं। भवन को जर्जर घोषित करने के बाद भी लोगों को नहीं हटाया जा सका। मामला विवादों में रहा है। भवन के एक हिस्से में कई होटल्स भी खुल गई हैं। पुरातत्व संग्राहलय भी इसे संरक्षित नहीं कर पा रहा है। स्मार्ट सिटी के तहत सदर मंजिल के जीर्णोद्धार के साथ ही शौकत महल व इससे लगे मोती महल पर सुधारने हाल में काम शुरू हुआ है।
दुकानदारों के चलते नहीं टूट होटल
शहर का सबसे पुराना सरकारी टूरिस्ट होटल सालों पहले बंद हो गया। बाल विहार के पास स्थिति इस होटल के नीचे 50 से अधिक दुकानें हैं। इस होटल का पूरा ढांचा जर्जर पड़ा है। इसे गिराने के लिए कई बार कोशिश की जा चुकी है, लेकिन नीचे दुकानदारों के विरोध के चलते इसे निगम खाली नहीं करवा पा रहा। कई बार विवाद के हालात बने हैं।
इनका कहना
जर्जर भवन हटाने के लिए नगर निगम हर साल नोटिस जारी करता है। लेकिन इन आवास में रहने वालों के विरोध के चलते कई बार इन्हें हटा नहीं पाते। बारिश में ये किसी हादसे की वजह न बने इसके लिए निगम अपनी ओर से कार्रवाई करेगा।
हरीश गुप्ता, उपायुक्त नगर निगम