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सवा दो घंटे चली बैठक, पांच मिनट भी नहीं हुई चर्चा

locationभोपालPublished: Oct 23, 2019 01:39:45 am

Submitted by:

manish kushwah

नगर निगम बंटवारा: हंगामे के बीच महापौर ने पढऩे की बजाय अध्यक्ष को लिखित में दिया वक्तव्य

सवा दो घंटे चली बैठक, पांच मिनट भी नहीं हुई चर्चा

सवा दो घंटे चली बैठक, पांच मिनट भी नहीं हुई चर्चा

भोपाल. राजधानी को दो नगर निगमों में बांटने के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बुलाई गई नगर निगम परिषद बैठक हंगामेदार रही। सवा दो घंटे चली बैठक में पांच मिनट भी चर्चा नहीं हो सकी। मंगलवार सुबह 10.30 बजे से दोपहर 12.45 तक चली बैठक में हुए लगातार हंगामे के बीच महापौर वक्तव्य तक नहीं
पढ़ पाए।
इसके पूर्व बैठक शुरू होते ही महापौर आलोक शर्मा ने जैसे ही बोलना शुरू किया वैसे ही गिरीश शर्मा, अब्दुल शफीक, संतोष कंसाना, अमित शर्मा व अन्य कांग्रेसी पार्षद विरोध करने लगे। इनकी आपत्ति महापौर को पहले बोलने का मौका दिए जाने पर थी। इधर, कांग्रेसी पार्षदों के इस रवैए का भाजपा पार्षदों ने विरोध करते हुए कहा कि पहले महापौर ही बोलेंगे। हंगामा बढ़ता देख अध्यक्ष ने परिषद की बैठक पांच मिनट के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद बैठक तो शुरू हुई, पर पार्षदों का हंगामा लगातार जारी रहा।
अध्यक्ष के केबिन में पहुंचे कांग्रेसी पार्षद
बैठक के बाद नाराज कांग्रेसी पार्षद अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान के केबिन में विरोध करने पहुंचे। पार्षद अमित शर्मा ने कहा कि निगम की धारा 421 का उल्लंघन किया है और उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया।
भाजपा पार्षद साथ लाए थे ज्ञापन
भाजपा पार्षद अपने साथ ज्ञापन लेकर आए थे, जिसमें दो नगर निगम के प्रस्ताव का विरोध किया गया था। बैठक में हो रहे हंगामे के दौरान पार्षदों ने ये ज्ञापन परिषद अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान को सौंप दिए।
कांग्रेस पार्षद भी आए थे तैयारी से
दो नगर निगम बनाए जाने के प्रस्ताव के पक्ष में तर्क रखने के लिए कांग्रेस के चार पार्षद पूरी तैयारी से आए थे। हालांकि परिषद बैठक में हंगामे के कारण उन्हें अपनी बात रखने का मौका नहीं मिल सका।
इधर, ठेकेदारों ने किया प्रदर्शन
दीपावली के पहले अपने बकाया भुगतान की मांग को लेकर नगर निगम के ठेकेदारों ने आईएसबीटी स्थित परिषद सभागार के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान निगम प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। कॉन्टे्रक्टर्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष जितिन राठौर ने कहा कि निगम प्रशासन यदि भुगतान नहीं करता है तो निर्माण कार्य पूरी तरह बंद कर दिए जाएंगे।
परिषद बैठक में रखी गई जानकारी
126 करोड़ रुपए की स्टांप ड्यूटी शासन ने नहीं दी
28 करोड़ रुपए की चुंगी क्षतिपूर्ति 14.़52 करोड़ रुपए कर दी गई
20 कॉलोनियों की टकरा रही हैं सीमाएं
11000 से अधिक कर्मचारी निगम में
6000 कर्मचारी दैनिक वेतनभोगी
1000 करोड़ रुपए की राशि मंजूर है अमृत योजना के लिए
442 करोड़ रुपए सीवेज के लिए मंजूर
400 करोड़ रुपए वाटर सप्लाई के लिए
139 करोड़ रुपए स्ट्रॉर्म वाटर ड्रेनेज के लिए
40 करोड़ रुपए पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए
42 करोड़ रुपए म्यूनिसिपल बॉण्ड के जमा हो रहे हैं
23 करोड़ रुपए हुडको से लोन के लिए
16 करोड़ रुपए एडीबी से लोन के लिए

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