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हबीबगंज और पातालपानी रेलवे स्टेशन के बाद और भी शहरों के नाम बदलेंगे

locationभोपालPublished: Nov 24, 2021 08:34:03 pm

हबीबगंज स्टेशन के बाद मुख्यमंत्री इंदौर के पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टंट्या मामा भील के नाम पर करने की घोषणा कर चुके हैं। प्रदेश में कई शहरों और प्रमुख स्थानों के नाम बदलने की तैयारी है।

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भोपाल. नाम में क्या रखा है.. गुलाब को जिस भी नाम से पुकारो गुलाब ही रहेगा। शेक्सपियर की यह बात लगता है अब पुरानी सी पड़ गई है। राजधानी के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति होने के बाद अब प्रदेश में नाम बदलने के लिए मुहीम सी शुरू हो गई। हबीबगंज स्टेशन का नाम बदलने के बाद वहां के थाने और फिर जैन मंदिर का नाम बदलने का प्रस्ताव भी सामने आ चुका है। खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इंदौर के पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर टंट्या मामा भील के नाम पर करने की घोषणा कर चुके हैं। इसके बाद अब मध्य प्रदेश में कई शहरों और प्रमुख स्थानों के नाम बदलकर विदेशी आक्रांताओं की गुलामी के कलंक से मुक्ति पाने की तैयारी है। ऐसे शहरों के नाम बदलकर भारतीय संस्कृति की पहचान फिर से कायम करने की शुरुआत नर्मदापुरम (होशंगाबाद) और भेरूंदा ( नसरुल्लागंज) से हो चुकी है।

 

अब भोपाल, भोपाल के मिंटो हॉल, औबेदुल्लागंज, गौहरगंज, बेगमगंज, गैरतगंज, बुरहानपुर और सुल्तानपुर सहित एक दर्जन शहरों-स्थानों के नाम बदलने की तैयारी है। इन शहरों के निवासी और जनप्रतिनिधि लंबे समय से नाम बदलने की मांग कर रहे हैं। भोपाल के विधायक रामेश्वर शर्मा भोपाल में ईदगाह हिल्स का नाम बदलकर गुरुनानक टेकरी करने की मांग की कर चुके हैं। 500 साल पहले सिखों के पहले गुरु नानक देव इस टेकरी पर रुके थे। यहां गुरु के पैरों के निशान हैं। इससे पहले भोपाल नगर निगम परिषद शहर का नाम भोजपाल करने का प्रस्ताव पारित कर चुकी है, जो शासन स्तर पर लंबित है। भोपाल से बीजेपी सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ने भोपाल के इस्लामनगर, लालघाटी, हलाली डैम और हलालपुरा बस स्टैंड नाम बदलने की मांग कर चुकी हैं। ये सभी नाम मुस्लिम शासकों के वक्त रखे गए थे।

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सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का नाम कोरकू राजा भभूत सिंह पर करने की मांग
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह विभाग कार्यवाहक चाणक्य बख्शी के नेतृत्व में गौरवपुर्ना स्थापना समिति सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का नाम बदलकर कोरकू राजा भभूत सिंह के नाम से करने की मांग कर रही है। उनका कहना है कि भारत का प्रथम संरक्षित वनक्षेत्र क्रांतिकारी राजा भभूत सिंह की जागीर के अंतर्गत आने वाले बोरी के जंगलों को जब्त कर बनाया गया। सतपुता टाइगर रिजर्व का ज्यादातर हिस्सा राजा भभूत सिंह की जागीर में आता था। यह पुर्नजागरण की बेला है, अपनी जड़ों को पहचानने का समय है। राजा भभूत सिंह के स्वतंत्र संग्राम में बलिदान से लोग अनिभिज्ञ हैं। यदि सरकार राजा भभूत सिंह के नाम से राष्ट्रीय उद्यान का नाम करती है तो निश्चित ही लोग इसके बारे में जानेंगे।

 

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नाम बदलने की रफ्तार ..सरकारी मशीन से तय
स्थानीय नागरिक और जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र, स्थान या जिले का नाम बदलने की मांग करते हैं। स्थानीय निकाय प्रस्ताव शासन को भेजता है और कैबिनेट की मंजूरी के बाद ये प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा जाता है। उनके अनुमोदन के बाद गृह विभाग नाम परिवर्तन की अधिसूचना जारी करता है। हालांकि यह लंबा प्रोसेस है, पर प्रधानमंत्री के दौरे के चक्कर में हबीबगंज का नाम बदलकर रानी कमलापति स्टेशन करने में दो दिन का समय लगा। जबकि होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम् करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने नर्मदा जयंती पर की, लेकिन कागजों में नौ महीने बाद भी यह नाम नहीं बदल पाया।

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औबेदुल्लागंज
रायसेन जिले के इस शहर का नाम भोपाल नवाब सुल्तानजहां बेगम के दूसरे पुत्र औबेदुल्ला खां के नाम पर है। ऐसे ही पहले पुत्र नसरल्ला खां को भेरूंदा (नसरल्लागंज) की जागीर देकर नया नामकरण किया।

 

गौहरगंज
रायसेन जिले की ही तहसील गौहरगंज का नाम भोपाल नवाब हमीदउल्लाह खां की बेटी आबिदा सुल्तान के नाम पर पड़ा है। उन्हें गौहर महल के खिताब से नवाजा गया था। इसका नाम पहले राजा भोज के मंत्री कलिया के नाम पर कलियाखेड़ी था।

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कुछ शहरों के पुराने नाम
भोपाल — भूपाल, भोजपाल
विदिशा — भेलसा, विदावती
सीहोर — सीधापुर
ओंकारेश्वर — मांधाता
दतिया — दिलीप नगर
महेश्वर — माहिष्मति
जबलपुर — त्रिपुरी, जबालिपुरम
ग्वालियर — गोपांचल
दमोह — तुंडीखेत

गुलामी की कोई भी निशानी स्वतंत्र भारत में स्वीाकर नहीं है। परितंत्रता की याद दिलाने वाले सभी स्थानों का नाम बदलना चाहिए। नए नाम देश के लिए वलिदान देने वाले शहीदों के नाम पर होने चाहिए।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सांसद भोपाल

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