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भोपाल

खेत नहीं डूबे फिर भी हुआ किसानों को नुकसान, जानिए डूब प्रभावितों के हाल

चौथे दिन भी जारी रहा विस्थापितों का प्रदर्शन, नर्मदा भवन के सामने डटे हैं प्रदर्शनकारी

भोपालNov 20, 2019 / 01:07 am

praveen malviya

खेत नहीं डूबे फिर भी हुआ किसानों को नुकसान, जानिए डूब प्रभावितों के हाल

भोपाल. सरदार सरोवर बांध के पूरे भरे जाने के बाद बैक वाटर से केवल अपनी जमीन से बेदखल होने वाले ही प्रभावित नहीं हुए है, बल्कि कई तरीकों से नुकसान हुआ है। कई किसानों के खेत नहीं डूबे हैं, लेकिन उन तक पहुंचने का रास्ता बंद हो जाने से खेत तक पहुंचना और फसल लाना मुश्किल हो गया है। इसी तरह आदिवासी, मछुआरे सहित छोटे काम-धंधे करने वाले तक बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, लेकिन इनकी समस्याओं का हल निकालने के बजाय सरकार राशन और चारा शिविर बंद करके हाथ खींचने की जिद पर अड़ी हुई है। यह मुद्दे एनवीडीए मुख्यालय नर्मदा भवन के बाहर लगातार चौथे दिन मंगलवार को धरने पर बैठे विस्थापितों ने उठाए।

जल्द से जल्द लेना चाहिए निर्णय
धरना स्थल पर आयोजित प्रेस कांफ्रेस में 17 नवंबर को आयोजित जनसुनवाई के पैनल की एक रिपोर्ट पेश करते हुए अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेशाध्यक्ष सरोज बादल एवं नर्मदा युवा सेना के प्रमुख प्रवेश अग्रवाल ने विस्थापितों के विभिन्न वर्गों की अलग-अलग समस्याओं को बिंदुवार उठाया। बादल ने कहा कि कमलनाथ सरकर को आंदोलन द्वारा उठाए गए मुद्दों पर न ही सिर्फ चर्चा करनी चाहिए बल्कि उस पर जल्द से जल्द ठोस निर्णय लेने चाहिए।

आरबीसी के प्रमुख सचिव और आयुक्त के साथ आंदोलनकारियों की बैठक हुई जिसमें फसल नुकसान की भरपाई के सम्बंध में चर्चा हुई। जिन फसलों का बीमा होता है, जो प्राकृतिक आपदा के कारण फसल नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई पर चर्चा हुई। जलाशय का पानी भरने के कारण जो फसल बरबाद हुई है, जैसे बिजली ट्रासंफॉर्मर जलमग्न होने के कारण फसलों को पानी नहीं देने से भी फसलें सूखी हैं। कई खेत टापू बनने के कारण और कृषि भूमि पुनर्वास स्थलों से पुल-पुलियां नहीं बनने के कारण जो दूरी बढ़ी है जैसे करोंदिया, भवरियाँ, एकलरा आदी अन्य गांव में खेत दूर होने से भी फसल नुकसान हुआ है। जहां एक एकड़ से तीन एकड़ के छोटे आदिवासी किसान 12 से 15 किलोमीटर की दूरी तय करके 1200 -1400 रुपए का वाहन भाड़ा देकर अपने खेतों से उपज लाते हैं तब खेती क्या फायदे का धंधा बन सकती है? जबकि बिना अर्जन की गई कृषि भूमि भी डूब गई व अर्जित होते हुए भी सम्पूर्ण पुनर्वास लाभ दिए बिना कृषि भूमि डुबाई गई उनकी फसल नुकसान की भरपाई करने की बात की गई। 15 दिवस के अंदर सर्वे कराकर हर खेत का करवाकर फसल नुकसानी की भरपाई की बात की गई है।

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