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साहब! पूरा गांव डूब गया, रोजगार खत्म, राहत शिविर भी हो गए बंद

locationभोपालPublished: Nov 18, 2019 12:57:29 am

Submitted by:

praveen malviya

सर्द रात के बाद दिन में भी डटे रहे सरदार सरोवर बांध के डूब विस्थापित, नर्मदा भवन के बाहर जनसुनवाई
 

Narmada Bachao Andolan Protest in bhopal

साहब! पूरा गांव डूब गया, रोजगार खत्म, राहत शिविर भी हो गए बंद

भोपाल. एनवीडीए (नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण) के मुख्यालय नर्मदा भवन के बाहर सरदार सरोवर बांध से विस्थापितों का धरना दूसरे दिन रविवार को भी जारी रहा। रविवार को सरकार का कोई प्रतिनिधि आंदोलनकारियों से मिलने नहीं आया, इस बीच विस्थापितों व सेंचुरी के मजदूरों के मुद्दों पर जनसुनवाई की गई। शाम को अचानक कुछ पुलिसकर्मियों ने मुख्यालय के बाहर लगाए प्रदर्शनकारियों के टेंट को निकालने की कोशिश की लेकिन विरोध के बाद वे वापस चले गए। प्रदर्शनकारियों ने शनिवार रात तेज ठंड में एक कम्बल के सहारे जमीन पर सोकर गुजारी। सुबह होने के बाद भी उनकी समस्याएं कम नहीं हुई, लेकिन सभी प्रदर्शन की अगुवाई कर रही मेधा पाटकर के साथ मुख्यालय के बाहर डटे रहे। दोपहर में मेधा आदिवासियों की हुंकार रैली में शामिल होने गईं, लेकिन इस बीच शाम चार बजे मुख्यालय के बाहर कुछ पुलिसकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों की ओर से लगाया गया टेंट उखाडऩे की कोशिश की। पुलिसकर्मियों ने एक पोल हटा भी दिया लेकिन इस बीच प्रदर्शनकारी विरोध करने लगे। प्रदर्शनकारियों के विरोध को देखते हुए पुलिसकर्मी उल्टे कदम लौट गए।

 

Narmada Bachao Andolan Protest in bhopal

दी जानकारी
मुख्यालय के बाहर प्रदर्शनकारियों के बीच हुई जनसुनवाई में वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया, किसान सभा मप्र, मकापा के अध्यक्ष जसविंदर सिंह गांधवादी विचारक दयाराम नामदेव एवं भूतपूर्व मुख्य सचिव शरदचन्द्र बेहर बैठे। अलग-अलग प्रदर्शनकारियों ने उन्हें अपने-अपने वर्गों और गांवों की समस्याओं की जानकारी दी। छोटा बड़दा की कमला यादव ने कहा कि सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों के लिए नर्मदा ट्रिब्यूनल फैसला, सुप्रीम कोर्ट आदेश 2000, 2005, 2017, राज्य की पुनर्वास नीति, शिकायत निवारण प्रधिकरण के आदेशों का पालन आज तक नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने नहीं कर उल्लंघन किया है। नर्मदा घाटी के कई सारे गांव खत्म हो चुके हैं।

 

Narmada Bachao Andolan Protest in bhopal

टीनशेड में रहने को मजबूर
राजघाट कुकरा की कमला केवट ने बताया कि हमारा पूरा गांव डूब चुका है, हमारे रोजगार खत्म हो गए हैं। हमें टीनशेड में रहने के लिए मजूबर किया गया है। इसके बावजूद भोजन, चारा, राहत शिविर बंद हो गए हैं। अवल्दा की पेमा भिलाला ने बताया कि बांध में बिना भूअर्जन की कृषि भूमि डूब चुकी है, कई सारी कृषि भूमि टापू रास्ते बंद हो चुके हैं। इसके कारण किसानों को लाखों करोड़ों का नुकसान हो रहा है।

Narmada Bachao Andolan Protest in bhopal

दादुसिह सोलंकी (एकलबारा) ने कहा कि हमारे गांव में सरदार सरोवर बांध के जलस्तर बढऩे के कारण पिछले 2 महीने भूकंप शुरू हो गया है। हमारे गांव की सैकड़ों एकड़ जमीन टापू बन गई है। हमारे गांव के 19 मकानों का भूअर्जन नहीं हुआ है। पुनर्वास स्थलों पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। पिछोडी के श्यामा मछुआरा ने सवाल उठाया कि जहां की जमीन डूबी वहां का पानी-मछली कैसे तुम्हारी? इस सरदार सरोवर बांध के जलाशय पर महासंघ बना कर मछुआरों को अधिकार दिए जाएं। सरदार सरोवर बांध के मछुआरों की मध्यप्रदेश में 32 समिति पंजीयन किया गया है। जोबट बांध से प्रभावित खेमा भाई ने बताया कि जोबट बांध के 13 गांव डूब चुके हैं। मध्यप्रदेश सरकार की पुनर्वास नीति राज्य की अनुसार घर प्लॉट/जमीन की पात्रता होने के बाद आज तक नहीं दिया गया है। इसी प्रकार से नर्मदा घाटी के रमेश केवट, दशरथ दरबार, राधा बहन, साधना दलित, मुकेश भाई अन्य विस्थापितों के द्वारा बात रखी गई थी।

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