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पूर्व मंत्री नरोत्तम का एक और करीबी ईओडब्ल्यू की हिरासत में, आज हो सकती है गिरफ्तारी

locationभोपालPublished: Aug 03, 2019 08:48:54 am

Submitted by:

Radhyshyam dangi

ई-टेंडर घोटाले की नामजद आरोपी हैदराबाद की जीवीपीआर और जेएमसी कंपनियों के लिए काम करता था मुकेश
 

E Tender scam: इंदौर के ठेकेदारों को किया तलब, पूछताछ जारी

E Tender scam: इंदौर के ठेकेदारों को किया तलब, पूछताछ जारी

भोपाल. ई-टेंडर घोटाले ( e tender scam ) में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ( narottam mishra ) के निज सहायक वीरेंद्र पांडे और कंप्यूटर ऑपरेटर निर्मल अवस्थी की गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को मिश्रा के बेहद करीबी मुकेश शर्मा को ईओडब्ल्यू ( EOW ) ने हिरासत में ले लिया है। शनिवार को मुकेश की गिरफ्तारी हो सकती है।

मुकेश शर्मा लंबे समय से नरोत्तम के करीबी हैं और इंदौर में प्रेम प्रकाश ट्यूब का कारोबार करते हैं। गुरुवार रात को मुकेश को भोपाल से ही हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। मुकेश शर्मा की लिंक नरोत्तम के निज सहायक वीरेंद्र पांडे और निर्मल अवस्थी से मिली है। इन दोनों को भी पुलिस रिमांड पर लेकर ईओडब्ल्यू पूछताछ कर रहा है।

 

शुक्रवार को मुकेश से दिनभर पूछताछ चली। अब तक की छानबीन में पता चला है कि मुकेश ने हैदराबाद की जीवीपीआर व जेएमसी प्रोजेक्ट्स लि के लिए नरोत्तम, निर्मल व वीरेंद्र के प्रतिनिधि के तौर पर काम किया और ई-टेंडर घोटाले में साथ दिया है। ईओडब्ल्यू को वीरेंद्र और अवस्थी के यहां छापे में मुकेश शर्मा व नरोत्तम मिश्रा से जुड़े कागजात भी हाथ लगे हैं। इसके आधार पर मुकेश से पूछताछ की जा रही है। मुकेश के एक अन्य साथी धवन को भी ईओडब्ल्यू जल्द ही हिरासत में लेकर पूछताछ कर सकती है।

 

नोटिस के बाद बयान नहीं देने आए

मुकेश शर्मा को मई-जून में ईओडब्ल्यू ने दो बार नोटिस देकर तलब किया था, लेकिन वह बयान देने नहीं पहुंचे। इसके बाद भी नोटिस दिया गया और इंदौर स्थित शालीमार टाउनशिप, विजय नगर स्थित निवास पर दबिश भी दी गई थी।


नरोत्तम-मुकेश की जोड़ी का नाम 2008 में भी चर्चा में था

मुकेश शर्मा के इंदौर स्थित ठिकाने पर आयकर विभाग ने 21 जुलाई, 2008 को छापा मारा था। इस दौरान कई अहम दस्तावेज मिले थे। नरोत्तम मिश्रा जब नगरीय प्रशासन मंत्री थे, तब के इन दस्तावेजों में आयकर विभाग को पता चला था कि इंदौर में सीवेज प्रोजेक्ट के ठेके में मुकेश ने लाइजनिंग एजेंट का काम किया था। उस समय नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी लि और मेसर्स सिम्प्लैक्स इंफ्रास्ट्रक्चर लि को काम दिया गया था।

 

आयकर छापे के बाद आयकर विभाग ने दावा किया था कि तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री नरोत्तम को 26 करोड़ 70 लाख रुपए इन कंपनियों से मिले थे। हालांकि बाद में यह बात प्रमाणित नहीं हो पाई थी। इसमें भी मुकेश का नाम सामने आया था।

वहीं, जब नरोत्तम स्वास्थ्य मंत्री बनें, तब भी मुकेश और मिश्रा की नजदीकियां राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बनीं रही। बाद में जब नरोत्तम जल संसाधन विभाग मंत्री बने तो मुकेश ने हैदराबाद व गुजरात की कंपनियों को ठेके दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

 

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