आपका बच्चा है पैदाइशी बीमार तो अब यहां कराएं इलाज
भोपालPublished: Mar 22, 2016 08:48:00 am
इन केंद्रों में बच्चों के इलाज के साथ उनके परिजनों की काउंसिलिंग और ट्रेनिंग की भी सुविधा रहेगी।
भोपाल. राजधानी में जल्द ही बच्चों की जन्मजात विकृतियां व डेवलपमेंटल डिले दूर करने राष्ट्रीय स्तर का सेंटर बनने जा रहा है। इसके साथ इंदौर और जबलपुर में दो रीजनल सेंटर भी बनेंगे। इनमें जन्म से विकृतियों के शिकार बच्चों को सामान्य करने के लिए नि:शुल्क उपचार उपलब्ध कराया जाएगा।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रदेश एनएचएम के इस प्रस्ताव को केंद्र ने सैद्धांतिक स्वीकृति दे दी है। अप्रैल में इन सेंटरों के लिए बजट जारी होने के बाद काम शुरू कर दिया जाएगा। जिला प्रशासन ने भी राष्ट्रीय केंद्र के लिए जमीन की खोजबीन शुरू कर दी है। इसके लिए शहर के अंदर जमीन खोजी जा रही है। इससे लोगों को बच्चों को लेकर ज्यादा दूर नहीं जाना पड़ेगा। एनएचएम के संयुक्त संचालक केएम मुंशी के अनुसार इन केंद्रों द्वारा विकृतियों के संबंध में जानकारी का प्रचार-प्रसार करने के साथ उनकी जांच, उपचार, सर्जरी और रोकथाम के उपाय किए जाएंगे। भोपाल में बनने वाले नेशनल केंद्र में सभी सुविधाएं मिलेंगी। यहां पूरे प्रदेश से रेफर होकर बच्चे आएंगे। केंद्र की सैद्धांतिक स्वीकृति मिलने के साथ ही इनके लिए आगे का काम शुरू कर दिया गया है।
इस तरह होगा प्रबंधन
बच्चों की जन्मजात विकृतियों की पहचान के लिए 6 माह तक के बच्चों का आशा कार्यकर्ता द्वारा घर-घर परीक्षण किया जाएगा। उसके बाद आंगनबाड़ी केंद्रों में भी बच्चों का परीक्षण होगा। यहां से चिह्नित बच्चों को जिले के अर्ली इंटरवेंशन सेंटर भेजा जाएगा। इसके बाद रीजनल सेंटर को रेफर किया जाएगा। बड़ी व जटिल विकृतियां होने पर उसे भोपाल के नेशनल सेंटर भेजा जाएगा।
केंद्रों में मिलेंगी ये सुविधाएं
केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम के साथ फिजियोथैरेपी, ऑडियोलोजिस्ट या स्पीच थेरेपिस्ट, दंत चिकित्सक, नेत्र विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक और मनोचिकित्सक, सोशल एजुकेटर रहेंगे। यह जन्मजात विकृति और डेवलपमेंट डिले वाले बच्चों का हर तकनीक से इलाज करने में सक्षम होंगे। इन केंद्रों में बच्चों के इलाज के साथ उनके परिजनों की काउंसिलिंग और ट्रेनिंग की भी सुविधा रहेगी।
भोपाल में अभी चार हजार बच्चे
सामाजिक न्याय, स्वास्थ्य और महिला-बाल विकास विभाग द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार अभी भोपाल जिले में ही लगभग 4 हजार बच्चे विभिन्न जन्मजात विकृतियों वाले हैं।