इसके पहले इन पर हो चुकी है सुनवाई प्रदेश में रेत खनन पर लगाई गई रोक के खिलाफ शासन की ओर से इस मामले में पुनर्विचार याचिका लगाई है। इस याचिका में शासन ने एनजीटी द्वारा लगाई प्रदेश की सभी रेत खदानों पर लगाई गई रोक को हटाने की अपील की जिस पर एनजीटी ने रेत खनन पर लगी रोक को हटाने से इनकार कर दिया। शासन की ओर से पैरवी कर रहे वकील सचिन वर्मा ने एनजीटी में बताया कि नियमों के मुताबिक सरकार के अधिकार है कि वह खनन के लिए एक्सटेंशन दे सकती है। वहीं एेसे ही एक मामले में प्रिसिंपल बेंच द्वारा दिए गए आदेश का भी हवाला दिया। जिसमें खदानों की एप्लीकेशन पर सिया का निर्णय होने की दशा में एनजीटी ने बगैर एनवायरमेंटल क्लीयरेंस वाली खदानों को भी 3 माह तक खनन की अनुमति दी थी। मामले की अगली सुनवाई 3 अगस्त को होगी। जिसमें इस मामले पर पेश तथ्यों के आधार पर बहस की जाएगी।
तो सभी खदानों पर क्यों लगाई रोक शासन ने एनजीटी द्वारा सभी खदानों पर लगाई गई रोक पर आपत्ति जाहिर करते हुए बताया कि सिया की गाइडलाइन के मुताबिक महज 61 खदानों के लिए यह शर्त रखी गई थी कि यहां सिर्फ 1 नवंबर से 31 मई तक ही खनन किया जा सकता है। जबकि अमरकांत मिश्रा की याचिका पर एनजीटी ने सभी 124 खदानों पर रोक लगा दी इससे सरकार को राजस्व की हानि हो रही है। इस पर एनजीटी ने याचिकाकर्ता से अगली सुनवाई में इस रिव्यू पिटिशन के संबंध में जवाब पेश को कहा है।