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भौतिक विज्ञान से शक्ति, समृद्धि तो मिल सकती है, पर शांति जैन दर्शन विज्ञान से ही मिलेगी

locationभोपालPublished: Oct 21, 2018 07:38:35 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

– मंदाकिनी जैन मंदिर में राष्ट्रीय जैन विज्ञान संगोष्ठी में अनेक विद्वानों ने रखे विचार

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National Jain Science Symposium

भोपाल। भौतिक विज्ञान से शक्ति, समृद्धि, सम्पदा मिल सकती है, लेकिन शांति जैन दर्शन विज्ञान से ही मिलती है। जैन दर्शन में जो शास्त्रों में लिखा है, वह ज्ञान आज विज्ञान स्वीकार कर रहा है। जैन जीवन शैली विज्ञान पर आधारित है। जैन दर्शन का विश्व में प्रमुख स्थान है, क्योकि वह विज्ञान पर आधारित है।

यह बात आचार्य निर्भय सागर महाराज ने शनिवार को मंदाकिनी जैन मंदिर में राष्ट्रीय जैन विज्ञान संगोष्ठी में कहीं। इस संगोष्ठी में देश के विभिन्न स्थानों से विद्वानों ने भाग लिया।

इस दौरान विद्वानों ने जैन दर्शन पर अपने विचार रखे। इस मौके पर जैन मुनि विद्यासागर महाराज ने कहा भौतिक विज्ञान पदार्थ सुख की बात करता है और जैन विज्ञान आत्मिक ज्ञान की बात करता है।

ग्वालियर जीवाजी विवि के डॉ.़ अशोक जैन ने जैन दर्शन के प्रमुख ग्रंथ तत्वार्थ सूत्र में वर्णित जीवों के प्रकार एवं विभिन्न विधियों से जीवों के जन्म आधुनिक विज्ञान के संदर्भ में कहा कि साधारण वनस्पति और प्रत्येक वनस्पिति में आज निगोदिया जीव को विज्ञान बैक्टीरिया और वाइरस के रूप में तुलना की जा सकती है।

पूना से आए डॉ. कल्याण गंगलवाल ने जैन दर्शन में आहार विज्ञान विषय पर अपने विचार रखे। जयपुर से आए डॉ. बीएल सेठी ने आधुनिक विज्ञान सम्यक दर्शन का स्वरूप बताते हुए कहा कि सम्यक दर्शन के आठ अंगों का पालन करके देश, समाज, परिवार में एकता, मैत्री, शांति स्थापित हो सकती है। डॉ धर्मचन्द्र बाझल ने तत्वार्थ सूत्र ग्रन्थ में परमाणु की कल्पना और विज्ञान के संदर्भ में बताया।

समीक्षा के साथ होगा समापन 
इस दो दिवसीय संगोष्ठी का समापन रविवार को आचार्य निर्भय सागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में होगा। रविवार को विद्वान कर्म विज्ञान, तत्वार्थ सूत्र विज्ञान का जैन धर्म में वैज्ञानिक तुलना कर अपने विचार प्रकट करेंगे। संगोष्ठी में सुबह 8 बजे से प्रथम सत्र, 1:30 बजे से द्वितीय सत्र और 3 बजे समीक्षा के साथ समापन होगा।

 

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