उन्होंने पति-पत्नी को साथ बैठाकर समझाया कि परिवार में शब्दों का बहुत महत्व है। जिला जज ने पतियों को समझाया कि महिलाओं की विशेषता होती है कि जीवन में हुई छोटी-छोटी बातें वो हमेशा याद रखती हैं। इसलिए आपस में हमेशा सोच-समझकर बातचीत करें, माता-पिता को न भूलें। यह प्रण लेकर जायें कि दोबारा कभी कोर्ट का मुंह न देखना पड़े।
जिला अदालत में स्थित तीन कुटुंब न्यायालयों में सबसे ज्यादा न्यायाधीश आरएन चंद्र की अदालत में पारिवारिक विवाद के 33 मामलो में सुलह हुई। न्यायाधीश योगेश चंद्र शुक्ला की अदालत में 16 और भावना साधो की अदालत में 15 मामलों में समझौते हुए। सुलह होने के बाद पति-पत्नी को तुलसी, आंवला आदि पौधे इस समझाइश के साथ दिये गये कि रोजाना पौधे उन्हें घर में खुशनुमा माहौल बनाये रखने की सीख देंगे।
पिपलानी निवासी मनोज अहिरवार का विवाह सुमन से 16 मई 2010 को हुआ था। घर की छोटी-छोटी बातों में दोनों कई साल से अलग-अलग रह रहे थे। मनोज ने पत्नी सुमन के खिलाफ विवाह विच्छेद का मुकदमा लगाया था। जजों की समझाइश के बाद दोनों ने एक-दूसरे को वरमाला पहनाई बाद में राजी खुशी घर लौटै।
अवधपुरी निवासी अवधेश कुमार जगदेश की शादी भावना से 11 मई 2005 को हुई थी। कई साल साथ रहने के बाद दोनों के बीच मामूली बातों को लेकर विवाद बढ़ गया। विवाह विच्छेद के लिए अवधेश ने अदालत में मुकदमा लगाया था। समझाइश के बाद दोनों एक साथ घर जाने को राजी हुए। कोर्ट रूम में एक दूसरे को वरमाला पहनाई।
बाग उमराव दूल्हा निवासी अर्शी का विवाह बुधवारा निवासी फरहान खान के साथ 21 अगस्त 2014 को हुआ था। दोनों कई सालों से अलग-अलग रह रहे थे। पत् नी ने भरण-पोषण की राशि के लिए पति के खिलाफ जिला अदालत में मुकदमा लगाया था। शनिवार को समझाइश के बाद दोनों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई और एक साथ घर लौटे।
नेशनल लोक अदालत में हुए साढ़े 15 करोड़ के समझौते
जिला अदालत में शनिवार को पक्षकारों की आपसी सहमति से 1951 मामलों में 15 करोड़ 43 लाख रूपये पक्षकारों को दिलाये गये। जिला एवं सत्र न्यायाधीश शैलेन्द्र शुक्ला ने सुबह साढ़े 10 बजे नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया। लोक अदालत में चेक बाउंस, मोटर दुर्घटना क्लेम, बिजली चोरी, पारिवारिक विवाद, सिविल-क्रिमिनल आदि मुकदमों का निराकरण पक्षकारों की आपसी सहमति से किया गया। इसके लिए अदालत में 54 खंडपीठों का गठन किया गया था।
जिला अदालत में शनिवार को पक्षकारों की आपसी सहमति से 1951 मामलों में 15 करोड़ 43 लाख रूपये पक्षकारों को दिलाये गये। जिला एवं सत्र न्यायाधीश शैलेन्द्र शुक्ला ने सुबह साढ़े 10 बजे नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया। लोक अदालत में चेक बाउंस, मोटर दुर्घटना क्लेम, बिजली चोरी, पारिवारिक विवाद, सिविल-क्रिमिनल आदि मुकदमों का निराकरण पक्षकारों की आपसी सहमति से किया गया। इसके लिए अदालत में 54 खंडपीठों का गठन किया गया था।