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कैसे रहते थे मूक-बधिर, दृष्टिबाधित बच्चे, किस तरह देते थे अनुदान

locationभोपालPublished: Aug 24, 2018 07:31:19 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

राष्ट्रीय महिला आयोग का दल पहुंचा भोपाल, किया दुष्कर्म के घटनास्थल अश्विनी शर्मा के डुप्लेक्स का निरीक्षण
 

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mahila ayoog

भोपाल. दिव्यांग बच्चे हॉस्टल में किस तरह रहते थे? सामाजिक न्याय विभाग किस तरह से फंडिंग करता था? बच्चों के रहने के हॉस्टल की मानीटरिंग की क्या व्यवस्था थी? जब निरीक्षण की व्यवस्था थी तो दिव्यांग छात्राएं लम्बे समय तक अपराध का शिकार कैसे होती रहीं? यह सवाल राष्ट्रीय महिला आयोग के दल ने अधिकारियों से किए। छात्रावास दुष्कर्म कांड की जांच करने आए दो सदस्यीय दल ने दिन भर अपराध स्थल का निरीक्षण करने के साथ सामाजिक न्याय विभाग के कार्यालय, वल्लभ भवन पहुंचकर अधिकारियों से चर्चा की। आयोग ने अधिकारियों से पूरे मामले पर अलग-अलग रिपोर्ट मांगी है।

एसपी से पूछा अपराध का क्रमवार ब्योरा, मांगी रिपोर्ट
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य लीलावती और नेहा गुरुवार को भोपाल पहुंचीं। जांच दल ने सामाजिक न्याय विभाग के संयुक्त संचालक मनोज तिवारी और एसपी साउथ राहुल लोढ़ा के साथ दुष्कर्म कांड के आरोपी अश्विनी शर्मा के अवधपुरी स्थित डुप्लेक्स का निरीक्षण कर अपराध के बारे में पुलिस से जानकारी प्राप्त की।

टीम ने एसपी से घटना का क्रमवार ब्यौरा मांगा। अधिकारियों ने बताया कि आरोपी लड़कियों से सहानुभूति जताते हुए उन्हें फंसाता था, किसी को प्रेमजाल में फंसाया तो एक छात्रा को शादी कर लेने तक का झांसा दिया। आयोग की टीम ने पुलिस से चालान पेश होने के बाद पूरे मामले की रिपोर्ट बनाकर केन्द्रीय महिला आयोग को भेजने के निर्देश दिए।

 

कैसे करते थे मॉनिटरिंग, अब क्या कर रहे हो?

पुलिस अधिकारियों से पूछताछ के बाद दल ने सामाजिक न्याय विभाग के अधिकारियों से उनकी भूमिका के बारे में पूछताछ की? सदस्यों ने पूछा कि दिव्यांग बच्चों के हॉस्टल के निरीक्षण की क्या व्यवस्था थी? अश्विनी शर्मा हॉस्टल में रहने वाली छात्राओं को यहां कैसे ले आता था,

जिसकी जानकारी लम्बे समय तक जिम्मेदारों को क्यों नहीं हो सकी? इस पर विभाग के अधिकारी स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। दल ने मॉनीटरिंग सिस्टम के बारे में पूछताछ कर उसकी कमियों पर चर्चा की और जांच में अब तक सामने आई कमियों पर भी पूछताछ की। सदस्यों ने दिव्यांग विद्यार्थियों की सुरक्षा और अनुदान प्राप्त करने वाली संस्थाओं की मॉनीटरिंग कड़ी करने के निर्देश दिए।

 

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