महिलाओं को अपने हक के लिए अब आगे आना पड़ेगा। अपने हक के लिए लड़ें चुप रहकर कुछ भी नहीं सहंे। महिलाओं को अगर कोई समस्या हो तो तत्काल महिला हेल्प नंबर पर फोनकर इसकी शिकायत करें। हर संभव उनकी मदद की जाएगी।
-जयश्री कियावत, महिला सशक्तिकरण आयुक्त
महिलाओं में सुरक्षा और समान की भावना तब तक नहीं आएगी जब तक परिवार में उन्हे समान दर्जा नहीं दिया जाएगा। माता-पिता को चाहिए की बेटा-बेटी को एक नजर से दखे। बचपन से जब दोनों के बीच सामान व्यवहार होगा तो समाज में अपने आप महिलाएं मजबूत होंगी ।
– अरूणा मोहन राव, एडीजी महिला
सम्मान-सुरक्षा और स्वरक्षा से आगे बढ़े हर महिलाएं
इधर, सम्मान-सुरक्षा और स्वरक्षा, यहीं तीन शब्द हैं जिसे हर महिला को आवश्यकता होती है, लेकिन महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध के ग्राफ को देखकर हमें स्वयं भी सतर्क रहना होगा। ये कहना था महिला थाना प्रभारी शिखा सिंह बैस का जो महिला थाने में मप्र महिला बाल विकास विभाग द्वारा आयोजित सम्मान-सुरक्षा-स्वरक्षा एवं सामाजिक चेतना अभियान कार्यक्रम महिलाओं को वक्तव्य दे रही थीं। इस दौरान न्यायाधीश ’योति ढोंगरे शर्मा, महिला बाल विकास विभाग की सेक्टर प्रभारी नीति चौहान, जिला विधिक प्रधिकरण से सीमा चंदेल, काउंसलर मोहिब अहमद मौजूद रहीं। इस दौरान 10 मिनिट की शॉर्ट फिल्म ‘कोमल’ दिखाई गई, जिसमें एक कोमल नाम की महिला स्वयं के साथ होने वाली हिंसा से हर समय लड़ती है।
कार्यक्रम में यह प्रश्न पूछे….
कार्यक्रम के दौरान महिलाओं से कुछ सवाल पूछे गए। जैसे स्त्री व पुरुष में कौन अधिक ताकतवर है? लडक़ा या लडक़ी होने में कौन जिम्मेदार है? क्या एक लडक़ी, लडक़े के समान अपनी रक्षा कर सकती है? लिंगानुपात की घटती दर से समाज में महिलाओं के प्रति अपराध में वृद्धि हो रही है? क्या कुछ परिस्थितियों में पति द्वारा पत्नी की थोड़ी पिटाई करना ठीक है?