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नौतपा खंडित: तो क्या इस बार मानसून में कम बरसेगा पानी?

locationभोपालPublished: May 27, 2023 07:00:05 pm

Submitted by:

yashwant janoriya

10 साल में 7 बार बारिश, गल गई रोहिणी, नौतपा के दूसरे दिन बूंदा-बांदी, गर्मी से मिली राहत

नौतपा खंडित: तो क्या इस बार मानसून में कम भीगेगी राजधानी?

10 साल में 7 बार बारिश, गल गई रोहिणी, नौतपा के दूसरे दिन बूंदा-बांदी, गर्मी से मिली राहत

भोपाल. नौतपा के पहले दिन बारिश हो गई। शुक्रवार को दूसरे दिन भी नौतपा बेअसर रहा। शाम को कुछ इलाकों में बूंदाबांदी हुई और तापमान लुढक़ गया। आने वाले एक सप्ताह तक मौसम ऐसा ही रहेगा। ज्योतिषीय धारणा है कि जिस क्षेत्र में Nautapa में बारिश होती है तो उसे रोहिणी का गलना कहते हैं। फिर उस क्षेत्र में पर्याप्त बारिश नहीं होती। जहां पूरे 9 दिनों तक तपता है वहां पर्याप्त बारिश होती है। इसलिए माना जा रहा है कि इस मानसून कम बारिश हो सकती है।
29 मई से नया सिस्टम एक्टिव
मौसम विज्ञानियों के अनुसार 29 मई से एक सिस्टम फिर एक्टिव हो रहा है। हालांकि, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (पश्चिमी विक्षोभ) एक्टिव होने का असर यहां कम दिखेगा। इससे जून की शुरुआत भी आंधी-बारिश से ही होगी। जून तक मानसून की एंट्री भी हो जाएगी। जून से लेकर सितंबर तक मानसून का मौसम रहता है।
मेष राशि में तीन ग्रहों की युति के कारण बदला है मिजाज
ज्योतिषाचार्य पं. जगदीश शर्मा का कहना है कि इस समय मेष राशि में बुध, गुरु और राहु की युति बनी हुई है। इसी प्रकार मंगल मिथुन राशि में चल रहे हैं। इसके चलते तेज हवा, बिजली और बौछारों की स्थिति बन रही है। इस साल रोहिणी का निवास समुद्र मं रहेगा और समय का वास माली के घर रहेगा। ऐसे में समय अनुसार और फसलों के लिहाज से अच्छी बारिश होगी।
पहले भी बारिश हुई
10 साल में Nautapa के दौरान इस साल को मिलाकर 7 बार बारिश हुई। मौसम में बदलाव इस नौतपा भी जारी रहेगा। नोतपा खंडित होने की यह पहली घटना नहीं है। 25 मई को सूर्यदेव ने रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश किया था। माना जा रहा था कि अगले नौ दिनों तक सूर्य अपने सर्वाधिक तापमान में रहेगा।
मानसून पर असर
मौसम विशेषज्ञ अजय शुक्ला का कहना है कि इस साल लगातार बन रहे सिस्टम के कारण मई में गर्मी कम पड़ी है। अभी भी एक पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय है, इसके कारण बादल, Rain बौछारों की स्थिति बन रही है। मई के आखिरी सप्ताह में प्री-मानसून एक्टिविटी ज्यादा सक्रिय हो जाती है और इसके कारण बादल, बारिश की स्थिति बनती है। इसका प्रभाव मानसून की प्रगति पर भी पड़ता है।
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