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दरअसल, वेटलेंड अथॉरिटी के अनुसार तालाबों में ठोस उपशिष्ठ डालने पर प्रतिबंध है। पांच साल से एप्को वेटलैंड अथॉरिटी है। पत्रिका ने 3 अक्टूबर के अंक में वेटलैंड अथॉरिटी द्वारा बरती जा रही अनदेखी का खुलासा किया था। इसके बाद अथॉरिटी के कार्यपालन संचालक जितेंद्र सिंह ने कलेक्टर को पत्र लिखकर वेटलैंड संबंधी नियम का हवाला देकर मूर्ति विसर्जन तालाबों में नहीं कराने को कहा था।
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कैचमेंट बचाने के लिए ये करना होगा
– कैचमेंट एरिया 361 वर्ग किलोमीटर है । इसमें से 185 वर्ग किलोमीटर में पांच लाख पौधे लगे हैं। जबकि इतने बड़े कैचमेंट में 17 लाख पेड़ लगाने की जरूरत है।
– 34 जगहों पर चेक डैम बनाने की जरूरत है। कोहेफिजा के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट से अभी पानी ट्रीट कर तालाब में छोड़ा जा रहा है। खानूगांव, बोरवन, बेहटा, बैरागढ़ में सीवेज बिना ट्रीट किए खुले में ही मिल रहा है।
– खेती में उपयोग हो रहे खतरनाक रसायन पर रोक लगानी होगी।
– जंगली पौधों की वजह से पानी की शुद्धता खराब हो रही है। इन्हें हटाना होगा।
– अतिक्रमण भी गंदा पानी तालाब में छोड़ रहे हैं, इन्हें तोडऩा होगा।
– बड़ा तालाब और उसके आस-पास के क्षेत्र मं पॉलीथिन पूरी तरह प्रतिबंध करनी होगी।
बड़ा तालाब को बचाना है तो कैचमेंट को स्पंजी बनाना होगा। पथरीली जमीन होने से उसमें न पानी जा पाता है न सूक्ष्म जीव, केंचुए उसमें पनप पाते हैं। इस कारण गर्मी के दिनों में पानी तेजी से सूख जाता है और भू जल में वृद्धि नहीं हो पाती। – सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद