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बेहतर सिक्यूरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर ने फेल किए नक्सलियों के मंसूबे, मुखबिरी की आशंका से मप्र में स्थानीय लोगों से बनाई दूरी

locationभोपालPublished: Aug 06, 2022 03:14:22 pm

Submitted by:

manish kushwah

-नक्सल प्रभावित जिलों में केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त योजनाओं ने तोड़ी नक्सलवाद की कमर-बालाघाट में तैयार किए गए हैं किलेनुमा आधुनिक 12 फोर्टिफाइड थाने-नक्सल प्रभावित जिलों में तैयार हुए दो कैंप, दो और लेंगे आकार

बेहतर सिक्यूरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर ने फेल किए नक्सलियों के मंसूबे, मुखबिरी की आशंका से मप्र में स्थानीय लोगों से बनाई दूरी

बेहतर सिक्यूरिटी इन्फ्रास्ट्रक्चर ने फेल किए नक्सलियों के मंसूबे, मुखबिरी की आशंका से मप्र में स्थानीय लोगों से बनाई दूरी

भोपाल. मप्र के नक्सल प्रभावित जिलों बालाघाट, डिंडौरी और मंडला में नक्सलियों पर शिकंजा कसने में सफलता हासिल हुई है। ऐसा केंद्र सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षाबलों की तैनाती के साथ ही उन्हें साधन संपन्न बनाने और बेहतर पुलिसिंग से संभव हो पाया है। यहां बता दें, मप्र के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में नक्सलियों की गतिविधियां सबसे अधिक हैं, यहां सुरक्षाबलों की कार्रवाई के दौरान अकसर नक्सली मप्र की ओर रुख करते हैं। नक्सली कॉरिडोर में मप्र के बड़े हिस्से को शामिल करने का मंसूबा था, जिसके लिए बालाघाट, डिंडौरी और मंडला में दलम में भर्ती अभियान और वन संपदा से वसूली के लिए गतिविधियां बढ़ाई थीं, पर हॉक फोर्स और सीआरपीएफ के संयुक्त अभियान से नक्सली इसमें सफल नहीं हो पाए। इसी साल 20 जून को बालाघाट में हुए एनकाउंटर में हॉक फोर्स ने तीन इनामी नक्सलियों नागेश, मनोज और महिला नक्सली रामे को मार गिराया था। इसके बाद से सर्चिंग अभियान लगातार जारी है। गौरतलब है कि नक्सलियों ने कान्हा के बफर जोन में गतिविधियां बढ़ाई थीं। जानकारी के मुताबिक नक्सलियों को स्थानीय लोगों का सहयोग नहीं मिला है, वहीं नक्सली स्थानीय लोगों को मुखबिर के रूप में देखते हैं। इंटेलीजेंस के मुताबिक मप्र में फिलहाल सौ से अधिक नक्सली सक्रिय हैं, पर इनमें से अधिकतर छत्तीसगढ़ में मूवमेंट करते रहते हैं। नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हॉक फोर्स के अलावा सीआरपीएफ की दो बटालियन की तैनाती है।
नक्सली हमले नाकाम करने फोर्टिफाइड थाने
नक्सलियों के हमलों को नाकाम करने के लिए बालाघाट जिले में 12 फोर्टिफाइड थाने तैयार किए गए हैं। इन किलेनुमा थानों में नक्सली हमलों से बचाव के सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं। यहां संतरी पोस्ट से लेकर अन्य सुरक्षा संसाधन मुहैया रहते हैं। केंद्र सरकार ने देशभर के दस नक्सल प्रभावित राज्यों में 400 फोर्टिफाइड थाने बनाए है्र। प्रत्येक थाने की लागत तकरीबन दो करोड़ रुपए है। इसके अलावा केंद्र सरकार से स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम (एसआइएस) के तहत हॉक फोर्स को प्रशिक्षित करने एवं संसाधनों के लिए 3.73 करोड़ रुपए के साथ ही एसआइबी के लिए वाहन एवं उपकरण ,खरीदी के लिए एक करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।
जंगल में चार कैंप में में से दो हुए तैयार
जंगल में नक्सलियों की मूवमेंट पर नजर रखने और कार्रवाई के लिए बालाघाट जिले के खारपा और बरमीगादर में हॉक फोर्स के एक-एक कैंप तैयार किए गए हैं। यहां एक बार में 50 हॉक फोर्स के जवानों की तैनाती है। जल्द ही दो और कैंप तैयार किए जाने की योजना है। घने जंगलों में ठिकाना बनाने वाले नक्सलियों को मौके पर काबू करने के लिए कैंप तैयार किए गए हैं।
संचार व्यवस्था को पुख्ता करने मोबाइल टॉवर
नक्सल प्रभावित जिलों और खासतौर से वन क्षेत्र में संचार व्यवस्था दुरुस्त बनाए रखने के लिए मोबाइल टॉवर योजना के दूसरे चरण में 36 टॉवर लगाए जाने की मांग की गर्ई थी। बालाघाट में दस टॉवरों में से सात लगाए जा चुकेे हैं। तीन स्थानों धर्मशाला, सुखवार और पटवा बैहर में वन भूमि होने से वन विभाग को मंजूरी के लिए हाल ही में पत्र लिखा गया है।

नक्सलियों की तलाश में सर्चिंग ऑपरेशन निरंतर जारी रहते हैं। नक्सलियों को मप्र में स्थानीय सहयोग तकरीबन नहीं है। घने जंगल वाले क्षेत्रों में कैंप तैयार किए गए हैं, जिससे नक्सलियों की मूवमेंट पर नजर रखने के साथ ही ऑपरेशन्स को अंजाम दिया जा सके।
साजिद फरीद सापू, आइजी, एंटी नक्सल ऑपरेशन
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