नक्सलियों के हमलों को नाकाम करने के लिए बालाघाट जिले में 12 फोर्टिफाइड थाने तैयार किए गए हैं। इन किलेनुमा थानों में नक्सली हमलों से बचाव के सभी आवश्यक उपाय किए गए हैं। यहां संतरी पोस्ट से लेकर अन्य सुरक्षा संसाधन मुहैया रहते हैं। केंद्र सरकार ने देशभर के दस नक्सल प्रभावित राज्यों में 400 फोर्टिफाइड थाने बनाए है्र। प्रत्येक थाने की लागत तकरीबन दो करोड़ रुपए है। इसके अलावा केंद्र सरकार से स्पेशल इन्फ्रास्ट्रक्चर स्कीम (एसआइएस) के तहत हॉक फोर्स को प्रशिक्षित करने एवं संसाधनों के लिए 3.73 करोड़ रुपए के साथ ही एसआइबी के लिए वाहन एवं उपकरण ,खरीदी के लिए एक करोड़ रुपए की मंजूरी दी है।
जंगल में चार कैंप में में से दो हुए तैयार
जंगल में नक्सलियों की मूवमेंट पर नजर रखने और कार्रवाई के लिए बालाघाट जिले के खारपा और बरमीगादर में हॉक फोर्स के एक-एक कैंप तैयार किए गए हैं। यहां एक बार में 50 हॉक फोर्स के जवानों की तैनाती है। जल्द ही दो और कैंप तैयार किए जाने की योजना है। घने जंगलों में ठिकाना बनाने वाले नक्सलियों को मौके पर काबू करने के लिए कैंप तैयार किए गए हैं।
नक्सल प्रभावित जिलों और खासतौर से वन क्षेत्र में संचार व्यवस्था दुरुस्त बनाए रखने के लिए मोबाइल टॉवर योजना के दूसरे चरण में 36 टॉवर लगाए जाने की मांग की गर्ई थी। बालाघाट में दस टॉवरों में से सात लगाए जा चुकेे हैं। तीन स्थानों धर्मशाला, सुखवार और पटवा बैहर में वन भूमि होने से वन विभाग को मंजूरी के लिए हाल ही में पत्र लिखा गया है।
नक्सलियों की तलाश में सर्चिंग ऑपरेशन निरंतर जारी रहते हैं। नक्सलियों को मप्र में स्थानीय सहयोग तकरीबन नहीं है। घने जंगल वाले क्षेत्रों में कैंप तैयार किए गए हैं, जिससे नक्सलियों की मूवमेंट पर नजर रखने के साथ ही ऑपरेशन्स को अंजाम दिया जा सके।
साजिद फरीद सापू, आइजी, एंटी नक्सल ऑपरेशन