मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार की वोकेशनल कोर्स बनाने वाली भोपाल स्थित देश की एकमात्र पंडित सुंदरलाल शर्मा केंद्रीय व्यावसायिक शिक्षा संस्थान (पीएसएससीआईवीई) के ज्वाइंट डायरेक्टर प्रोफेसर राजेश पी खंबायत ने एनसीईआरटी द्वारा मंजूर किया गया पाठ्यक्रम ही बदल दिया। यही नहीं, बदले गए पाठ्यक्रम में 76 फीसदी तक प्लेगेरिज्म पाया गया है।
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन वोकेशनल एजुकेशन नामक पाठ्यक्रम के 6 मॉड्यूल को एनसीईआरटी ने मंजूरी दी थी, जिसे 2015-16 से ही पढ़ाया जाना था, लेकिन इसे बदलकर डिप्लोमा इन वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रैनिंग कर दिया गया। इसमें 11 मॉड्यूल शामिल किए गए हैं, जिनकी पाठ्य सामग्री में अलग-अलग मॉड्यूल में चोरी की सामग्री पाई गई है। गौरतलब यह है कि पाठ्यक्रम बदलने के लिए न तो एनसीईआरटी से अनुमति ली गई और न ही सूचना दी गई। अब यह पाठ्यक्रम पढ़ाया जाने लगा तो इसमें मात्र 3 छात्र ही शामिल हो पाए, जबकि इसकी सीटें 40 निर्धारित है।
शिक्षकों ने की शिकायत तो उन्हें ही दिया हल करने का जिम्मा
आनन-फानन में तैयार किए गए डिप्लोमा इन वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रैनिंग के पाठ्यक्रम व पठन सामग्री में प्लेगेरिज्म (साहित्यिक चोरी) के बारे में शिक्षकों/विषय विशेषज्ञों ने जब संस्था प्रमुख को इसकी शिकायतें की तो कोई ठोस निर्णय लेने के बजाय संस्था प्रमुख ने अकादमिक सदस्यों को ही इसका हल निकालने के लिए जिम्मेदारी सौंप दी। जिन्होंने प्लेगेरिज्म पर आपत्ति जताई, उन्हें ही इससे निजात पाने का काम भी दे दिया गया।
तीन छात्रों को चार शिक्षक पढ़ा रहे
यह पाठ्यक्रम पढऩे वालों में त्रिपुरा राज्य के मात्र तीन छात्र (शिक्षक) हैं। इन्हें पढ़ाने वाले चार अकादमिक फैकल्टी काम कर रही है, लेकिन पाठ्य सामग्री नहीं होने के कारण पढ़ाई नहीं हो पा रही है। यह पाठ्यक्रम बच्चों को पढ़ाने वाली फैकल्टी/शिक्षकों को पढ़ाया जाना है। इसके लिए त्रिपुरा से तीन शिक्षक यहां है, लेकिन तीनों ही सामान्य शिक्षा के शिक्षक है, इनका वोकेशनल एजुकेशन से कोई वास्ता नहीं है। 40 सीटें निर्धारित है, लेकिन मात्र 3 ही प्रवेश हो पाए हैं।
एनसीईआरटी ने इसे दी थी मंजूरी
– एनसीईआरटी ने वर्ष- 2015-16 में पोस्ट ग्रेजएट डिप्लोमा इन वोकेशनल एजुकेशन (पीजीडीवीई) के 6 अलग-अलग मॉड्यूल की पाठ्य सामग्री को मंजूरी दी। इस पाठ्यक्रम को तैयार करने में विषय विशेषज्ञों को 3 साल तक मेहनत करना पड़ी। इस पर 60-70 लाख रुपए खर्च किया गया। यह कोर्स 2015-16 में ही पत्राचार माध्यम से लागू किया जाना था। यह पाठ्यक्रम एक वर्षीय था। यह पाठ्य सामग्री एनसीईआरटी के मानकों पर आधारित थी।
इसमें यह था- इस पाठ्य सामग्री में 6 मॉड्यूल थे। पहला, वोकेशनल एजुकेशन: टेक्स्ट टू कॉन्टेस्ट, दूसरा नो यूअर लर्नर, तीसरा इन्वॉल्विंग विद वोकेशनल टीचर, चौथा लिंकिंग विद वल्र्ड ऑफ वर्क, पांचवा टीचर्स कॉम्पीटेंसीज इन इवेल्यूएशन एंड असेससमेंट और छटा वाकेशनल स्पेसलाइजेशन इन एग्रीकल्चर/होम साइंस/ बिजनेस एंड कॉमर्स,/इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी/ह्यूनिटीज/ हेल्थ एंड पैरामेडिकल और सबसे आखिरी में इंटरर्नशिप का प्रावधान था। यह के्रडिट बेस्ड पाठ्यक्रम था। यानी कुल 32 क्रेडिट/घंटे के अनुसार कोर्स डिजाइन किया गया था। यह 6 महीने पत्राचार, 3 महीने की क्लास टीचिंग और 3 महीने की इंटर्नशिप पर आधारित पाठ्यक्रम था।
और बिना मंजूरी यह कर दिया-
– पाठ्यक्रम व सामग्र ही बदल दी। यह पाठ्यक्रम पत्राचार के माध्यम से पढ़ाया जाना था, लेकिन इसे कांटेक्ट मोड में तब्दील कर दिया। सभी 6 मॉड्यूल बदलकर 11 मॉड्यूल बना दिए। सभी मॉड्यूल की सामग्री बदल दी। क्रेडिट सिस्टम खत्म कर अंक आधारित मॉड्यूल तैयार कर दिया। कुल 1100 अंकों के 11 पेपर कर दिए। इसमें 8 कंपलसरी फाउंडेशन पेपर, 1 इलेक्टिव पेपर, 1 इंटर्नशिप पेपर और 1 प्रोजेक्ट वर्क पेपर कर दिए। इस पाठ्यक्रम में 1 साल तक क्लास टीचिंग ही होगी। इसमें सामग्री भी अलग जोड़ी गई। जिसकी न तो किताबें हैं और न ही पठन सामग्री उपलब्ध है।
अब इसमें यह शामिल किया-
वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रैनिंग सिस्टम, करिकुलम डेवलपमेंट, इंप्लीमेंटेशन एंड इवेल्यूएशन, इंस्ट्रक्शनल डिजाइन एंड डेवलपमेंट, असेसस्मेंट एंड इवेल्यूएशन, वोकेशननल गाइडेंस एंड काउंसिलिंग, इम्प्लॉयबिलीटी स्किल्स डेवलपमेंट, रिसर्च इन वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रैनिंग, आईसीटी एप्लीकेशन इन वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रैनिंग आदि सामग्री शामिल कर दी गई। बताया जा रहा है कि लागू किया गया पाठ्यक्रम पूर्ण विकसित नहीं है। इसकी पाठ्य सामग्री भी मौजूद नहीं है। किताबें भी नहीं है।
पाठ्यक्रम व मॉड्यूल में अभी डेवलपमेंट चल रहा है। हम ही लोगों ने इसे डिजाइन किया है, प्लेगेरिज्म की कहां से बात आ गई, अभी इसे कॉन्टेक्ट मोड में लागू किया है। जब डिस्टेंस मोड में लागू करेंगे तब फाइनल माना जाएगा। समय की मांग के अनुसार प्रोग्राम अप्रूवल कमेटी ने मंजूरी दी और हमने एनसीईआरटी से भी अनुमोदन ले लिया है। विषय विशेषज्ञों की कमेटी ने इसे रि-डिजाइन कर लागू करने को कहा तो कर दिया।
प्रो राजेश पी खंबाय, ज्वाइंट डायरेक्टर, पीएसएससीआईवीइ