यदि किताबों की तुलना की जाए तो एनसीईआरटी की एक किताब का अधिकतम मूल्य 55 रुपए है। यही किताब यदि किसी प्राइवेट पब्लिशर की देखें तो इसकी कीमत लगभग 400 रुपए के आसपास जाती है। जागो अभिभावक जागो ग्रुप के नितिन गुप्ता का आरोप है कि आठवीं तक के सिलेबस में दो से तीन किताबें ही एनसीईआरटी की रखी जा रही हैं। वहीं दुकानदार इनकम टैक्स चोरी के लिए बिल तक नहीं दे रहे। इस मामले में जिला प्रशासन व स्कूल शिक्षा के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं जा रही है जबकि कई बार शिकायतें हो चुकी हैं।
कॉपी बाहर से खरीदो तो नहीं देते सभी किताबें
अभिभावकों को स्टेशनरी भी स्कूल द्वारा तय उसी दुकान से खरीदनी होती है, जो सिलेबस खरीदने के लिए तय कर रखी है। इसमें दी जाने वाली कॉपी की कीमत सिलेबस की कीमत से अधिक होती है। यदि दूसरे स्थान से कॉपी सहित अन्य स्टेशनरी खरीद लो तो सभी किताबें नहीं दी जाती और कोई एक किताब रोककर तब तक नहीं देते जब तक कि पूरी सामग्री उनसे नहीं ले ली जाती। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल का ऩया सत्र शुरू होते ही स्कूल तो मनमानी फीस वसूल करता ही है। साथ ही बुक्स में भी मंहगी किताब खरीदे जाते है।
ब्रदर टी. अलेक्स, अध्यक्ष सहोदया ग्रुप