scriptNCERT की किताब 55 की, उसी को प्राइवेट पब्लिशर बेच रहे 400 रु. में | NCERT's book 55, selling it to the private publisher is Rs 400. In | Patrika News

NCERT की किताब 55 की, उसी को प्राइवेट पब्लिशर बेच रहे 400 रु. में

locationभोपालPublished: Apr 01, 2018 10:58:44 am

Submitted by:

Rohit verma

इनकम टैक्स चोरी के लिए नहीं देते बिल

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भोपाल. निजी स्कूलों और प्राइवेट पब्लिशरों की साठगांठ में अभिभावक परेशान हो रहे हैं। उन्हें महंगी किताबें खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। हालत यह है कि एनसीईआरटी की कक्षा आठवीं तक के सिलेबस में शामिल जो किताबें पांच सौ रुपए में आ जाती हैं, प्राइवेट पब्लिशरों की उन्हीं किताबों की कीमत चार हजार तक होती है।

यदि किताबों की तुलना की जाए तो एनसीईआरटी की एक किताब का अधिकतम मूल्य 55 रुपए है। यही किताब यदि किसी प्राइवेट पब्लिशर की देखें तो इसकी कीमत लगभग 400 रुपए के आसपास जाती है। जागो अभिभावक जागो ग्रुप के नितिन गुप्ता का आरोप है कि आठवीं तक के सिलेबस में दो से तीन किताबें ही एनसीईआरटी की रखी जा रही हैं। वहीं दुकानदार इनकम टैक्स चोरी के लिए बिल तक नहीं दे रहे। इस मामले में जिला प्रशासन व स्कूल शिक्षा के अधिकारियों द्वारा कार्रवाई नहीं जा रही है जबकि कई बार शिकायतें हो चुकी हैं।

कॉपी बाहर से खरीदो तो नहीं देते सभी किताबें
अभिभावकों को स्टेशनरी भी स्कूल द्वारा तय उसी दुकान से खरीदनी होती है, जो सिलेबस खरीदने के लिए तय कर रखी है। इसमें दी जाने वाली कॉपी की कीमत सिलेबस की कीमत से अधिक होती है। यदि दूसरे स्थान से कॉपी सहित अन्य स्टेशनरी खरीद लो तो सभी किताबें नहीं दी जाती और कोई एक किताब रोककर तब तक नहीं देते जब तक कि पूरी सामग्री उनसे नहीं ले ली जाती। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल का ऩया सत्र शुरू होते ही स्कूल तो मनमानी फीस वसूल करता ही है। साथ ही बुक्स में भी मंहगी किताब खरीदे जाते है।

स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन मार्केट में एनसीईआरटी की किताबें उपलब्ध ही नहीं होती है। इसलिए प्राइवेट पब्लिशरों की किताबों को सिलेबस में शामिल किया जाता है। यह सिर्फ भोपाल की नहीं बल्कि पूरे देश की बड़ी दिक्कत है।
ब्रदर टी. अलेक्स, अध्यक्ष सहोदया ग्रुप
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