भोपाल

निजी स्कूलों की फीस पर सख्त नियंत्रण की जरूरत

सख्ती की तो गुणवत्ता पर पडेग़ा असर: एडीजी

भोपालSep 10, 2018 / 01:42 am

Pushpam Kumar

school fee

भोपाल. निजी स्कूलों द्वारा वसूली जाने वाली फीस और उसमें बढ़ोत्तरी को नियंत्रित करना जरूरी है। इसके लिए हमने एक ढांचा तैयार किया है, आप लोग इस पर राय दें। यह बात राष्ट्रीय बाल आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने रविवार को शिवाजी नगर स्थित सुभाष उत्कृष्ट स्कूल में परिचर्चा के दौरान कही।
एडीजी अन्वेष मंगलम ने कहा कि निजी संस्थानों की फीस पर सख्ती से नियंत्रण के दुष्परिणाम विद्यार्थियों को ही भुगतने पड़ सकते हैं। फीस पर ज्याद सख्ती की तो निजी स्कूलों के संसाधनों का विस्तार रुक सकता है। संचालक शिक्षकों के वेतन में कटौती कर सकते हैं, जिसका असर गुणवत्ता पर पड़ेगा। इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार के बाद ही कदम उठाया जाए। परिचर्चा की शुरुआत में कानूनगो ने कहा, निजी स्कूल संचालक अलग-अलग मदों में फीस वसूलते हैं, पर आउटसोर्स की जाने वाली सर्विसेज की जिम्मेदारी उठाने से बचते हैं। स्कूल संचालकों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी। इस तरह की गड़बड़ी से बचने फीस को एक ढांचे में लाया जाना जरूरी है। इसके लिए कलेक्टरों की अध्यक्षता में कमेटी बनाई जाएगी, जो फीस से सम्बंधित मुद्दों पर सुनवाई करेगी।
स्कूल बसों और वैन की तय हो जबावदारी

मप्र बाल आयोग अध्यक्ष राघवेन्द्र शर्मा ने नए ढांचे पर सभी पक्षों से विचार देने को कहा। मप्र बाल आयोग सदस्य बृजेश चौहान ने कहा, स्कूलों में आउटसोर्स के नाम पर दी जाने वाली स्कूल बसों और वैन की जबावदारी भी संचालकों की तय होनी चाहिए। कार्यशाला में लोक शिक्षण संचालनालय के संयुक्त संचालक धीरेन्द्र चतुर्वेदी, शिक्षाविद् बीएस बघेल, जिला शिक्षा अधिकारी धमेन्द्र शर्मा, सुभाष स्कूल के प्रिंसिपल सुधाकर पाराशर सहित निजी स्कूल संचालक और अभिभावक शामिल हुए। फीस को एक ढ़ाचे में लाने के लिए फीस को सही मदों में निर्धारित करने के साथ, स्कूल संचालकों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।
एडीजी ने प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों का उदाहरण देते हुए बताया कि फीस निर्धारित करने से विकास रुका और इससे विद्यार्थियों का कितना बड़ा पलायन हो रहा है। प्रदेश के कॉलेज खाली हैं। विद्यार्थी बेहतर कॉलेजों में पढऩे वेल्लूर, हैदराबाद जा रहे हैं।

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