वहीं डीएस क्लासेज भोपाल में पढऩे वाली हरदा की कीर्ति अग्रवाल ने 15वीं रैंक हासिल की है। नीट-2019 में 15,19,375 स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हुए। परीक्षा में 14,10,755 स्टूडेंट्स शामिल हुए। देश के 154 शहरों में 11 भाषाओं में यह परीक्षा आयोजित करवाई गई। 6,30,283 छात्र व 7,80,467 छात्राएं इस परीक्षा में शामिल हुईं। इस बार एग्जाम में 3,51,278 छात्र व 4,45,761 छात्राएं चयनित घोषित किए गए।
कीर्ति अग्रवाल एआईआर-15
टिमरनी की रहने वाली कीर्ति ने 12वीं तक की पढ़ाई हरदा से की, इसके साथ ही नीट अटेम्प्ट किया। जिसमें 20,000वीं रैंक आई, सलेक्शन तो हुआ लेकिन टॉप कॉलेज नहीं मिल सकता था। इसके बाद कीर्ति ने भोपाल आकर एक साल ड्रॉप लेकर डीएस क्लासेज से कोचिंग की और ऑल इंडिया 15वीं रैंक हासिल की।
कीर्ति ने बताया कि कोचिंग करने से फायदा यह हुआ कि इसमें मुझे फैकल्टीज की गाइडेंस से यह पता चला कि तैयारी किस तरह करनी है। मैं हर दिन 100 सवाल सॉल्व करती थी और एग्जाम नजदीक आने पर हर दिन 200 से 300 सवाल सॉल्व किए। मैं अपने परिवार में पहली मेंबर हूं जो डॉक्टर बनने जा रही है। पेरेंट्स को पता था कि मैं डॉक्टर बन सकती हूं क्योंकि बचपन से क्लास में पहले स्थान पर ही आती रही हूं।
पेरेंट्स भी पूरा सहयोग दिया और तैयारी के लिए भोपाल भेजा। स्पीड और एक्यूरेसी आई तो एग्जाम क्रैक हुआ। छोटी जगह से होने का नुकसान नहीं बल्कि फायदा मिला क्योंकि बतौर स्टूडेंट मेरी लाइफ में कोई बाधा नहीं आई। मैं हॉस्टल के अपने कमरे में बैठकर सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई ही करती थी। शाम के समय बैडमिंटन खेलकर खुद को रिलेक्स करती थी।
मेरा टारगेट एम्स दिल्ली में पढ़ाई करना है जिसके रिजल्ट का फिलहाल मुझे इंतजार है। मैंने 11वीं क्लास से ही सोशल मीडिया छोड़ दिया था, सिर्फ व्हाट्सएप का इस्तेमाल करती थी वो भी पढ़ाई से संबंधित डाउट क्लीयर करने के लिए। इस पूरे साल में मैंने फैमिली के साथ कोई त्यौहार नहीं मनाया और न ही दोस्तों से बात की। मुझे उम्मीद थी कि मैं अंडर-30 रैंक हासिल करूंगी लेकिन 15वीं रैंक पाकर मैं बहुत खुश हूं।
रियल एग्जाम की तर्ज पर होते हैं हमारे फाइनल तीन मॉक टेस्ट
इस बार बेस्ट रिजल्ट रहा है, अंडर-500 रैंक अपने आप में अचीवमेंट है, इसमें हमारे 5 स्टूडेंट्स हैं। इसमें हमारा गाइडेंस जरूर रहा लेकिन मैं इसका पूरा श्रेय स्टूडेंट्स की मेहनत को देता हूं। हमारे यहां हम चार लोग हैं, मैं बॉटनी पढ़ाता हूं, डॉ. दुर्रानी जूलॉजी, डॉ. रोहित विश्वकर्मा फिजिक्स और सरफराज खान केमेस्ट्री पढ़ाते हैं। हम ही चारों एकेडमिक डायरेक्टर भी हैं। स्टूडेंट्स के साथ फोन, व्हाट्सएप पर हर वक्त उपलब्ध रहते हैं।
2013 से डीएस क्लासेज की शुरूआत हुई, इससे पहले हम सब अलग-अलग पढ़ाया करते थे। इन 6 सालों में हमने सिर्फ स्टूडेंट्स फोकस्ड एप्रोच ही रखी, एजुकेशन के अलावा बच्चों की पर्सनल प्रॉब्लम में भी हम खड़े होते हैं। हमारे प्रैक्टिस टेस्ट बिल्कुल उसी पैटर्न पर होते हैं जैसे कि रियल एग्जाम होते हैं। फाइनल के तीन मॉक टेस्ट हम नीट की तर्ज पर ही कराते हैं।
– सीनू जॉन, एकेडमिक डायरेक्टर, डीएस क्लासेज