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शहर में 40 फीसदी सड़कों पर मार्किंग नहीं, फिर कहां खर्च हुए सालभर में 30 लाख रुपए

locationभोपालPublished: Jan 21, 2019 01:04:21 am

Submitted by:

Ram kailash napit

एजेंसियों के रेकॉर्ड से हुई तस्दीक, सड़कों पर पीले-सफेद रंग से मार्किंग में भी हो रहा घपला

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भोपाल. राजधानी की सड़कों पर वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए जरूरी पीले-सफेद रंग से मार्किंग में भी घपला हो रहा है। प्रमुख-पॉश क्षेत्रों से जुड़ी सड़कों पर इन दिनों तेजी से चल रही रोड मार्किंग के काम के बीच पत्रिका टीम को पड़ताल में इसका पता चला। तीन एजेंसियों ने इसके नाम पर एक साल में करीब 30 लाख रुपए खर्च किए। फिर भी 40 फीसदी मुख्य सड़कों पर सालभर में एक बार भी मार्किंग नहीं हुई। एजेंसियों के रेकॉर्ड ही तस्दीक कर रहे हैं।
इनमें सबसे अधिक सड़कें शहर के किनारे वाले क्षेत्रों की हंै। यहां न तो रोड साइड बताने पीले-सफेद रंग की पट्टी है, न ही लेन बांटने बीच में मार्किंग। रात को वाहन चालकों के लिए चमचमाती केट्स आई या रिफ्लेक्टर तक नहीं लगाए। मास्टर प्लान रोड व 80 फीट चौड़ी होने के बावजूद मार्किंग नहीं कीक गई। इसका नुकसान बढ़ती दुर्घटनाओं के रूप में सामने आ रहा है।

मास्टर प्लान की सड़कें भी प्राथमिकता में नहीं
राजधानी में प्रमुख सड़कों की लंबाई 365 किमी के करीब है। नगर निगम, सीपीए और पीडब्ल्यूडी को सुरक्षा के लिहाज से इन पर रोड मार्किंग कराना चाहिए। स्थिति ये है कि बीते एक साल में करीब पौने दो सौ किमी सड़कें ऐसी रहीं, जिन पर एक बार भी मार्किंग नहीं की गई। कोलार में सनखेड़ी ओर जा रही अस्सी फीट रोड को ही देखें तो वहां सालभर से मार्किंग नहीं हुई है। यहां स्ट्रीट लाइट भी नहीं है, जिससे शाम ढलते ही वाहन चालकों को परेशानी होती है। यही स्थिति दानापानी-मीरानगर मास्टर प्लान रोड, गुलमोहर, सलैया, बैरसिया समेत सूखी सेवनियां की ओर जाने वाली मास्टर प्लान रोड को लेकर देखने में आ रही है।
हर तीन माह में मार्किंग का प्रावधान

ट्रैफिक एक्सपर्ट व स्ट्रक्चरल इंजीनियर शैलेंद्र बागरे के अनुसार सड़क रखरखाव में मार्किंग अलग से होती है। प्रति किमी 40 से 50 हजार रु. तक एजेंसियां देती हैं। इनमें हर तीन माह में पेंट जरूरी है। इस राशि में सालभर में चार बार मार्किंग होना चाहिए, पर एक बार भी नहीं हुई।
ऐसे खर्च की स्थिति
– 06 लाख रुपए खर्च कर डाले सीपीए ने अपनी 25 किमी सड़कों की मार्र्किंग पर
– 16 लाख रुपए खर्च डाले पीडब्ल्यूडी ने अपनी 102 किमी लंबी सड़कों पर मार्र्किंग में
– 08 लाख रुपए खर्च किए हैं नगर निगम ने अपनी 80 किमी लंबी सड़कों पर मार्किंग में
नोट- इसके अलावा स्मार्टसिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन, नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे की शहर से गुजर रही सड़कों पर मार्र्किंग खर्च अलग है। करीब 50 लाख रुपए का पूरा खर्च बन रहा है।
जो सड़क बनाते हैं,उस पर मार्किंग की जाती है। मेंटेनेंस वाली सड़कों पर ठेकेदार तय समय में मार्किंग करते हैं। हमारी सड़कों पर आप को समस्या नहीं मिलेगी।
जवाहरसिंह, अधीक्षण यंत्री, सीपीए
निगम की जो सड़कें हैं, उन पर काम कराते हैं। इसमें मार्किंग भी शामिल है। अधिक ट्रैफिक लोड से यह जल्द मिट जाती है। हम फिर करा देते हैं।
पीके जैन, अधीक्षण यंत्री, ननि
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