राजधानी में प्रमुख सड़कों की लंबाई 365 किमी के करीब है। नगर निगम, सीपीए और पीडब्ल्यूडी को सुरक्षा के लिहाज से इन पर रोड मार्किंग कराना चाहिए। स्थिति ये है कि बीते एक साल में करीब पौने दो सौ किमी सड़कें ऐसी रहीं, जिन पर एक बार भी मार्किंग नहीं की गई। कोलार में सनखेड़ी ओर जा रही अस्सी फीट रोड को ही देखें तो वहां सालभर से मार्किंग नहीं हुई है। यहां स्ट्रीट लाइट भी नहीं है, जिससे शाम ढलते ही वाहन चालकों को परेशानी होती है। यही स्थिति दानापानी-मीरानगर मास्टर प्लान रोड, गुलमोहर, सलैया, बैरसिया समेत सूखी सेवनियां की ओर जाने वाली मास्टर प्लान रोड को लेकर देखने में आ रही है।
– 06 लाख रुपए खर्च कर डाले सीपीए ने अपनी 25 किमी सड़कों की मार्र्किंग पर
– 16 लाख रुपए खर्च डाले पीडब्ल्यूडी ने अपनी 102 किमी लंबी सड़कों पर मार्र्किंग में
– 08 लाख रुपए खर्च किए हैं नगर निगम ने अपनी 80 किमी लंबी सड़कों पर मार्किंग में
नोट- इसके अलावा स्मार्टसिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन, नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे की शहर से गुजर रही सड़कों पर मार्र्किंग खर्च अलग है। करीब 50 लाख रुपए का पूरा खर्च बन रहा है।
जवाहरसिंह, अधीक्षण यंत्री, सीपीए
निगम की जो सड़कें हैं, उन पर काम कराते हैं। इसमें मार्किंग भी शामिल है। अधिक ट्रैफिक लोड से यह जल्द मिट जाती है। हम फिर करा देते हैं।
पीके जैन, अधीक्षण यंत्री, ननि