– संसद में नहीं बन सकीं आवाज
आदिवासी बाहुल्य धार पिछड़ेपन का शिकार है। उद्योगों के लिए जमीन का अधिग्रहण तो हुआ, लेकिन उद्योग नहीं लगे। अभी भी जमीन उद्योगपतियों के कब्जे में है और वहां केवल बोर्ड लगे हुए हैं। सावित्री ने उद्योग लगाकर रोजगार के साधन बढ़ाने का वादा भी पूरा नहीं किया। साढ़े चार साल में संसद में महज 64 सवाल लगाए और 13 डिबेट में हिस्सा लिया।
– ये रही खामियां
केंद्र तक आवाज नहीं पहुंचने के कारण रेल अब तक धार से नहीं गुजर सकी।
इंदौर तक पहुंच चुकी नर्मदा पेयजल परियोजना की धार से अब भी दूर है।
बड़े औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के बावजूद स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिल पाया।
औद्योगिक विकास में हाथ से जाती जमीन पर सांसद चुप्पी साधे रहीं।
आदिवासी बाहुल्य धार पिछड़ेपन का शिकार है। उद्योगों के लिए जमीन का अधिग्रहण तो हुआ, लेकिन उद्योग नहीं लगे। अभी भी जमीन उद्योगपतियों के कब्जे में है और वहां केवल बोर्ड लगे हुए हैं। सावित्री ने उद्योग लगाकर रोजगार के साधन बढ़ाने का वादा भी पूरा नहीं किया। साढ़े चार साल में संसद में महज 64 सवाल लगाए और 13 डिबेट में हिस्सा लिया।
– ये रही खामियां
केंद्र तक आवाज नहीं पहुंचने के कारण रेल अब तक धार से नहीं गुजर सकी।
इंदौर तक पहुंच चुकी नर्मदा पेयजल परियोजना की धार से अब भी दूर है।
बड़े औद्योगिक क्षेत्रों के विकास के बावजूद स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिल पाया।
औद्योगिक विकास में हाथ से जाती जमीन पर सांसद चुप्पी साधे रहीं।
लोगों को क्या तकलीफ हो रही है और उसे कैसे दूर कर सकते हैं, इस बारे में सांसद ने कभी सोचा ही नहीं। यहां कम आती हैं और दिल्ली में ये जताती हैं कि वे क्षेत्र के लिए काफी काम कर रही हैं।
– आत्माराम चौधरी, सकतली
जिस सरकारी जमीन पर आदिवासी बरसों से परिवार पाल रहे हैं, उसे अफसर छीन रहे हैं। ऐसे समय भी सांसद यह कहने नहीं आई कि उनके लिए सरकार और अच्छी योजना बना रही है या राहत दे रही है।
– देवप्रसाद गिरवाल, धामनोद
– देवप्रसाद गिरवाल, धामनोद
लोग पलायन को विवश हैं। बड़े-बड़े उद्योगतियों को अरबों की जमीन कौडिय़ों के दाम बांट दी गई, लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है। सांसद ने कभी इनकी ओर भी पलटकर देखा।
– भूपेंद्र चौहान, धार
– भूपेंद्र चौहान, धार
सांसद कब आती हैं, लोगों को मालूम नहीं। कुछ भी काम हो स्थानीय अधिकारियों के पास ही दौड़ लगाना पड़ती है। इतनी दूर से तो सांसद को ही आना पड़ेगा, क्योंकि हमारी विधानसभा भी इनके क्षेत्र मेें आती है।
– जीवन यादव, महू
– जीवन यादव, महू