न्यूरोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. चंद्रशेखर रावत ने बताया कि महिला तो दुर्लभ बीमारी थी। बीमारी की पुष्टि के लिए मरीज की एंटीमॉग एंटीबॉडी जांच कराई गई। जिसके बाद उनकों क्लिनिकल एग्जामिनेशन के आधार पर दवाएं व इन्जेक्शन दिए गए। अब मरीज की दाहिनी आंख की रोशनी पूरी तरह सामान्य हो गई है, जबकि बाईं आंख में भी काफी सुधार है।
डॉ. रावत के अनुसार ऑटो इम्यून व डिमाइलिनेटिंग बीमारियों में शरीर में एंटीबॉडीज़ बन जाती हैं। जो ब्रेन और ऑपप्टिक नर्व या स्पाइन कॉर्ड के माइलिन को खराब कर देती हैं। इससे लकवा लग जाना, पेशाब रुक जाना, आंखों की रोशनी चली जाना आदि समस्याएं होती हैं। एंटीमॉग एंटीबॉडी डिजीज में मस्तिष्क और आंखों की नसों पर शरीर में बनने वाली एंटीबॉडीज ही हमला करती हैं। जिससे ये अंग प्रभावित होने लगते हैं।
संस्थान में डिमाइलिनेटिंग बीमारियां जैसे एंटीमॉग एंटीबॉडी डिजीज, पैरानियोप्लास्टिक व ऑटो इम्यून बीमारियों का इलाज हाल ही में शुरू किया गया है। इन बीमारियों का इलाज समय से किया जाए, तो मरीज को आजीवन अपंगता से बच सकता है।
ऑटो इम्यून और डिमाइलिनेटिंग बीमारियों का इलाज शुरू हो गया है। विभाग में बड़ी संख्या में मरीज अपना इलाज कराने आ रहे हैं। आने वाले समय में विभाग में और डॉक्टर के आ जाने पर न्यूरोलॉजी से संबंधित स्पेशियलिटी क्लिनिक शुरू किए जाएंगे।
-डॉ. मनीषा श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक, बीएमएचआरसी, भोपाल